
gunhgar-shayris sayari-ki-duniya shayari-ki-kitab indian-shayari
न जाने कोन-सी साजिशों के हम
शिकार हो गए ,
जितना दिल साफ़ रखा
उतना “गुनहगार” हो गए ।
धोखेबाज शायरी : रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे…
रिश्तों की दलदल से कैसे
निकलेंगे…
जब हर साजिश के पीछे अपने ही
निकलेंगे…
दूरियाँ
तो पहले ही आ चुकी थी ज़माने में ,
कोरोना ने आकर
इल्ज़ाम अपने सर ले लिया ।
मँज़िले बड़ी ज़िद्दी होती हैँ ,
हासिल कहाँ नसीब से होती हैं !
मगर वहाँ तूफान भी हार जाते हैं ,
जहाँ कश्तियाँ ज़िद पर होती हैँ !
यह शायरियां भी पढ़े : (gunhgar-shayris sayari-ki-duniya shayari-ki-kitab indian-shayari)
आरजू शायरी : तेरी आरजू ने कुछ यू दीवाना किया, ख्वाब की जूस्तजु ने खुद से बेगाना किया..
बारिश शायरी : बादलों के दरमिया साजिश होने लगी…कल उसने मिलने का वादा किया था…
इश्क शायरी : इश्क़ जब इबादत बन जाता है तो खुदा खुद हमारे इश्क़ की
Life Shayari : हवाओं की भी अपनी…अजब सियासतें हैं साहब,
कोरोना शायरी : दूरियाँ तो पहले ही आ चुकी थी ज़माने में…..
मुस्कान शायरी : हम तो खुशियाँ उधार देने का कारोबार करते हैं, साहब…!
जिंदगी शायरी : तलाश ज़िन्दगी की थी, दूर तक निकल पड़े ….