
Basoda-Sheetala Ashtami 2025-date-puja-shubh-muhurat-vidhi-basi khana kyo khate hai-हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी(Sheetala Ashtami) व्रत या बसौड़ा(Basoda) की पूजा श्रद्धापूर्वक विधि-विधान से की जाती है।
हिंदू पंचाग के मुताबिक,शीतला अष्टमी(Sheetala Ashtami)प्रतिवर्ष होली(Holi 2025)के आठ दिन बाद आती है। इसी कारण इसे कई राज्यों में होली आठे(Holi Aathe)के नाम से भी जाना जाता है।
दिल्ली,राजस्थान सहित देश के कई अन्य राज्यों में लोग शीतला सप्तमी,शीतला अष्टमी या बसौड़ा/बसोड़ा और होली आठे के नाम से भी मां शीतला देवी के लिए व्रत-पूजा करते (Basoda-Sheetala Ashtami 2025-Holi aathe-date)है।
इस दिन मां दुर्गा(Durga)के शीतल स्वरूप शीतला माता(Sheetla Devi Maa)के रूप की पूजा की जाती है। शीतला अष्टमी/बसौड़ा/होली आठे पर माता को उनके पसंदीदा पकवानों का भोग लगाया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि शीतला माता(Sheetala Mata)भक्त को शीतलता यानि सुख,शांति और रोग रहित जीवन प्रदान करती है।
आपको बता दें कि शीतला अष्टमी व्रत(Sheetala Ashtami Vrat Puja)पूजा में मां शीतला देवी को बासी भोजन का ही भोग लगाया जाता है,जिसे ठंडा खाना(Thanda Khana)भी कहते है।
यही कारण है कि शीतला अष्टमी को बसौड़ा(Basoda 2025)के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष शीतला अष्टमी यानि बसौड़ा आज,22 मार्च(Basoda-Sheetala Ashtami 2025-date),शनिवार के दिन पड़ रहा है।
शीतला माता के भक्तगणों के बीच यह दिन बहुत महत्व रखता(Basoda-Sheetala Ashtami 2025-date-puja-shubh-muhurat-vidhi)है।
बसौड़ा या शीतला अष्टमी और शीतला सप्तमी (Basoda ya Sheetala Ashtami)के दिन शीतला माता को मीठे गुड़ के चावल,दही,हलवा-पूरी,ऐठी-गेंठी और जल का भोग प्रसाद स्वरूप लगाया जाता है और एक दिन पहले रात में ही इन पकवानों को बना लिया जाता है।
भक्तगण अपने-अपने राज्य व परिवार के नियमों के मुताबिक शीतला माता के लिए पकवान तैयार करते है। लेकिन एक नियम सभी जगह एक समान होता है
और वो है कि शीतला माता को बासी खाने का भोग लगाया जाता है और सभी लोग परिवार में उस दिन बासी खाने को ही प्रसाद के रूप मे खाते है।
बसौड़ा से एक रात पहले तैयार भोजन को शीतला अष्टमी के दिन तड़के सूरज निकलने से पहले शीतला माता की पूजा(Sheetala Devi Puja)करते हुए भोग के रूप में चढ़ाया जाता है।
और फिर घर के सभी लोग स्वंय भी पूरा दिन इस बासी या ठंडे भोजन का सेवन करते है।
इस वर्ष लोगों के बीच संशय बरकरार है कि आखिर बसौड़ा या शीतला अष्टमी/सप्तमी या होली आठे और ठंडा खाना कब(Basoda-Sheetala Ashtami 2025-Holi aathe-date-kab hai-puja-shubh-muhurat-vidhi)है? 21 मार्च या 22 मार्च।
जैसा कि हम पहले ही बता चुके है कि होली से आठ दिन बाद आने के कारण ही बसौड़ा को ही शीतला अष्टमी कहते है और सात दिन बाद आने को शीतला सप्तमी(Sheetala Saptami)कहा जाता है।
शीतला सप्तमी/शीतला अष्टमी/बसौड़ा/ होली आठे,ठंड़ा खाना सब एक ही है। बस विभिन्न राज्य और समुदायों के मुताबिक इनके नाम अलग-अलग है। शीतला अष्टमी पर मां दुर्गा के अन्य स्वरूप शीतला माता की पूजा की जाती है और उन्हें बासी खाने का भोग लगाया जाता है।
जिस प्रकार भद्र्काली माता असुरों का अंत करती हैं, उसी तरह शीतला माता सभी रोग व कष्ट रूपी असुरों का अंत करती हैं।
तो चलिए बताते है बसौड़ा या शीतला अष्टमी की सही तिथि,व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त,विधि और महत्व क्या है? आखिर शीतला माता को बासी खाने का ही भोग क्यों लगाया जाता(Basoda-Sheetala Ashtami 2025-date-puja-shubh-muhurat-vidhi)है।
आपके इन सभी सवालों का जवाब इस लेख में हम दे रहे है।
बसौड़ा या शीतला अष्टमी 2025 या होली आठे कब है? Basoda Sheetala Ashtami 2025 Holi Aathe kab hai

जानें शीतला सप्तमी कब है?
बसौड़ा या शीतला सप्तमी ,21 मार्च,शुक्रवार।
हिंदू पंचांग के अनुसार, सप्तमी तिथि का प्रारंभ 21 मार्च,शुक्रवार के दिन तड़के 2 बजकर 45 मिनट पर होगा और समापन 22 मार्च शनिवार को सुबह 4 बजकर 23 मिनट को होगा।
उदया तिथि को देखते हुए जो लोग शीतला सप्तमी या बसौड़ा का व्रत-पूजन करते हैं, वे 21 मार्च, शुक्रवार के दिन शीतला माता की पूजा करें।
शीतला सप्तमी पूजा का शुभ मुहूर्त – 21 मार्च,शुक्रवार सुबह 5 बजकर 37 मिनट से 6 बजकर 40 मिनट तक।
जानें शीतला अष्टमी कब है?
बसौड़ा या शीतला अष्टमी,22 मार्च, शनिवार।
हिंदू पंचांग के मुताबिक,अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 मार्च, शनिवार के दिन सुबह 4 बजकर 23 मिनट पर हो रही है और समापन 23 मार्च, रविवार के दिन, सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर होगा।
उदया तिथि को देखते हुए जो लोग अष्टमी तिथि या बसौड़ा पर शीतला माता की पूजा करते हैं, वे 22 मार्च, शनिवार के दिन शीतला माता की पूजा अर्चना करें।
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त – 22 मार्च,शनिवार, सुबह 5 बजकर 20 मिनट से 6 बजकर 33 मिनट तक।

बसौड़ा या शीतला अष्टमी या होली आठे का महत्व- Basoda Importance

शीतला सप्तमी व अष्टमी तिथि को शीतला माता को बासी खाने का भोग लगया जाता है और घर के सभी सदस्य पूरे दिन बासी खाना खाते हैं इसलिए इस पर्व को बसौड़ा या बसोड़ा कहा जाता है। यह पर्व शीत ऋतु का अंत और ग्रीष्मकाल के आरंभ का प्रतीक भी है।
मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से शीतला माता की पूजा अर्चना करता है, उसके सभी रोग व कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख, शांति, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
शीतला माता की पूजा अर्चना करने से चिकन पॉक्स, खसरा, चेचक, दुर्गन्धयुक्त फोडे, नेत्र विकार, पीतज्वर और दाहज्वर आदि रोग खत्म हो जाते हैं और मन व शरीर को रोगों से शीतलता मिलती है, ऐसी धार्मिक मान्यताएं हैं।
जानें बसौड़ा पर बासी खाने का भोग क्यों लगाया जाता है?- Basoda pe basi khana kyo khate hai
शाीतला माता का भोग और घर के सदस्यों के लिए एक दिन पहले ही भोजन बनाकर तैयार कर लिया जाता है। फिर अगले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर महिलाए स्नान व ध्यान करने के बाद शीतला माता की पूजा करती हैं और माता को बासी यानी ठंडे भोजन का भोग लगाती हैं।
इस दिन घर के सभी सदस्य शीतल भोजन ही करते हैं क्योंकि इस दिन चूल्हा ना जलाने की परंपरा है।
घर के सदस्यों को ताजी खाना बसौड़ा के अगले दिन ही यानी अगर सप्तमी तिथि को पूजा कर लेते हैं तो अष्टमी तिथि को अगर अष्टमी तिथि को पूजा कर रहे हैं तो नवमी तिथि को मिलता है।
बिहार में बसौड़ा के एक दिन पहले कढ़ी-चावल खाने की परंपरा भी है।
यह पर्व ऋतुओं के बदलने को दर्शाता है इसलिए ऋतु बदलने पर ठंडा खाना खाने की परंपरा बनाई गई है। होली के बाद मौसम में बदलाव आने लगता है।
ठंड पूरी तरह खत्म हो जाती है और गीष्म ऋतु का आगमन होता है। बसौड़ा के दिन मुख्य रूप से चावल व घी का भोग लगाया जाता है।
मगर चावल को एक दिन पहले ही बनाकर रख लिया जाता है, इन चावल को गुड़ या गन्ने के रस से बनाए जाते हैं।
मान्यता है कि इस दिन के बाद से बासी भोजन करने की मनाही होती है क्योंकि इस पर्व के बाद तेज गर्मी पड़ना शुरू हो जाती है और कई तरह की बीमारियों का खतरा भी बना रहता है।
Basoda-Sheetala Ashtami 2025-date-puja-shubh-muhurat-vidhi
गुडगांव में है शीतला माता का 500 साल पुराना प्राचीन मंदिर । Sheetala mata mandir gurugram
