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Pausha Putrada Ekadashi 2025: साल की पहली पौष पुत्रदा एकादशी व्रत पर भद्रा का साया,जानें पूजा शुभ मुूहूर्त,पारण समय

Vaikuntha Ekadashi 2025 Vrat: आज वैकुंठ एकादशी व्रत पर इस समय न करें पूजा,जानें शुभ मुहूर्त और पारण टाइम

नई दिल्ली:Pausha Putrada Ekadashi 2025 vrat date-puja-shubh-muhurat-bhadra-rahukaal-parana-time-वर्ष 2025 की पहली एकादशी 10 जनवरी 2025,शुक्रवार यानि आज है।

इसे पौष पुत्रदा एकादशी(Pausha Putrada Ekadashi)कहते है चूंकि यह पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है।

कई जगह पौष पुत्रदा एकादशी को वैकुंठ एकादशी(Vaikuntha Ekadashi)भी कहा जाता है।

एकादशी(Ekadashi)का दिन भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु(Lord Vishnu) और माता लक्ष्मी(Lakshami) की पूजा विधि-विधान से करने पर मनुष्य को समस्त दुख,रोग और संकट व निर्धनता से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि,स्वास्थ्य व मोक्ष की प्राप्ति होती है।

हिंदू पंचांगानुसार, पुत्रदा एकादशी वर्ष में दो बार आती है। एक पौष मास में और दूसरी श्रावण मास में।

आज 10 जनवरी 2025,शुक्रवार के दिन पौष पुत्रदा एकादशी(Pausha Putrada Ekadashi 2025 vrat)है और भक्तगण आज के ही दिन एकादशी व्रत धारण करें।

मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत को रखने से संतान की प्राप्ति होती है और मनवांछित फल मिलता है। यह दिन विशेष रूप से संतान प्राप्ति और उनकी समृद्धि की कामना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

इसके अलावा, अच्छे स्वस्थ जीवन और सुख-समृद्धि व सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी एकादशी व्रत रखने की मान्यता है।

इस वर्ष पौष पुत्रदा एकादशी व्रत यानि 10 जनवरी 2025 को सुबह के मुहूर्त में भद्रा का साया मंडरा रहा है।

ऐसे में लोगों के बीच संशय है कि पौष पुत्रदा एकादशी व्रत की पूजा किस समय करनी चाहिए। चूंकि हिंदू धर्म शास्त्रो में भद्राकाल और राहुकाल को पूजा-पाठ के लिए अशुभ माना जाता है।

ऐसे में जरुरी है कि आप जान लें कि पौष पुत्रदा एकादशी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त,भद्राकाल और पारण समय क्या(Pausha Putrada Ekadashi 2025 vrat date-puja-shubh-muhurat-bhadra-rahukaal-parana-time)है।

साथ ही पुत्रदा एकादशी का महत्व,कथा क्या है। तो चलिए बताते है विस्तार से।

 

 

पौष पुत्रदा एकादशी 2025 कब है?- Pausha Putrada ekadashi 2025 vrat kab hai

पौष पुत्रदा एकादशी तिथि 09 जनवरी 2025,गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से आरंभ हो गई है और 10 जनवरी 2025,शुक्रवार को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी।

हिंदू धर्म में व्रत और पूजन उदया तिथि के मुताबिक करने का विधान है। इसलिए पुत्रदा एकादशी व्रत 10 जनवरी 2025,दिन-शुक्रवार को रखा जाएगा। लेकिन सुबह का समय भद्राकाल भी लग रहा है।

ऐसे में अब आपको बताते है पौष पुत्रदा एकादशी व्रत पूजन का शुभ मुहूर्त क्या(Pausha Putrada Ekadashi 2025 vrat date-puja-shubh-muhurat-bhadra-rahukaal-parana-time)है।

 

 

Pausha Putrada Ekadashi 2025 vrat date-puja-shubh-muhurat-bhadra-rahukaal-parana-time
पौष पुत्रदा एकदाशी 2025 व्रत पूजा शुभ मुहूर्त

 

पौष पुत्रदा एकादशी 2025 पूजा के शुभ मुहूर्त: Pausha Putrada Ekadashi 2025 vrat puja shubh muhurat

 

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 05:27 से सुबह 06:21 तक

प्रातः सन्ध्या- सुबह 05:54 से सुबह 07:15 तक

अभिजित मुहूर्त-दोपहर 12:08 से दोपहर 12:50 तक

विजय मुहूर्त-दोपहर 02:13 से दोपहर 02:55 तक

गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:40  से शाम 06:07 तक

सायाह्न सन्ध्या- शाम 05:42 से शाम 07:04 तक

अमृत काल- सुबह 11:29  से दोपहर 01:00 तक

 

 

 

 

पुत्रदा एकादशी पर शुभ चौघड़िया मुहूर्त:

लाभ – उन्नति: सुबह 08:34 से 09:52,सुबह

अमृत – सर्वोत्तम: सुबह 09:52 से 11:10 सुबह

शुभ – उत्तम: दोपहर 12:29  से 01:47 दोपहर

 

 

 

पुत्रदा एकादशी पर इस समय न करें गलती से भी पूजा,होगा अशुभ

 

पुत्रदा एकादशी पर भद्राकाल- Pausha Putrada Ekadashi 2025 Bhadrakaal

साल की पहली पुत्रदा एकादशी व्रत पर भद्राकाल भी लग रहा है। इस समय पूजा करना व्यर्थ और अशुभ रहता है। पुत्रदा एकादशी पर भद्रा सुबह 07:15 से सुबह 10:19  तक रहेगी।

 

 

 

पुत्रदा एकादशी पर राहुकाल:Pausha Putrada Ekadashi 2025 RahuKaal

पुत्रदा एकादशी पर राहुकाल सुबह 11:10 से दोपहर 12:29  तक रहेगा। 

ज्योतिष शास्त्र में भद्रा व राहुकाल को अशुभ माना गया है। इस अवधि में शुभ कार्य वर्जित माने जाते है।

 

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पुत्रदा एकादशी व्रत पारण समय: Pausha Putrada Ekadashi 2025 vrat Parana Time

 

पुत्रदा एकादशी व्रत पारण 11 जनवरी 2025,शनिवार को किया जाएगा।

एकादशी व्रत पारण का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक रहेगी।

पारण के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय-पारण के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय सुबह 08 बजकर 21 मिनट है।

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पुत्रदा एकादशी का महत्व-Putrada Ekadashi Importance

एकादशी तिथि भगवान विष्णु की आराधना का दिन होता है और यह तिथि धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। पदम पुराण के अनुसार संतान प्राप्ति की कामना के लिए यह व्रत बहुत ही प्रभावी होता है।

इस व्रत को करने से दीर्घायु संतान प्राप्त होती है और संतान के सभी प्रकार के कष्ट भी दूर हो जाते हैं। इस एकादशी से भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

 

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पुत्रदा एकादशी व्रत कथा-Pausha Putrada Ekadashi vrat Katha

शास्त्रों में इस व्रत के माहात्म की अनेक कथाएं हैं किन्तु पद्मपुराण में भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर के द्वारा पुत्रदा एकादशी के विषय में पूछें गये प्रश्न के जवाब स्वरूप ये कहा, भद्रावती पुरी में राजा सुकेतुमान राज करते थे उनकी रानी का नाम चम्पा था।

राजा सुकेतुमान के विवाह के बहुत काल बीत जाने पर भी कोई संतान सुख प्राप्त नही हुआ, जिसके कारण पति-पत्नी सदा इस बात से चिंता-शोक में डूबे रहते थे।

उनके ‘पितर’ भी चिंतित रहते थे कि राजा के बाद कोई ऐसा नहीं दिखाई देता जो हम पतरों का तर्पण करा सके, यह सोचकर पितृगण भी दुखी होने लगे।

एक दिन राजा बिना पुरोहित आदि को सूचित किये गहन वन में चले गये वहाँ जंगली जीवों को देखते और घुमते हुए कई घंटे बीत गये राजा को भूख प्यास सताने लगी निकट ही उन्होंने एक सरोवर देखा उस सरोवर के चारों तरफ मुनियों के आश्रम बने हुए थे, वे सभी वेदपाठ कर रहे थे>

उसी समय राजा के दाहिने अंग फड़कने लगे, राजा शुभ शकुन समझकर घोड़े से उतरकर मुनियों को दंडवत प्रणाम कर उनकी वन्दना करते हुए बोले हे ! महामुने आप लोग कौन हैं ? आपके नाम क्या हैं ? आप लोग किसलिए यहाँ एकत्रित हुए हैं ? मुनि कहने लगे कि हे राजन ! हम लोग विश्वदेव हैं यहाँ स्नान के लिए आये हैं आज से पांच दिन बाद माघका का स्नान आरम्भ हो जायेगा।

आज संतान देने वाली पुत्रदा एकादशी है जो व्रत करने वाले मनुष्यों को उत्तम पुत्र देती है तुम्हारी क्या इच्छा है वो कहो ? यह सुनकर राजा बोले, हे विश्वेदेवगण ! मेरे भी कोई संतान नहीं है, यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो पुत्र प्राप्ति का उपाय बताएं ?

मुनिगण बोले- हे राजन ! आज पुत्रदा एकादशी है आप अवश्य ही इसका व्रत करें, इसका व्रतफल अमोघ है अतः अवश्य ही आपके घर में पुत्र होगा।

मुनि के वचनों को सुनकर राजा ने उसी दिन एकादशी का विधिवत व्रत किया और द्वादशी को पारणा करके मुनियों का आशीर्वाद प्राप्त कर वापस घर आ गये।

कुछ समय बीतने के बाद रानी ने गर्भ धारण किया और प्रसवकाल आने पर उनके एक पुत्र हुआ वह राजकुमार अत्यंत शूरवीर, यशस्वी और प्रजापालक हुआ।

श्रीकृष्ण ने कहा, युधिष्टिर जो मनुष्य इस माहात्म्य को पढ़ता या सुनता है उसे अंत में स्वर्ग की प्राप्ति भी होती है। 

मंत्र-
“ॐ विष्णवे नमः”
“ॐ नारायणाय नमः”
“ॐ कृष्णाय नमः”
“ॐ हरे श्री कृष्णा”
“ॐ श्री विष्णवे नमः”

 

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अस्वीकरण: यह पोस्ट सामान्य प्रचलित जानकारी के आधार पर लिखी गई है। समयधारा इस जानकारी की सटीकता को प्रमाणित नहीं करता। पाठकों से अनुरोध है कि वह इस आलेख में दी गई जानकारी को अपनाने से पूर्व संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

 

 

 

 

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Varsa

वर्षा कोठारी एक उभरती लेखिका है। पत्रकारिता जगत में कई ब्रैंड्स के साथ बतौर फ्रीलांसर काम किया है। अपने लेखन में रूचि के चलते समयधारा के साथ जुड़ी हुई है। वर्षा मुख्य रूप से मनोरंजन, हेल्थ और जरा हटके से संबंधित लेख लिखती है लेकिन साथ-साथ लेखन में प्रयोगात्मक चुनौतियां का सामना करने के लिए भी तत्पर रहती है।

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