लोकसभा में पास हुआ नागरिकता संशोधन बिल, पक्ष में 311 और विपक्ष में 80 वोट
भाजपा (BJP) से अलग हुई सहयोगी पार्टी शिवसेना ने नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन में सरकार के पक्ष में ही वोट डाला है
नई दिल्ली: Citizenship Amendment Bill 2019 passes in LokSabha- नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill 2019) दिनभर चली बहस के बाद लोकसभा (Lok Sabha) में पास हो गया है।
नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) के पक्ष में 311 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 80 वोट पड़े (Citizenship Amendment Bill 2019 passes in LokSabha)।
Citizenship Amendment Bill, 2019 passed in Lok Sabha with 311 'ayes' & 80 'noes'. https://t.co/InH4W4dr4F pic.twitter.com/Nd4HpkjlEo
— ANI (@ANI) December 9, 2019
Lok Sabha passes the Citizenship Amendment Bill, 2019. pic.twitter.com/oAeDQ202ca
— ANI (@ANI) December 9, 2019
हाल में भाजपा (BJP) से अलग हुई सहयोगी पार्टी शिवसेना (ShivSena) ने नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन में सरकार के पक्ष में ही वोट डाला है।
अन्य सहयोगी दलों जेडीयू,बीजेडी ने भी सरकार को इस बिल पर समर्थन दिया है।
गौरतलब है कि सोमवार,9 दिसंबर को इस बिल को लेकर पूरे दिन सदन में बहस चली। लंबी चर्चा के बाद गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने CAB के फैसले को सही ठहराते हुए विपक्ष के सवालों के जवाब दिए।
Union Home Minister Shri @AmitShah's reply on the #CitizenshipAmendmentBill2019 in Lok Sabha. https://t.co/tT1Jy4SwpO
— BJP (@BJP4India) December 9, 2019
उन्होंने कहा कि मैनें पहले ही कहा था कि नागरिकता संशोधन बिल शरणार्थियों को यातनापूर्ण जीवन से मुक्ति दिलाने का माध्यम बनाने के लिए लाया जा रहा (Citizenship Amendment Bill 2019 passes in LokSabha) है।
इस बिल के द्ववारा शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। जहां तक विपक्ष आर्टिकल 14 का हवाला देकर इसे अंसवैधानिक करार दे रहा है तो मैं कहना चाहता हूं कि यह बिल बिल्कुल भी असंवैधानिक नहीं है
नागरिकता संशोधन बिल के द्वारा भाजपा सरकार धर्म के आधार पर विभाजन को संस्थागत करने की कोशिश कर रही है#CitizenshipAmendmentBill2019 #IndiaRejectsCAB pic.twitter.com/Xc6CsmXjOV
— Indian Youth Congress (@IYC) December 9, 2019
और न ही आर्टिकल 14 का उल्लंघन करता है।सदन में अमित शाह ने कांग्रेस पर फिर से निशाना साधते हुए कहा कि देश में विभाजन धर्म के आधार पर न हुआ होता तो मुझे यह बिल लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
सदन को यह बात स्वीकर करनी होगी कि इस देश का धर्म के आधार पर विभाजन हुआ है। मुस्लिम जिस हिस्से में ज्यादा थे वो पाकिस्तान बना और दूसरा हिस्सा भारत बना।
गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौते में भारत-पाकिस्तान ने समझौता किया था कि अल्पसंख्यकों का ध्यान रखेंग
लेकिन पाकिस्तान ने इस समझौते का पूरी तरह से पालन नहीं किया। पाकिस्तान,अफगानिस्तान और बांग्लादेश के संविधान में इस्लाम को राज्य धर्म बताया गया है।
इन जगहों पर अल्पसंख्यकों को न्याय मिलने की संभावना लगभग खत्म हो गई है। पाकिस्तान में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 23% थी
जबकि 2011 में ये 3.7% हो गई। ठीक इसी तरह बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22% थी जो 2011 में 7.8 % हो गई। मैं पूछता हूं आखिर कहां गए ये लोग?
#WATCH Home Minister Amit Shah leaves from the Parliament after the passing of Citizenship (Amendment) Bill, 2019 in Lok Sabha. pic.twitter.com/GCEGyPbdC2
— ANI (@ANI) December 9, 2019
जो लोग नागरिकता संशोधन बिल का विरोध कर रहे है मैं उनसे पूछता हूं कि अल्पसंख्यकों का दोष क्या है कि उन्हें इस तरह से क्षीण किया जाए?
जबकि 1951 में भारत में मुस्लिम 9.8 प्रतिशत थे. आज 14.23 प्रतिशत हैं। हमने किसी के भी साथ भेदभाव नहीं किया है और न ही आगे किसी भी धर्म के साथ भेदभाव करेंगे।
ये कानून किसी एक धर्म के लिए नहीं लाया गया है। यह इस्लामिक देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए है। इसलिए इसमें आर्टिकल 14 का उल्लंघन नहीं होता।
Citizenship Amendment Bill 2019 passes in LokSabha
अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है। मैं यह बिल धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए लाया हूं।
इससे मुस्लिमों के अधिकार नहीं लिए जाते। हमारे इस एक्ट के अनुसार,कोई भी इसके लिए आवेदन कर सकता है। बस उसका आवेदन नियमों के अनुसार होना चाहिए,फिर उसे नागरिकता मिल जाएगा।
सदन में अमित शाह ने आगे कहा कि इस महान सदन की अनुशंसा मिलने के बाद ही लाखों करोड़ों लोग यातना पूर्ण जीवन से मुक्त हो जायेंगे और सम्मान सहित भारत के नागिरक बन जाएंगे।
कौन सा ऐसा देश है जिसने बाहर के लोगों को नागरिकता देने के लिए कानून न बनाया हो। हमने भी ऐसा कानून बनाया है। हमने एकल नागरिकता का प्रावधान किया है।
अमित शाह ने इस दौरान कहा कि अरुणाचल, मिजोरम और नगालैंड की तरह मणिपुर को नागरिकता बिल से छूट मिलेगी।
क्या है नागरिकता संशोधन बिल (What is Citizenship Amendment Bill)
इस विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आए उन गैर मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो।
सूत्रों ने बताया कि 1955 के नागरिकता अधिनियम को संशोधन करने वाले इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई ।
क्यों है विपक्ष इसके खिलाफ?
विपक्षी दल इस विधेयक को बांटने वाला एवं साम्प्रदायिक बता रहे हें । इसे भाजपा की विचारधारा से जुड़े महत्वपूर्ण आयाम का हिस्सा माना जा रहा है जिसमें शरणार्थी के तौर पर भारत में रहने वाले गैर मुसलमानों को नागरिकता देने का प्रस्ताव किया गया है ।
इनमें से ज्यादातर लोग हिन्दू हैं । इसके माध्यम से उन्हें उस स्थिति में संरक्षण प्राप्त होगा जब केंद्र सरकार देशव्यापी राष्ट्रीय नागरिक पंजी की योजना को आगे बढ़ायेगी ।
बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार सभी के हितों और भारत के हितों का ध्यान रखेगी ।
कुछ वर्गों द्वारा इसका विरोध किये जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि लोग देश के हित में इसका स्वागत करेंगे ।
समझा जाता है कि सरकार इसे (Citizenship Amendment Bill) अगले दो दिनों में संसद में पेश करेगी और अगले सप्ताह इसे पारित कराने के लिये आगे बढ़ायेगी ।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने इसकी तीखी आलोचना की है ।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Amendment Bill) पर विरोध जताते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने बुधवार को कहा कि इससे संविधान का मूलभूत सिद्धान्त कमतर होता है।
थरूर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह विधेयक असंवैधानिक है क्योंकि इस विधेयक में भारत के मूलभूत विचार का उल्लंघन किया गया है। वो लोग जो यह मानते हैं कि धर्म के आधार पर राष्ट्र का निर्धारण होना चाहिए…इसी विचार के आधार पर पाकिस्तान का गठन हुआ।’’
उन्होंने कहा कि हमने सदैव यह तर्क दिया है कि राष्ट्र का हमारा वह विचार है जो महात्मा गांधी, नेहरूजी, मौलाना आजाद, डा. आंबेडकर ने कहा कि धर्म से राष्ट्र का निर्धारण नहीं हो सकता।’’
यह विधेयक लोकसभा में पारित हो जायेगा क्योंकि निचले सदन में भाजपा को बड़ा बहुमत है ।
राज्यसभा में भी उसे कोई गंभीर अवरोध की संभावना नहीं है क्योंकि अतीत में उसे बीजद, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस जैसे दलों का समर्थन मिला है ।
गृह मंत्री अमित शाह सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इस विषय पर राजनीतिक दलों एवं पूर्वोत्तर के नागरिक समूहों से व्यापक चर्चा की है और उनकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया है ।
Citizenship Amendment Bill 2019 passes in LokSabha