
Eid-ul-Adha-2023-date-Bakrid-2023-kab-hai-ese-kurbani-parv-kyo-kahte-hai
ईद(Eid 2023)का त्यौहार भाईचारे और प्रेम का प्रतीक है।इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक,ईद-उल-अजहा(Eid-ul-Adha-2023)का पर्व रमजान(Ramazan) खत्म होने के 70 दिन पश्चात धूमधाम से मनाया जाता है।
ईद-अल-अजहा को ‘बकरीद’ (Bakra eid-Eid ul-adha)और ‘ईद ए कुर्बां’ के भी कहा जाता है।
बकरीद(Bakrid)यानि ईद-उल-अजहा(Eid-ul-Adha)मुस्लिम संप्रदाय का पवित्र त्यौहार है।जोकि इस्लामिक(Islam)कैलेंडर के आखिरी महीने जुल-हिज्जा में श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है।
इस वर्ष ईद-उल-अजहा की तिथि को लेकर लोगों के बीच कंफ्यूजन जारी है। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि बकरीद यानि ईद-उल-अजहा भारत में कब(Eid-ul-Adha-2023-date-Bakrid-2023-kab-hai)है।
यह 28 जून को मनाई जाएंगी या फिर 29 जून 2023को।
लेकिन आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है चूंकि हम बता रहे है बकरीद अर्थात ईद-उल-अजहा की सटीक तिथि(Eid-ul-Adha-2023-date-Bakrid-2023-kab-hai-ese-kurbani-parv-kyo-kahte-hai) और महत्व।
बकरीद के दिन लोग तड़के नहा-धोकर नए कपड़े पहने है और फिर मस्जिद जाकर नमाज पढ़ते है।
इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है और फिर उसका एक भाग दोस्तो, नाते-रिश्तेदारों कॆे बीच और गरीब-जरूरतमंदो के बीच बांट दिया जाता है।
आपको बता दें कि ईद-उल-अजहा यानि बकरा ईद के दिन जानवरों की कुर्बानी देने की परंपरा है। अब आप जानना चाहेंगे कि इस साल बकरीद या ईद-उल-अजहा कब(Eid-ul-Adha-2023-date-Bakrid-2023-kab-hai-ese-kurbani-parv-kyo-kahte-hai)है?
तो आपको बता दें कि इस वर्ष ईद उल अजहा यानी बकरीद 29 जून,गुरुवार को मनाई(Bakra-eid-kab-hai-2023-Eid-ul-adha-2023-date)जाएगी।

ईद-उल-अजहा(Eid al-Adha 2023) को कुर्बानी पर्व भी कहा जाता है।
ईद-उल-अजहा की तारीख हर साल बदलती रहती है और इस वर्ष यह यानि बकरीद 29 जून,गुरुवार(Bakrid 2023,29 June)के दिन है।
यह त्यौहार अल्लाह के प्रति बलिदान,त्याग और सेवा को समर्पित है।
चलिए अब आपको बताते है कि बकरीद(Bakra-eid) या ईद-उल-अजहा (Eid-ul-adha)कैसे मनाई जाती है,इसका क्या महत्व है।
इसे कुर्बानी पर्व या बकरीद क्यों कहा जाता(Bakra-eid-kab-hai-2022-Eid-ul-adha-2022-date)है।
ईद उल फितर(eid-ul-fitr)यानि मीठी ईद के 70 दिन के बाद बकरीद का त्यौहार मुस्लिम धर्म के लोग मनाते है।
ईद उल अज़हा भारत और दुनिया भर में पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया जाता है।
इस दिन मुसलमान ईदगाह या मस्जिद(Masjid)में जमा होते हैं और जमात के साथ 2 रकात नमाज(Namaz) अदा करते हैं।
यह नमाज अमूमन सुबह के समय आयोजित की जाती है।
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Eid-ul-Adha-2023-Bakrid-2023-kab-hai–बकरीद कब है?

इस साल 2023 में भारत में बकरीद 29 जून(Bakra-eid-in-India)गुरुवार को मनाई जा रही है।
ईद उल अजहा इस्लामी कैलेंडर का 12वां और आखिरी महीना होता है।
आपको बता दें कि बकरीद का त्यौहार चांद दिखने के 10वें दिन मनाया जाता है और ईद उल ज़ुहा या अजहा या बकरीद, ईद उल फित्र के दो महीने, नौ दिन बाद मनाई जाती है।
बकरीद को कुर्बानी का पर्व क्यों कहा जाता है?-bakrid-ko-kurbani-parv-kyo-kahte-hai
बकरा ईद(Bakra eid)लोगों को सच्चाई की राह में अपना सबकुछ कुर्बान कर देने का संदेश देती है।
ईद-उल-अजहा(Eid ul-adha) को हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है।
हजरत इब्राहिम अल्लाह(Allah)के हुकम पर अपनी वफादारी दिखाने के लिए अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे।
जब हजरत इब्राहिम अपने बेटे को कुर्बान करने के लिए आगे बढ़े तो खुदा ने उनकी निष्ठा को देखते हुए इस्माइल की कुर्बानी को दुंबे की कुर्बानी में परिवर्तित कर(Eid-ul-Adha-2023-date-Bakrid-2023-kab-hai-ese-kurbani-parv-kyo-kahte-hai)दिया।
बस तभी से ईद-उल-अजहा को कुर्बानी पर्व(Kurbani Parv) के रुप में मनाया जाने लगा।
बकरा ईद पर सबसे पहले मस्जिदों में नमाज अदा की जाती है। इसके बाद बकरे या दुंबे-भेड़ की कुर्बानी दी जाती है।
कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। इसमें से एक हिस्सा गरीबों को जबकि दूसरा हिस्सा दोस्तों और सगे संबंधियों को दिया जाता है।
वहीं, तीसरे हिस्सा अपने परिवार के लिए रखा जाता है।
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जानें मीठी ईद और बकरीद में अंतर-How-Celebrate-Bakrid
मीठी ईद(Mithi eid) की तरह बकरीद(Bakrid) भी खुशी के साथ मनाई जाती है, बस ईद-उल-फितर और बकरीद में फर्क इतना है कि ईद-उल-फितर खुशी के तौर पर देखा जाता है
रमजान(Ramzaan) के तोहफे के तौर पर मनाई जाती है और eid-ul-adha यानी की बकरीद गरीब और जरुरतमंदों के साथ मिलकर मनाई जाती है ।
कुर्बानी का जो कांसेप्ट है उसका भी यही मतलब है कि वह गोश्त गरीबों में तक्सीम करें ताकि गरीबों को एक वक्त का खाना मिल सके।
नमाज अदा करने के बाद वे भेड़ या बकरी की कुर्बानी (बलि) देते हैं और परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों और गरीबों के उसे साझा करते हैं।
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