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जाने गोवर्धन पूजा का महत्व व शुभ मुहूर्त समय

दीयो के पर्व दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है।

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नई दिल्ली: देश में दिवाली (Diwali) का त्यौहार धूमधाम से मनाया गया l 

और इसी के साथ यह पांच दिन के पर्व दिवाली के धूमधाम से मनाया जाते है।

दीयो के पर्व दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है।

देश के कई भागों में गोवर्धन पूजा को अन्नकूट (Annakoot or Annakut) के नाम से भी सेलिब्रेट किया जाता है।

4 नवंबर, गुरूवार दिवाली का पर्व देश को रोशन कर गया।

इस लिहाज से आज 5 नवंबर 2021, शुक्रवार को गोवर्धन पूजा है।

गोवर्धन पूजा का दिन श्रीकृष्ण (Sri Krishna)को समर्पित है। इस दिन भगवान कृष्ण,गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा करने की परंपरा है।

गोवर्धन पूजा के दिन 56 या 108 प्रकार के पकवान बनाकर श्रीकृष्‍ण जी को भोग लगाया जाता है।

इस प्रकार के नाना पकवानों को ही ‘अन्‍नकूट’ (Annakoot or Annakut) पुकारा जाता है।

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गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का महत्व-govardhan puja-annakoot-significance

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी अंगुली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था।

यानी भगवान कृष्‍ण ने देव राज इन्‍द्र के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी।

इस पावन दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन निर्मित करते है।

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 गोवर्धन पूजा या अन्‍नकूट का पर्व कब मनाया जाता है?why celebrate govardhan puja

गोवर्धन पूजा कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है।

गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) दीवाली (Diwali) के एक दिन बाद यानी दीवाली के एकदम अगले दिन मनाई जाती है।

इस बार गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा 15 नवंबर को है।

 

गोवर्द्धन पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त-

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गोवर्द्धन पूजा / अन्‍नकूट की तिथि: 15 नवंबर 2021

प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 5 नवंबर 2021 को सुबह 6 बजकर 36 मिनट से

प्रतिपदा तिथि समाप्‍त: 6 नवंबर 2021 को सुबह 08 बजकर 04 मिनट तक

गोवर्द्धन पूजा सांयकाल मुहूर्त: 15 नवंबर 2021 को दोपहर 03 बजकर 22 मिनट से शाम 05 बजकर 33 मिनट तक

कुल अवधि: 02 घंटे 10 मिनट

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जानें क्या है अन्नकूट?

अन्नकूट के पर्व पर विभिन्न पकवानों से भगवान की पूजा करने की परंपरा है।

अन्नकूट अर्थात अन्न का समूह। भक्तजन विभिन्न प्रकार की मिठाइयों और पकवानों से श्रीकृष्‍ण को भोग लगाते है।

ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई।

एक और मान्यता है कि एक बार इंद्र अभिमान में चूर हो गए और सात दिन तक लगातार बारिश करने लगे।

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तब भगवान श्री कृष्ण ने उनके अहंकार को तोड़ने और जनता की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को ही अंगुली पर उठा लिया था।
इसके बाद में इंद्र को क्षमायाचना करनी पड़ी थी।

ऐसा कहा जाता है कि उस दिन के बाद से ही गोवर्धन की पूजा आरंभ हुई।

जमीन पर गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर पूजा की जाती है।

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गोवर्द्धन पूजा की विधि

 – गोदवर्द्धन पूजा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शरीर पर तेल लगाने के बाद स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें।

– अब अपने ईष्‍ट देवता का ध्‍यान करें और फिर घर के मुख्‍य दरवाजे के सामने गाय के गोबर से गोवर्द्धन पर्वत बनाएं।

– अब इस पर्वत को पौधों, पेड़ की शाखाओं और फूलों से सजाएं। गोवर्द्धन पर अपामार्ग की टहनियां जरूर लगाएं।

– अब पर्वत पर रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें।

– अब हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए कहें:

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।

विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव: ।।

– अगर आपके घर में गायें हैं तो उन्‍हें स्‍नान कराकर उनका श्रृंगार करें। फिर उन्‍हें रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें। आप चाहें तो अपने आसपास की गायों की भी पूजा कर सकते हैं। अगर गाय नहीं है तो फिर उनका चित्र बनाकर भी पूजा की जा सकती है।

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– अब गायों को नैवेद्य अर्पित करें इस मंत्र का उच्‍चारण करें

लक्ष्मीर्या लोक पालानाम् धेनुरूपेण संस्थिता।

घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु।।

 – इसके बाद गोवर्द्धन पर्वत और गायों को भोग लगाकर आरती उतारें।

– जिन गायों की आपने पूजा की है शाम के समय उनसे गोबर के गोवर्द्धन पर्वत का मर्दन कराएं । यानी कि अपने द्वारा बनाए गए पर्वत पर पूजित गायों को चलवाएं। फिर उस गोबर से घर-आंगन लीपें

– पूजा के बाद पर्वत की सात परिक्रमाएं करें।

– इस दिन इंद्र, वरुण, अग्नि और भगवान विष्‍णु की पूजा और हवन भी किया जाता है।

 

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(इनपुट एजेंसी से भी)

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