Chandra Grahan 2023:आज बुद्ध पूर्णिमा के दिन है साल का पहला चंद्र ग्रहण,जानें ग्रहण का समय, सूतक काल
5 मई 2023,शुक्रवार बुद्ध पूर्णिमा के दिन वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण रात 08 बजकर 44 मिनट से शुरू हो रहा है। चंद्र ग्रहण 2023 की समाप्ति 6 मई की रात 1 बजकर 02 मिनट पर होगी।
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आज बुद्ध पूर्णिमा के दिन इस साल का पहला चंद्र ग्रहण(Chandra-Grahan)पड़ रहा है। 5 मई,शुक्रवार के दिन पूरे 130 साल बाद यह बेहद दुलर्भ संयोग है जब वैशाख या बुद्ध पूर्णिमा(Buddha-Purnima)के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण(Chandra-Grahan-2023-First-Lunar-Eclipse-today)लग रहा है।
हालांकि बुद्ध पूर्णिमा के दिन लग रहा यह चंद्र ग्रहण उपछाया ग्रहण है। इसमें चंद्रमा का कोई भी हिस्सा कटा हुआ नहीं दिखेगा। किंतु चंद्रमा की रोशनी में धुंधलापन दिखेगा।
आपको बता दें कि अभी 15 दिन पहले इस साल का का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल 2023(Solar Eclipse 2023) को पड़ा था। यानि पंद्रह दिन के अंतराल पर यह इस वर्ष का दूसरा ग्रहण है।
ऐसे में चंद्र ग्रहण का समय और सूतक काल ध्यान रखना जरूरी(Chandra-Grahan-2023-First-Lunar-Eclipse-today-on-Buddha-Purnima-time-Sutak-Kaal)है।
यूं तो चंद्र ग्रहण(Lunar-Eclipse)और सूर्य ग्रहण(Solar Eclipse)खगोलीय घटनाएं है लेकिन हिंदू धर्म में इनका विशेष महत्व माना गया है। प्रति वर्ष वैशाख पूर्णिमा की तिथि को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।
दरअसल, बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान गौतम बुद्ध(Gautam Buddha Birthday)का जन्म हुआ था। इसे निर्वाण दिवस के रूप में भी पूजा जाता है।
आज के दिन पूरे 130 साल बाद यह दुर्लभ संयोग हुआ है कि साल का पहला चंद्र ग्रहण भी पड़ने जा रहा है।
तो चलिए अब आपको बताते है कि बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण कितने बजे से लग रहा है और सूतक काल कब से शुरू हो रहा है-Chandra-Grahan-2023-First-Lunar-Eclipse-today-on-Buddha-Purnima-time-Sutak-Kaal
चंद्र ग्रहण आरंभ-अंत समय (Chandra Grahan 2023 start-end Time)
5 मई 2023,शुक्रवार बुद्ध पूर्णिमा के दिन वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण रात 08 बजकर 44 मिनट से शुरू हो रहा है।
चंद्र ग्रहण 2023 की समाप्ति 6 मई की रात 1 बजकर 02 मिनट पर होगी।
यानि इस हिसाब से देखें तो आज चंद्र ग्रहण की अवधि पूरे 4 घंटे 15 मिनट की होगी।चंद्र ग्रहण का परमग्रास समय रात 10 बजकर 53 मिनट पर है। ये उपछाया चंद्र ग्रहण तुला राशि और स्वाती नक्षत्र में लगेगा।
चंद्र ग्रहण शुरु होने से 9 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है।
तो चलिए अब आपको बताते है चंद्र ग्रहण का सूतक काल समय
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चंद्र ग्रहण सूतक काल समय और नियम (Chandra Grahan 2023 Sutak Kaal time)
भले ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चंद्र ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है,जोकि तब होती है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आ जाता है। यह दिन पूर्णमा(Purnima)का होता है।
दरअसल, पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण(Lunar Eclipse)इसलिए लगता है क्योंकि इस दिन सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध मे आ जाते है।
साल का यह पहला चंद्र ग्रहण एक उपछाया ग्रहण है। सूर्य ग्रहण का सूतक काल(Sutak Kaal)जहां 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है तो वहीं चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले लग जाता है।
यानि आज चंद्र ग्रहण का सूतक काल 5 मई 2023 की सुबह 11 बजकर 45 मिनट से शुरू हो रहा(Chandra Grahan 2023 Sutak Kaal time)है।
सूतक काल में कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है:
-जैसे कि तुलसी में जल डालना,पूजा और भोजन खाना नहीं चाहिए। ग्रहण खत्म होने पर स्नान करके पूजा करनी चाहिए।
-सूतक काल से पहले बने हुए भोजन और पानी में तुलसी के पत्ते डालकर रखने चाहिए और तभी उसका इस्तेमाल करना चाहिए।
-ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
-उन्हें छुरी,कांटा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और न ही पैर मोड़कर बैठना चाहिए।
-इस दौरान गर्भवती महिलाएं सीधी अवस्था में लेटकर ज्यादा से ज्यादा आराम करें और मंत्र सुने।
लेकिन चूंकि आज साल का पहला चंद्र ग्रहण(First-Lunar-Eclipse-today)उपछाया ग्रहण है जोकि भारत में नहीं दिखेगा। इसलिए यहां पर सूतक काल भी नहीं माना जाएगा।
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चंद्र ग्रहण किन-किन जगहों पर दिखेगा (Chandra Grahan 2023)
साल का पहला चंद्र ग्रहण यूरोप, एशिया के ज्यादातर हिस्से, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, प्रशांत,अटलांटिक,अंटार्कटिका और हिंद महासागर में नजर आएगा।
चंद्र ग्रहण के प्रतिकूल प्रभाव (Chandra Grahan Effect)
कई बार लोगों को अमावस्या और पूर्णिमा पर अपने व्यवहार और मनो:स्थिति में कुछ बदलाव सा महूसस होता है,जिसके पीछे कारण यह होता है कि अंतरिक्ष में ग्रह-नक्षत्रों का परिवर्तन आपके स्वभाव पर असर डालता है।
चंद्रमा को मन का कारक कहा जाता है। इसलिए चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभाव से प्रभावित व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रस्त रहता है। वह निर्णय लेने में सक्षम नहीं रह पाता । उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन रहता है।
इसलिए धार्मिक मान्यतानुसार,चंद्र ग्रहण पर दुष्प्रभाव से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा ईश्वर के ध्यान,मंत्रोच्चारण में व्यस्त रहें।
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