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Dussehra 2024: जानें दशहरा पूजा-दुर्गा विसर्जन-रावण दहन का शुभ मुहूर्त

12 अक्टूबर को दशमी तिथि का आरंभ सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर होगा और 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 7 मिनट पर दशमी तिथि समाप्त हो जाएगी, दशहरा का पर्व 12 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा.

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नई दिल्ली: बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक दशहरा यानि विजयदशमी(Vijayadashami) का पर्व हिंदू धर्म में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है।

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार दशहरा(Dussehra) के दिन प्रभु श्रीराम ने बुराई के प्रतीक रावण का वध किया था,तभी से उनकी जीत के उपलक्ष्य में विजयदशमी का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाने लगा। दशहरा को ही विजयदशमी कहा जाता है।

प्रतिवर्ष देश में दशहरा के दिन रावण दहन और दुर्गा विसर्जन का विधान है।

शारदीय नवरात्रि(Shardiya Navratri) में नौंवी नवरात्रि यानि महानवमी(Mahanavami)के बाद दशहरा(Dussehra) का पर्व मनाया जाता है।

इस हिंदू पंचांग के अनुसार, 12 अक्टूबर को दशमी तिथि का आरंभ सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर होगा और 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 7 मिनट पर दशमी तिथि समाप्त हो जाएगी। दशहरा का पर्व 12 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।

हिंदू पंचांगानुसार,प्रति वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरा यानि विजयदशमी(Vijayadashami)का पावन पर्व हर्षोउल्लास से मनाया जाता है।

शारदीय नवरात्रि(Shardiya Navratri 2024)की समाप्ति के अगले दिन दशमी तिथि पर दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन मां दुर्गा, प्रभु श्रीराम की पूजा कि विधान है।

दशहरा के दिन शस्त्र पूजा और हवन भी किया जाता है। दशहरा पर जहां श्रीराम ने अधर्म के प्रतीक रावण का वध किया था तो वहीं मां दुर्गा(Durga)ने अत्याचारी असुर महिषासुर का भी मर्दन किया था।

इसलिए हिंदू धर्मानुसार, दशहरा का दिन विजयदशमी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है।

रावण(Ravan)और महिषासुर दोनों का वध दशमी तिथि पर होने से इस दिन को विजयदशमी के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। 

विजय दशमी असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है।

तो चलिए अब बताते है दशहरा यानि विजयदशमी की पूजा का शुभ मुहूर्त और रावण दहन व दुर्गा विसर्जन का समय(Dussehra-2024-Vijayadashami-puja-shubh-muhurat-ravan-dahan-durga-visarjan-time). 

 

दशहरा पर मां दुर्गा(Maa Durga)ने भी महिषासुर का वध किया था।इसलिए इस दिन को विजयदशमी भी कहा जाता है।

दशहरा पर ग्राउंड्स,सोसायटी और गली-मोहल्लो में रावण,कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाकर संदेश दिया जाता है कि अहंकार, बुराई और अधर्म चाहे जितना बलिष्ठ हो,एक न एक दिन उसका समूल नाश होता है।

इसलिए सदैव सच्चाई,ईमानदारी और धर्म के रास्ते पर चलना चाहिए।यही श्रीराम और मां दुर्गा(Maa Durga) का संदेश है।

दशहरा या विजयदशमी कब है ?- Dussehra-2024-Date

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दशमी बता दें कि दशहरा पर श्रवण नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। दशहरा में श्रवण नक्षत्र का विशेष महत्व है।

दशहरा का पर्व श्रवण नक्षत्र में मनाने का विधान है। 12 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 24 मिनट पर श्रवण नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा और अगले दिन 13 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।

विजयदशमी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?-Vijayadashami-puja-shubh-muhurat

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विजयादशमी शस्त्र पूजा का शुभ मुहूर्त 2024

12 अक्टूबर को दोपहर में 2 बजकर 4 मिनट से 2 बजकर 48 मिनट तक दशहरा पूजन के लिए शुभ मुहूर्त रहने वाला है।

इस दौरान दशहरा पूजन और शस्त्र पूजन करना शुभ रहेगा।

दुर्गा विसर्जन का समय :Durga Visarjan Time

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ज्योतिषाचार्य मनोहर आचार्य ने बताया कि विजयदशमी को लेकर 24 अक्टूबर को पूरे दिन शुभ मुहूर्त बन रहा है।

इस दिन नवरात्रि का व्रत तोड़ने के उपरांत लोग दुर्गा माता की प्रतिमा और कलश का विसर्जन कर सकते हैं।

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि विजयादशमी के दिन सुबह 8:00 बजे से लेकर दोपहर बाद 3:00 बजे तक शुभ मुहूर्त है और इसी मुहूर्त में लोगों को प्रतिमा और कलश का विसर्जन करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि यह मुहूर्त 7 घंटे तक है और इस 7 घंटे में शुभ काल और सिद्ध मुहूर्त भी है।

रावण दहन का समय:Ravan-dahan-time

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रावण दहन के लिए श्रवण नक्षत्र का होना बेहद जरुरी है। इसलिए 12 अक्टूबर को रावण दहन के लिए शुभ मुहूर्त शाम में 5 बजकर 52 मिनट से शाम में 7 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। बता दें कि रावण दहन प्रदोष काल में किया जाता है।

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दशहरा पर्व के दिन शस्त्र पूजा का महत्व

हिंदू धर्म में विजयदशमी पर्व कें दिन शस्त्र पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि जिस प्रकार भगवान श्री राम ने अधर्म को पराजित कर धर्म की पुनर्स्थापना की थी ठीक उसी प्रकार राष्ट्र की रक्षा और अधर्म के खिलाफ प्रयोग में लाए जाने वाले शास्त्रों की पूजा करने से दुश्मन पर सदैव विजय प्राप्त होती है।

प्राचीन काल में क्षत्रिय युद्ध पर जाने से पहले दशहरा पर्व का इंतजार करते थे। ऐसा माना जाता था कि दशहरे के दिन युद्ध करने से विजय सुनिश्चित हो जाती है।

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जानें दशहरा का महत्व-Dussehra Importance

यह त्यौहार भगवान श्री राम(Sri Ram) की कहानी तो कहता ही है जिन्होंने लंका में 9 दिनों तक लगातार चले युद्ध के पश्चात अंहकारी रावण(Ravan) को मार गिराया और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त करवाया।

वहीं इस दिन मां दुर्गा ने 10 दिन तक युद्ध करके महिषासुर का संहार भी किया था,इसलिए भी इसे विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है और मां दुर्गा की पूजा(Ma Durga) भी की जाती है।

माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी मां दुर्गा की पूजा कर शक्ति का आह्वान किया था, भगवान श्री राम की परीक्षा लेते हुए पूजा के लिए रखे गये कमल के फूलों में से एक फूल को गायब कर दिया।

चूंकि श्री राम को राजीवनयन यानि कमल से नेत्रों वाला कहा जाता था, इसलिए उन्होंनें अपना एक नेत्र मां को अर्पण करने का निर्णय लिया।
ज्यों ही वे अपना नेत्र निकालने लगे देवी प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुई और विजयी होने का वरदान दिया।
माना जाता है इसके पश्चात दशमी के दिन प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया।
प्रभु श्री राम की रावण पर और माता दुर्गा की महिषासुर पर विजय के प्रतीक इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय के रुप में देशभर में हर्षोउल्लास से मनाया जाता है। 
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Varsa

वर्षा कोठारी एक उभरती लेखिका है। पत्रकारिता जगत में कई ब्रैंड्स के साथ बतौर फ्रीलांसर काम किया है। अपने लेखन में रूचि के चलते समयधारा के साथ जुड़ी हुई है। वर्षा मुख्य रूप से मनोरंजन, हेल्थ और जरा हटके से संबंधित लेख लिखती है लेकिन साथ-साथ लेखन में प्रयोगात्मक चुनौतियां का सामना करने के लिए भी तत्पर रहती है।

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