
Rajiv-Gandhi-assassination-case-convict-Perarivalan-released-from-the-supreme-court- after-31-years
नई दिल्ली:भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड(Rajiv-Gandhi-assassination-case)में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में शामिल हत्यारे ए.जी.पेरारिवलन(AG Perarivalan)को रिहा कर दिया। पेरारिवलन 31 साल से जेल में बंद(Rajiv-Gandhi-assassination-case-convict-Perarivalan-released-from-the-supreme-court- after-31-years)है।
सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन को मानवीयता और जेल में अच्छे आचरण के आधार पर बरी किया है। पेरारिवलन ने मानवीयता के आधार पर दया याचिका दाखिल की थीं।
वहीं पूर्व पीएम राजीव गांधी(Former PM Rajiv Gandhi)के हत्यारे की रिहाई पर कांग्रेस(Congress)प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पीएम मोदी को आड़े हाथ लेकर पूछा कि क्या यही राष्ट्रवाद(Congress ask Modi-Is-this-nationalism)है।
आपको बता दें कि देश के सबसे युवा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नृशंस हत्या(Rajiv-Gandhi-assassination)21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक आत्मघाती बम धमाके में कर दी गई थी। उनके शव के चिथड़े-चिथड़े हो गए थे।
ए जी पेरारिवलन ने राजीव गांधी(Rajiv Gandhi)की हत्या में मुख्य आरोपी की मदद की थी।
इस बम धमाके में जिस आत्मघाती जैकेट का इस्तेमाल हुआ था, उसमें लगी दो 9 वोल्ट की बैटरी खरीदकर मास्टरमाइंड शिवरासन को देने के आरोप में ए. जी. पेरारिवलन को 11 जून 1991 को दोषी ठहराया गया था।
आपको बता दें की राजीव गांधी हत्याकांड(Rajiv Gandhi Hatya Kand) में दोषी पाए जाने के बाद एजी पेरारिवलन को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद आज 31 साल बाद चलते सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने अपनी विशेष ताकतों का प्रयोग कर उन्हें रिहा कर दिया(Rajiv-Gandhi-assassination-case-convict-Perarivalan-released-from-the-supreme-court- after-31-years) है।
सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन को रिहा करने के लिए अनुच्छेद 142 का उपयोग किया है। इसके तहत कोर्ट किसी भी मामले में कंप्लिट जस्टिस के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करता है।
रिहाई पर क्या बोला पेरारिवलन?
कोर्ट से राहत मिलने के बाद पेरारिवलन ने मीडिया को कहा कि मैं 31 साल से संघर्ष कर रहा हूं। अब बाहर आऊंगा और हम अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस मामले में मृत्युदंड की आवश्यकता नहीं है। यह सिर्फ दया का मामला नहीं है। कोर्ट ने भी ऐसा माना है।
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सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान ले राजीव गांधी के हत्यारे को किया रिहा,कहा-आंख नहीं बंद कर सकते
सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court)ने लंबे समय से तमिलनाडु के राज्यपाल के पास लंबित एजी पेरारिवलन की रिहाई याचिका में देरी के चलते स्वयं संज्ञान लेते हुए यह फैसला सुनाया है।
दरअसल, एजी पेरारिवलन 31 साल से ज़्यादा समय से राजीव गांधी की हत्या में शामिल होने के आरोपों पर सजा काट रहे हैं।
जेल में सजा के दौरान राज्य सरकार ने उन्हें रिहा करने का आदेश सुनाया था, जो कि अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल की अनुमति के लिए लंबे समय से उनके पास लंबित पड़ा था।
जिसके चलते अब मामले को संज्ञान में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने एजी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दे दिया(Rajiv-Gandhi-assassination-case-convict-Perarivalan-released-from-the-supreme-court- after-31-years) है।
इस मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सरकार कानून का पालन नहीं करेगी, तो हम आंख मूंद नहीं सकते हैं।
साथ ही कहा था कि राज्यपाल कैबिनेट के फैसले को मानने के लिए बाध्य है, लेकिन अब तक इसे अमल में नहीं लाया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता ने की थी रिहाई की अपील
इस मामले में पहले जयललिता और फिर ए. के. पलानीसामी ने तमिलनाडु कैबिनेट में 2016 और 2018 में दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी, लेकिन राज्यपालों ने इसे नहीं माना था। आखिर में इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया था।
पेरारिवलन को 1998 में टाडा अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। साल 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा, लेकिन 2014 में इसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया।
राहत नहीं मिलने के बाद पेरारिवलन और अन्य दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। दोषियों ने दलीलें दी कि 16 साल से ज्यादा की सजा भुगतने के बाद भी अन्य दोषियों की तरह उन्हे छूट से वंचित कर दिया गया है।
अब तक वे तीन दशक तक जेल की सजा काट चुके हैं।
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गौरतलब है कि पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या मामले में दोषी एजी पेरारिवलन पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने 1999 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी।
फांसी की सजा होने के बाद पेरारिवलन ने तमिलनाडु के राज्यपाल को दया याचिका का पत्र लिखा था तथा राज्यपाल द्वारा इस याचिका को राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक दया याचिका पर लम्बा समय व्यतीत हो चुका है तथा राज्यपाल के पास अनुच्छेद 161 के तहत अंतिम फैसला लेने की पूर्ण शक्ति है, इसलिए दया याचिका को राष्ट्रपति के पास भेजने की कोई ज़रूरत नहीं थी।
हालांकि, 2014 में पेरारिवलन की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने के साथ ही आज सुप्रीम कोर्ट ने उनकी रिहाई के आदेश भी पारित कर(Rajiv-Gandhi-assassination-case-convict-Perarivalan-released-from-the-supreme-court- after-31-years)दिए।
(इनपुट एजेंसी से भी)