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पर्युषण महापर्व का आज से हुआ आगाज, जाने जैन धर्म के इस महापर्व के बारें में

जैन धर्म का मूल है अहिंसा l खानपान आचार नियम का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है l जैनी अहिंसा वादी होते है l वह अहिंसा में विश्वास रखते है l जैनी विश्व के सबसे शांति प्रिय लोग होते है l

 Jain Dharma Paryushan Mahaparva Jainism samvatsari 2022

नई दिल्ली (समयधारा) : दोस्तों धर्म की स्थापना का सबसे बड़ा कारण विश्व व मानव जाती का कल्याण करना है l

इस विश्व में हजारों धर्म है l हर धर्म की अपनी खासियत है l 

इन्ही सब धर्मों में विश्व के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक जैन धर्म के बारें में हम आज आपको जानकारी देंगे l

जैन धर्म का मूल है अहिंसा l खानपान आचार नियम का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है l

जैनी अहिंसा वादी होते है l वह अहिंसा में विश्वास रखते है l जैनी विश्व के सबसे शांति प्रिय लोग होते है l

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कहते है जो अहिंसक है वो शांत स्वभाव का होता है l मन में चाटुकारिता नहीं होती l इसलिए विश्व में जैन सबसे भरोसेमंद कोम मानी जाती है l

आज जैन धर्म के सबसे बड़े पर्व जिसे जैन धर्म में पर्युषण महापर्व कहा जाता है की शुरुआत हुई है l यह महापर्व 8 दिनों तक चलता है l

इस महापर्व में जैनी उपवास आदि रखते है l जैन मंदिरों में नित्य जाना भजन-कीर्तन व जैन साधुओं से व्याख्यान(उपदेश) सुनना इसी में मग्न रहते है जैनी l

 Jain Dharma Paryushan Mahaparva Jainism samvatsari 2022

इस पर्व के समापन यानी 8 वें दिन जैनी एक जगह एकत्रित होकर सामूहिक पूजा जिसे जैन धर्म में संवत्सरी प्रतिकमण करते है l

हर जैन धर्म मानने वालों के लिए यह साल का सबसे बड़ा दिन होता है,  संवत्सरी प्रतिकमण के बाद जैन लोग एक दूसरें से क्षमा मांगते है l

साल भर में-पिछले दिनों में जो भी जाने-अनजाने गलती होती है उसकी क्षमा याचना करते है l जिसे वह मिच्छामि दुक्कडम कहते है l

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इसका मतलब होता है मैं आपसे अपने हर गलत कर्मों का चाहे वह जानबूझकर हुआ हो या अनजाने हुआ हो उसकी क्षमायाचना करता हूँ l

जैन धर्म में यह संवत्सरी महापर्व आज या कल शुरू होता है l इस साल (2022) यह पर्व 24 अगस्त/25 अगस्त के दिन शुरू हो रहा है l

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पर्युषण 2022 की तिथि

पर्युषण की शुरुआत हिंदू चंद्र कैलेंडर के भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से होती है. अंतिम दिन संवत्सरी प्रतिक्रमण है.

पर्युषण पर्व : 24 अगस्त 2022

संवत्सरी पर्व : 31 अगस्त 2022

श्वेतांबर जैन समाज  – (24 अगस्त 2022 से 31 अगस्त 2022 तक) (08 दिन)

तेरापंथ जैन समाज – (25 अगस्त 2022 से 1 सितंबर 2022 तक) (08 दिन)

दिगंबर जैन समाज  –  (31 अगस्त 2022 से 9 सितम्बर 2022 तक) (10 दिन)

 

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