
Chaitra-Navratri-2023 Maha-navmi 9-Day-siddhidatri-puja-shubh-muhurat-kanya-pujan-time-vidhi-ramnavami
नयी दिल्ली (समयधारा) : आज मां दुर्गा (Maa Durga) के नौ स्वरूपों को समर्पित पावन पर्व चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023)का नौवां दिन है।
नवरात्रि के नौवें दिन को महानवमी (Chaitra-Navratri-2023-Maha-Navami) या (Chaitra navratri 2023 RamNavami) भी कहा जाता है।
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 2023 में महानवमी,गुरुवार 30 मार्च 2023 को (Chaitra-Navratri-2023-Maha-Navami) है।
महानवमी के दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की विधिवत आराधना होती (Chaitra-Navratri-2023-Maha-navami-9-Day-mahagauri-puja-shubh-muhurat) है।
हिंदू पुराणों की मान्यतानुसार, यदि भक्तगण संपूर्ण नौ नवरात्रि (Navratri) व्रत और पूजा नहीं कर सकें तो महज नवमीं और नवमी के दिन पूजा और व्रत करने से मां दुर्गा की नवरात्रि का पूरा फल मिल जाता है।
महानवमी या रामनवमी (MahaNavami) के दिन मां सिद्धिदात्री (Maa siddhidatri) की पूजा के साथ-साथ कन्या पूजन करने का भी विधान है।
इस दिन आठ कन्याएं और एक लड़का कंचक-पूजा में बैठाया जाता (Chaitra-Navratri-2023-Maha-navmi-9-Day-siddhidatri-puja-shubh-muhurat-kanya-pujan-time-vidhi)है।
ठीक इसी तरह से महानवमी यानि नवमी (MahaNavami) के दिन भी कन्या पूजन (Kanya Pujan) किया जाता है और मां सिद्धिदात्री की पूजा विधिवत की जाती है।
महानवमी कन्या पूजन शुभ मुहूर्त-MahaNavami Kanya Pujan Shubh Muhurat
सर्वार्थ सिद्धि योग: 30 मार्च, प्रातः 06:14 से 31 मार्च, प्रातः 06:12 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04: 41 मिनट से प्रातः 05: 28 मिनट तक
इस समय या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्तिथा, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः. मंत्र का जाप करें।
महानवमी के दिन अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11: 45 मिनट से दोपहर 12: 30 मिनट तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए सभी कार्य सिद्ध होते हैं। इस दिन बृहस्पतिवार होने के साथ सुबह से पुनर्वसु नक्षत्र रात्रि 10: 58 मिनट तक रहेगा।
ये योग कन्या पूजन के लिए अतिशुभ माना जाता है।.
कन्या पूजन विधि-Kanya Pujan Vidhi
-महाष्टमी और राम नवमी, जिस दिन भी आप कन्या पूजन करना चाहते हैं सर्वप्रथम मां दुर्गा की आरधना करें।
-अब इसके बाद कन्याओं को बुलाएं और आसन पर उन्हें बिठाएं।
-अब स्वच्छ जल से कन्याओं के पैर दुलाएं और फिर अक्षत और पुष्प से उनकी उपासना करें।
-इसके बाद कन्याओं को हलवा, चना और पूड़ी का भोग लगाएं।
-कन्याओं को भोग लगाने के बाद उन्हें दक्षिणा दें और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें।
-अब प्रसाद खाकर व्रत का पारण करना चाहिए।