दर्द-दौलत शायरी : दर्द कितना खुशनसीब है ….जिसे पा कर लोग ….
.....अपनों को याद करते है, दौलत कितनी बदनसीब है जिसे पा कर लोग....
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दर्द सबके एक है,
मगर हौंसले सबके अलग अलग है,
कोई हताश हो के बिखर गया
तो कोई संघर्ष करके निखर गया !
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ज़िन्दगी गुज़रने लगी है..
अब तो किश्तों पर..!
पचास ग्राम का मोबाइल..
भारी पड़ गया है..
सभी रिश्तो पर..
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दर्द कितना खुशनसीब है जिसे
पा कर लोग अपनों को याद
करते है, दौलत कितनी
बदनसीब है जिसे पा कर लोग
अक्सर अपनों को भूल जाते है..
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(इनपुट सोशल मीडिया से )
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