Congress-Bharat-Jodo-Yatra-100-days-completed-Rahul-Gandhis-long-march-will-change-his-image
नई दिल्ली:कांग्रेस(Congress) राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा(Bharat-Jodo-Yatra)निकाल रही है।
जिसका मकसद देश में सांप्रदायिक व नफरती माहौल खत्म करके देश की एकता,संप्रभुता को बनाएं रखना और आम जन से जुड़कर महंगाई,बेरोजगारी,आंतरिक सौहार्द और भ्रष्टाचार सरीखे मुद्दे पर देश को एकजुट करना है।
आज यानि शुक्रवार को भारत जोड़ो यात्रा का 100वां दिन(Congress-Bharat-Jodo-Yatra-100-days-completed)है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी(Rahul Gandhi) ने भारत जोड़ो यात्रा का आगाज़ 7 सितंबर 2022 को कन्याकुमारी से किया जोकि कश्मीर में जाकर समाप्त होगा।
इस दौरान राहुल गांधी देश के विभिन्न राज्यों से होते हुए आम-नागरिकों से मिले-जुले और देशवासी भी इस भारत जोड़ो यात्रा मुहिम का हिस्सा बनते दिखे।
आज हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित सभी विधायक राजस्थान में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शिरकत ले रहे है।
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राहुल गांधी की भारत जोड़ो पदयात्रा 3500 किलोमीटर से अधिक का सफर तकरीबन 150 दिनों में तय करते हुए श्रीनगर में समाप्त होगी।
आज भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान(Rajasthan)के दौसा से गुजर रही है। इस दौरान राहुल गांधी और उनके साथ लगातार चलने वाले भारत यात्री 2800 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय कर चुके हैं.
इस दरम्यान यह यात्रा देश के 7 राज्यों – तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश का सफर पार कर चुकी है और फिलहाल 8वें राज्य राजस्थान से होकर गुजर रही है।
लेकिन सवाल ये है कि राहुल गांधी, कांग्रेस और उनकी सियासत पर इस पदयात्रा का क्या असर पड़ रहा है या आगे चलकर(Congress-Bharat-Jodo-Yatra-100-days-completed-Rahul-Gandhis-long-march-will-change-his-image)पड़ेगा?
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भारत जोड़ों यात्रा से कांग्रेस को क्या मिला ?
भारत जोड़ो यात्रा के बारे में यह सवाल अक्सर पूछा जाता है. कांग्रेस के विरोधी ही नहीं, समर्थक भी जानना चाहते हैं कि राहुल गांधी के कन्याकुमारी से कश्मीर तक हजारों किलोमीटर पैदल चलने से क्या कांग्रेस का चुनावी प्रदर्शन बेहतर हो (Congress-Bharat-Jodo-Yatra-100-days-completed-Rahul-Gandhis-long-march-will-change-his-image)जाएगा?
हाल ही में हुए गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव(Himachal Pradesh Assembly Elections) इस सवाल का जवाब देने में कोई खास मददगार साबित नहीं होते, क्योंकि न सिर्फ दोनों राज्यों के नतीजे अलग-अलग आए हैं, बल्कि भारत जोड़ो यात्रा इन दोनों ही राज्यों से होकर नहीं गुजरी है।
ऐसे में ये कहना मुश्किल है कि राहुल गांधी की पदयात्रा अगर इन राज्यों से होकर गुजरती तो उसका क्या असर पड़ता।
चुनावी राज्यों में पदयात्रा न करने पर उठे सवाल
कई लोग यह सवाल भी उठाते हैं कि दोनों चुनावी राज्यों को पदयात्रा के रूट से बाहर क्यों रखा गया? यह सवाल पूछने वालों में मुख्य तौर पर दो तरह के लोग हैं।
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कुछ विश्लेषकों, कांग्रेस सदस्यों या समर्थकों को लगता है कि राहुल गांधी की पदयात्रा को अब तक लोगों का शानदार रिस्पॉन्स मिला(Congress-Bharat-Jodo-Yatra-100-days-completed-Rahul-Gandhis-long-march-will-change-his-image)है।
जिसे देखते हुए उनके गुजरात और हिमाचल प्रदेश में जाने से कांग्रेस को फायदा होता।
दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं, जो कहते हैं कि राहुल गांधी जानबूझकर चुनावी राज्यों में अपनी यात्रा लेकर नहीं गए, क्योंकि उन्हें पता था इससे कोई चुनावी फायदा नहीं होगा और ऐसा होने पर पदयात्रा को लेकर बनी सारी हवा बिगड़ जाती।
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यात्रा के रूट में कई चुनावी राज्य भी शामिल हैं
भारत जोड़ो यात्रा के चुनावी राज्यों में जानबूझकर न जाने के आरोपों के बावजूद इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि राहुल गांधी की पदयात्रा के रूट में कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने(Congress-Bharat-Jodo-Yatra-100-days-completed-Rahul-Gandhis-long-march-will-change-his-image)हैं।
इन चुनावों के नतीजों से शायद इस सवाल का बेहतर जवाब मिल पाएगा कि राहुल गांधी का हज़ारों किलोमीटर पैदल चलना और इस दौरान आम लोगों से लगातार मिलना-जुलना चुनावी नजरिए से कितना असरदार या बेअसर साबित हुआ।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने की कोशिश
बहरहाल, पदयात्रा पर नजर रखने वाले बहुत से लोग ऐसा मानते हैं कि राहुल गांधी की यह मेहनत बेकार नहीं जा रही है। वे अपने समर्थकों के साथ-साथ विरोधियों का भी ध्यान खींचने में सफल रहे हैं।
साथ ही वे जिन राज्यों से होकर गुज़रे हैं, वहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों में नया जोश देख को मिला है और संगठन में पहले से ज्यादा एकजुटता भी आई है।
राजस्थान एक ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस में दो विरोधी गुट सबसे ज्यादा खुलकर आमने-सामने नजर आते हैं।
फिर भी भारत जोड़ो यात्रा के लिए दोनों ने मेहनत की। उनमें आपसी रस्साकशी के साथ ही साथ यात्रा के लिए ज्यादा से ज्यादा समर्थन जुटाने की होड़ भी साफ नजर आई।
यही वजह है कि अब तक राजस्थान में पदयात्रा को अच्छा रिस्पॉन्स मिला है और कांग्रेस की आपसी फूट के कारण उसके फ्लॉप होने जैसे अनुमान धरे के धरे रह(Congress-Bharat-Jodo-Yatra-100-days-completed-Rahul-Gandhis-long-march-will-change-his-image)गए।
क्या बदलेगी राहुल गांधी की छवि?
कन्याकुमारी से कश्मीर तक 3500 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पैदल तय करने के बाद राहुल गांधी ऐसा करने वाले देश के इकलौते मौजूदा राजनेता बन जाएंगे।
क्या इसके बाद उनके आलोचक भी बिना हिचके राहुल को अनिच्छुक राजनेता (Reluctant Politician) या कह पाएंगे? लगता यही है कि ऐसा करना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा।
इस यात्रा से नेहरू-गांधी परिवार पर लगने वाले इस आरोप की धार भी कमजोर हो रही है कि वे जनता से दूरी बनाकर रखते हैं. राहुल गांधी पर ऐसे आरोप विरोधियों के अलावा कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेता भी लगाते रहे हैं।
लेकिन भारत जोड़ो यात्रा की सबसे ज्यादा चर्चित और लोकप्रिय चीज है आम लोगों के बीच घुले-मिले, उनके साथ बेतकल्लुफी के पल शेयर करते राहुल गांधी की वायरल होती तस्वीरें!
जिन्हें कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों के अलावा उन लोगों ने भी देखा और पसंद किया है, जो कांग्रेस के समर्थक नहीं रहे हैं। इन तस्वीरों ने नेहरू-गांधी परिवार पर जनता से कटे होने के आरोपों की जड़ में मट्ठा डालने का काम किया है।