NCPVsNCP-Ajit-Pawar-gets-NCP-name-symbol-by-EC:एनसीपी बनाम एनसीपी(NCPVsNCP)पर कब्जे की लड़ाई का मंगलवार को उस वक्त अंत हो गया जब चुनाव आयोग(Election Commission)ने
आधिकारिक तौर पर अजित पवार गुट को पार्टी का नाम एनसीपी(NCP)और चुनाव चिन्ह(Symbol)सौंप दिया और अजित पवार गुट को ही असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के रूप में मान्यता दे(NCPVsNCP-Ajit-Pawar-gets-NCP-name-symbol-by-EC)दी।
इससे शरद पवार(Sharad Pawar)गुट को तगड़ा झटका लगा है और अब शरद पवार गुट को बुधवार शाम 3 बजे तक अपनी पार्टी के लिए एक नया नाम और चुनाव चिन्ह चुनाव आयोग को बताना है।
इतिहास ने अपने आपको फिर दोहराया है।
महाराष्ट्र की राजनीति(Maharashtra Political Crisis)में जिस प्रकार शिवसेना बनाम शिवसेना(ShivSenaVsShivSena)की लड़ाई में शिंदे गुट(Eknath Shinde)को पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह मिला और उद्धव ठाकरे(Uddhav Thackeray)हाथ मलते रह गए,
ठीक उसी तरह शरद पवार गुट को बड़ा झटका लगा है और अजीत पवार गुट को चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम एनसीपी और चुनाव चिन्ह ‘घड़ी’सौंप दिया(NCPVsNCP-Ajit-Pawar-gets-NCP-name-symbol-by-EC)है।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में शिंदे गुट और अजीत पवार गुट भाजपा(BJP)के साथ सत्तासीन है और शरद पवार व उद्धव ठाकरे गुट कांग्रेस के साथ महागठबंधन(Mahagathbandhan)करके विपक्ष की भूमिका निभा रहे है।
मंगलवार को जब चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(Nationalist Congress Party)का असली मुखिया अजित पवार को माना तो पार्टी के संस्थापक रहे शरद पवार को बड़ा गहरा झटका लगा।
अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल शरद पवार गुट के सामने खड़ा हो गया है कि उनके लिए भविष्य में कौन-कौन से रास्ते बचे(NCPVsNCP-Ajit-Pawar-gets-NCP-name-symbol-by-EC-What-remain-for-Sharad-Pawar)है।
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चुनाव आयोग का निर्णय ‘विधायी बहुमत के परीक्षण’ पर आधारित है, जिसमें आंतरिक चुनाव विवादों के बीच अजित पवार के समूह को एनसीपी का प्रतीक दिया गया है।
चुनाव आयोग ने कहा कि अजित पवार गुट(Ajit Pawar)को एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने का अधिकार है।
इस आयोग का मानना है कि याचिकाकर्ता श्री अजित अनंतराव पवार ही असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) हैं और नाम और आरक्षित प्रतीक ‘घड़ी’ का इस्तेमाल करने का अधिकार उन्हें ही सौंपा जाता(NCPVsNCP-Ajit-Pawar-gets-NCP-name-symbol-by-EC)है।
चुनाव आयोग ने NCP बनाम NCP(NCPVsNCP)के अस्तित्व की लड़ाई पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि तमाम सबूतों के मद्देनजर ये फैसला लिया गया है कि अजित पवार और उनके साथ गए विधायक ही असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी है।
अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न मिलने से आगामी लोकसभा(LokSabha Elections 2024)और राज्यसभा दोनों चुनावों पर महत्वपूर्ण असर पड़ सकता है।
भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने फैसला सुनाया है कि अजीत पवार का गुट ही असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) है, जिससे महत्वपूर्ण लोकसभा और राज्यसभा चुनावों से पहले पार्टी के संस्थापक शरद पवार को झटका लगा है।
गुटीय लड़ाई पर कई महीनों की अटकलों को समाप्त करते हुए, चुनाव आयोग ने अजीत पवार के नेतृत्व वाले समूह को एनसीपी का प्रतीक ‘दीवार घड़ी’ भी आवंटित(NCPVsNCP-Ajit-Pawar-gets-NCP-name-symbol-by-EC)किया।
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पोल पैनल ने कहा, ‘विधायी विंग में बहुमत के परीक्षण को मामले की इस परिस्थिति में समर्थन मिला, जहां दोनों समूहों को पार्टी संविधान और संगठनात्मक चुनावों के बाहर काम करते पाया गया है।’
शरद पवार के नेतृत्व वाले समूह के एक नेता ने कहा कि अजित के गुट को असली एनसीपी घोषित करने का चुनाव आयोग का फैसला दबाव में लिया गया था।
“यह लोकतंत्र की हत्या है। जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है, ”महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख ने कहा।
देशमुख ने अपने दावे के बारे में विस्तार से बताए बिना एक टीवी चैनल से कहा, चुनाव आयोग ने यह फैसला ‘ऊपर से दबाव’ के तहत दिया।
शरद पवार गुट के लिए आगे का क्या है रास्ता?
अपने भतीजे के नेतृत्व वाले गुट के लिए एनसीपी का प्रतीक ‘वॉल क्लॉक’ खोने के साथ, शरद पवार गुट को अब एक महत्वपूर्ण निर्णय का सामना करना पड़ रहा(NCPVsNCP-Ajit-Pawar-gets-NCP-name-symbol-by-EC-What-remain-for-Sharad-Pawar) है।
आयोग ने गुट को एक नई राजनीतिक इकाई बनाने और महाराष्ट्र से राज्यसभा की छह सीटों के लिए आगामी चुनाव के लिए तीन प्राथमिकताएं प्रस्तुत करने का एक बार का विकल्प प्रदान किया है।
आयोग के निर्देश का पालन करने के लिए, शरद पवार गुट को राजनीतिक गठन के लिए अपना चुना हुआ नया नाम प्रस्तुत करना होगा और 7 फरवरी को शाम 4 बजे तक राज्यसभा सीटों के लिए अपनी प्राथमिकताएं प्रदान करनी होंगी।
ऐसा करने में विफलता के परिणामस्वरूप विधायक शरद पवार के साथ जुड़ जाएंगे। चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 39एए के प्रयोजन के लिए गुट को स्वतंत्र माना जा रहा है।
चुनाव आयोग ने शरद गुट से मांगे 3 नाम
चुनाव आयोग के मुताबिक, शरद पवार गुट समय पर बहुमत साबित नहीं कर सका, इसके चलते चीजें उनके पक्ष में नहीं गईं।
राज्यसभा की 6 सीटों के लिए चुनाव की समयसीमा को ध्यान में रखते हुए शरद पवार गुट को चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम 39AA का पालन करने के लिए विशेष रियायत दी गई हैं।
उन्हें 7 फरवरी शाम तक नई पार्टी गठन के लिए तीन नाम देने को कहा गया है। नाम नहीं देने पर आयोग अपनी तरफ से शरद पवार गुट को नाम और चुनाव चिह्न अलॉट करेगा।
अजित पवार ने बगावत कर खुद को बताया था NCP अध्यक्ष
अजित पवार ने 40 विधायकों के समर्थन से खुद को पार्टी का नया अध्यक्ष भी घोषित कर दिया था।
तब शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग से कहा था कि पार्टी में कोई विवाद नहीं है। सिर्फ कुछ शरारती लोग अपने व्यक्तिगत हितों के लिए पार्टी से अलग गए हैं।
कैसे तय होता है किसी पार्टी का असली बॉस?
किसी पार्टी का असली बॉस कौन है, इसका फैसला तीन पॉइंट पर किया जाता है:-
-किस गुट के पास चुने हुए प्रतिनिधि ज्यादा हैं?
-ऑफिस के पदाधिकारी किसके पास ज्यादा हैं?
-पार्टी की संपत्तियां किस गुट के पास ज्यादा हैं?
हालांकि, जिस गुट के पास ज्यादा सांसद-विधायक होते हैं, आयोग उसे ही असली पार्टी मानती है।
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