आपके कुछ करने तक तो,तीसरी लहर भी बीत चुकी होगी-कोरोना से मौत पर मुआवजा देने की नीति न बनाने पर सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार
कोरोना से मुआवजा की नीति के जवाब(Covid-relief-norms-delay)में देरी पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को केंद्र से नाराज हुआ और उसने सुनवाई में टिप्पणी करते हुए कहा कि "आप जब तक कदम उठाएंगे, तब तक तीसरी लहर(Third Wave) भी आकर जा चुकी होगी।"
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नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट(SC) ने आज केंद्र सरकार(Centre)को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि जब तक आप कोरोना से मरने वालों के परिजनों को मुआवजा देने की नीति बनाएंगे तब तक तो तीसरी लहर भी आकर जा चुकी होगी।
दरअसल,सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को मुआवजा नीति बनाने और डेथ सर्टिफिकेट में मौत की सही वजह दर्ज करने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे।
लेकिन केंद्र ने इस बारे में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया और न ही कोई ठोस नीति बनाकर उसका जवाब सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में दाखिल किया।
कोरोना से मुआवजा की नीति के जवाब(Covid-relief-norms-delay)में देरी पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को केंद्र से नाराज हुआ और उसने सुनवाई में टिप्पणी करते हुए कहा कि “आप जब तक कदम उठाएंगे, तब तक तीसरी लहर(Third Wave) भी आकर जा चुकी होगी।”
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सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कोरोना से मृत्यु के मुआवजे पर क्या दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court)ने 30 जून को दिए अपने आदेश में कहा था कि देश में कोविड से हुई प्रत्येक मौत पर मुआवजा दिया जाए।
कोर्ट ने नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) से कहा था कि वह 6 हफ्ते में मुआवजे की रकम तय कर राज्यों को सूचित करे।
कोर्ट ने माना था कि इस तरह की आपदा में लोगों को मुआवजा देना सरकार का वैधानिक कर्तव्य है. लेकिन मुआवजे की रकम कितनी होगी, यह फैसला कोर्ट ने सरकार पर ही छोड़ दिया था।
दरअसल,इस मामले के याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि अस्पताल से मृतकों को सीधा अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा है।
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न उनका पोस्टमॉर्टम होता है, न डेथ सर्टिफिकेट में लिखा जाता है कि मृत्यु का कारण कोरोना था।
ऐसे में अगर मुआवजे की योजना शुरू भी होती है तो लोग उसका लाभ नहीं ले पाएंगे।
इस पर कोर्ट ने कहा था कि कोरोना से मरने वालों के मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत की वजह साफ लिखी जानी चाहिए।
सर्टिफिकेट पाने की प्रक्रिया सरल बनाई जाए। अगर पहले जारी हो चुके सर्टिफिकेट से परिवार को कोई शिकायत है तो उसका निराकरण किया जाए।
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शीर्ष अदालत में आज सुनवाई में क्या हुआ?
3 सितंबर यानि आज यह मामला जस्टिस एम आर शाह और अनिरुद्ध बोस की बेंच में लगा।
सुनवाई की शुरुआत में ही एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को सूचित किया कि अब तक हलफनामा दाखिल नहीं हो पाया है।
भाटी ने इसके लिए 10 दिन का समय मांगा।
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कोर्ट में मौजूद सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि मामला अभी सरकार के पास विचाराधीन है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बेंच के अध्यक्ष जस्टिस शाह ने कहा कि आदेश आए हुए लंबा समय बीत चुका है।
सरकार जब तक कुछ करेगी, तब तक तीसरी लहर भी बीत चुकी(Third-wave-will-also-be-over-SC-pulls-up-Centre-over-Covid-relief-norms-delay) होगी।
कोर्ट ने कहा कि सरकार पहले भी समय मांग चुकी है। अब वह 11 सितंबर तक जवाब दाखिल कर दे।
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