शायरी – निकले हैं वो लोग, हमारी शख्शियत बिगाड़ने !
जिनके खुद के किरदार... मरम्मत मांग रहे हैं !
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निकले हैं वो लोग
हमारी शख्शियत बिगाड़ने !
जिनके खुद के किरदार
मरम्मत मांग रहे हैं !
दर्द शायरी : दर्द के बाजार में खूब तरक्की कमा रहा हूँ….
दर्द के बाजार में
खूब तरक्की कमा रहा हूँ….
पहले छोटी से दूकान थी
अब शोरूम चला रहा हूँ….
शायरी : शिकायतें तो बहोत थी ज़िन्दगी से मगर, कोरोना ने मुझे खामोश कर दिया..!!!
कदम कदम पर इम्तिहान रखती है..
ऐ जिंदगी तू मेरा कितना ध्यान रखती है..!!
खुद से जीतने की जिद है मुझे,खुद को ही हराना है..
मैं भीड़ नहीं हूँ दुनिया की,मेरे अन्दर एक जमाना है..!!
कभी मैं तो कभी
वक्त मुझसे जीत गया…
इस खेल में एक साल
और बीत गया…
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वो पूछते हैं इतने गम में भी खुश कैसे हो
मैने कहा, प्यार साथ दे न दे, यार साथ हैं
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कभी मैं तो कभी वक्त मुझसे जीत गया…, इस खेल में एक साल और बीत गया…