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Ambedkar Jayanti 2025 : डॉ. भीम राव अंबेडकर के प्रेरणादायक अनमोल सुविचार

Monday Thoughts : ज्ञानी लोग किताबों की पूजा करते हैं, जबकि अज्ञानी लोग पत्थरों की पूजा करते हैं.

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आज देश के संविधान निर्माता डॉ.भीम राव अंबेडकर की जयंती (Ambedkar-Jayanti-2025)है। बाबा साहेब(Babasaheb Ambedkar)अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू के एक दलित परिवार में हुआ था और उनकी मृत्यु 6 दिसंबर, 1956 को हुई थी।

डॉ. भीम राव अंबेडकर (Dr. Bhim Rao Ambedkar) एक प्रगतिशील,ज्वलंत व आधुनिक विचारो (Babasaheb-inspirational words) से ओतप्रोत नेता थे, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन दलितों,पिछड़ों और महिलाओं के हक की आवाज उठाने, उन्हें सामाजिक,आर्थिक समानता दिलाने और सम्मानजनक जीवन का अधिकार दिलाने में लगा दिया।

प्रतिवर्ष उनके जन्मदिन 14 अप्रैल को देशभर में अंबेडकर जयंती (Ambedkar-Jayanti) धूमधाम से मनाई जाती है।

भारत की आत्मा यानि हमारा संविधान बाबा भीम राव अंबेडकर के प्रेरणादायक सुविचारों का दर्पण(Dr-Bhim-Rao-Ambedkar-positive-thinking-suvichar-motivational-quotes-in-hindi)है।

उन्होंने ही हमें एक भारतीय के तौर पर हमारे अधिकार और कर्तव्य संविधान के जरिए दिए,जिनके दम पर आज भी विश्व में भारतीय लोकतंत्र की रूपरेखा सर्वोपरि और लोकप्रिय है।

बाबा साहेब अपने युग के भविष्यवक्ता राजनेता,विद्वान,न्यायविद्,समाज-सुधारक और अर्थशास्त्री थे।

वह ताउम्र समाज में व्याप्त छूआछूत,दलितों-गरीबों,वंचितों और महिलाओं के प्रति किए जा रहे भेदभावों के खिलाफ मुखरता से लड़ते रहे। उन्होंने सर्वधर्म समरूपता का नारा दिया।

वह जाति, धर्म और समाज में व्याप्त असमानता,वैमनस्य और पाखंड के खिलाफ विरोध जताते रहे।

इसे विडंबना ही कहें कि आज मौजूदा वक्त में जब देश को डॉ. भीम राव अंबेडकर के दिखाएं गए रास्ते पर चलने की सर्वाधिक जरुरत है।

जब मौजूदा वक्त के राजनीतिज्ञों को उनके लिखे संविधान का आदर करने की सबसे ज्यादा जरूरत है तब वह बाबा साहेब के उन्हीं प्रेरणादायक विचारों और संविधान की अपने स्वार्थानुसार धज्जियां उड़ाने में नहीं झिझकते।

आज अंबेडकर जयंती के अवसर पर ही नहीं बल्कि हमेशा हमें यह समझने की जरूरत है कि जिन्होंने हमारे देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,हमारा संविधान लिखा-क्या आज हम सही मायनों में हमारी उस आजादी, हमारे संविधान औऱ बाबा साहेब के समानता और एकरूपता लाने वाले विचारों का सम्मान कर रहे है?

दलित परिवार में जन्म लेने के कारण ही डॉ. भीम राव अंबडेकर को बचपन से ही भेदभाव,छूआछूत और अपमानजनक जीवन का सामना करना पड़ा।

बेहद गरीबी में जन्म लेने के बावजूद भी उन्होंने शिक्षा को अपना प्रमुख हथियार बनाया और मौजूदा वक्त के राजनेताओं की तरह अपनी गरीबी और आर्थिक असमानता व दलित परिवार में जन्म को अपना विक्टिम कार्ड न बनाकर आत्मसम्मान से जीने का अधिकार बनाया।

विषम परिस्थितियों के बाद भी अंबेडकर ने अपनी पढ़ाई पूरी की। ये उनकी काबलियत और मेहनत का ही परिणाम है कि अंबेडकर ने 32 डिग्री हासिल की।

विदेश से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद भारत में दलित समाज के उत्थान के लिए काम करना शुरू किया।

संविधान सभा के अध्यक्ष बने और आजादी के बाद भारत के संविधान के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया।

1990 में, मरणोपरांत डॉ अंबेडकर को सम्मान देते हुए, “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया है, जो देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।

जीवन के हर पड़ाव पर संघर्षों को पार करते हुए उनकी सफलता हर किसी के लिए प्रेरणा है।

आज अंबेडकर जयंती के अवसर पर बाबा साहेब के अनमोल विचार ही देश को गर्त में जाने से बचा सकते है।

आज के बच्चों,युवाओं और राजनेताओं को डॉ. भीम राव अंबडेकर के पॉजिटिव सुविचारों, प्रेरणादायक सोच की सर्वाधिक जरुरत (Ambedkar-Jayanti-2025-Dr-Bhim-Rao-Ambedkar-positive-thinking-suvichar-motivational-quotes-in-hindi) है।

चूंकि भले ही हम कहने को 21वीं सदी में रह रहे है, लेकिन मौजूदा वक्त की राजनीति, राजनेता और जनता जिस तरह आएं दिन बाबा साहेब की संविधान की धज्जियां उड़ा रहे है,उन्हें सिर्फ डॉ. बी.आर अंबेडकर के अनमोल विचार ही वापस संभाल सकते है। आपका मार्गदर्शन करके सम्मानजनक जीवन जीने की राह दिखा सकते है।

इसलिए आज हम खास तौर पर आपके लिए लाएं है बाबा साहेब अंबेडकर के प्रेरणादायक,शिक्षाप्रद सुविचार:

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ज्ञानी लोग किताबों की पूजा करते हैं, जबकि अज्ञानी लोग पत्थरों की पूजा करते हैं।

डॉ.भीम राव अंबेडकर

 

मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।

डॉ.भीम राव अंबेडकर

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यदि मुझे लगा कि संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो मैं इसे सबसे पहले जलाऊंगा। 

डॉ.भीम राव अंबेडकर

 

 

जीवन लम्बा होने की बजाये महान होना चाहिए ।

डॉ.भीम राव अंबेडकर

 

 

हिंदू धर्म मेंविवेककारणऔर स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।

डॉ.भीम राव अंबेडकर

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एक सफल क्रांति के लिए सिर्फ असंतोष का होना ही काफी नहीं हैबल्कि इसके लिए न्यायराजनीतिक और सामाजिक अधिकारों में गहरी आस्था का होना भी बहुत आवश्यक है। 

डॉ.भीम राव अंबेडकर

 

जिस तरह हर एक व्यक्ति यह सिधांत दोहराता हैं कि एक देश दुसरे देश पर शासन नहीं कर सकता उसी प्रकार उसे यह भी मानना होगा कि एक वर्ग दुसरे पर शासन नहीं कर सकता

डॉ.भीम राव अंबेडकर

 

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क़ानून और व्यवस्था राजनीति रूपी शरीर की दवा है और जब राजनीति रूपी शरीर बीमार पड़ जाएँ तो दवा अवश्य दी जानी चाहिए।

 

जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हांसिल कर लेतेक़ानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके किसी काम की नहीं

डॉ.भीम राव अंबेडकर

 

राजनीतिक अत्याचार सामाजिक अत्याचार की तुलना में कुछ भी नहीं है और एक सुधारक जो समाज को खारिज कर देता है वो सरकार को खारिज कर देने वाले राजनीतिज्ञ से ज्यादा साहसी हैं।

डॉ.भीम राव अंबेडकर

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हमारे पास यह स्वतंत्रता किस लिए हैहमारे पास ये स्वत्नत्रता इसलिए है ताकि हम अपने सामाजिक व्यवस्थाजो असमानताभेद-भाव और अन्य चीजों से भरी हैजो हमारे मौलिक अधिकारों से टकराव में हैको सुधार सकें।

डॉ.भीम राव अंबेडकर

रात रातभर मैं इसलिये जागता हूँ क्‍योंकि मेरा समाज सो रहा है।

डॉ.भीम राव अंबेडकर

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मैं राजनीति में सुख भोगने नहीं बल्कि अपने सभी दबे-कुचले भाईयों को उनके अधिकार दिलाने आया हूँ।

डॉ.भीम राव अंबेडकर

मनुवाद को जड़ से समाप्‍त करना मेरे जीवन का प्रथम लक्ष्‍य है।

डॉ.भीम राव अंबेडकर

जो धर्म जन्‍म से एक को श्रेष्‍ठ और दूसरे को नीच बनाए रखेवह धर्म नहींगुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।

डॉ.भीम राव अंबेडकर

 

एक इतिहासकार, सटीक, ईमानदार और निष्‍पक्ष होना चाहिए।

डॉ.भीम राव अंबेडकर

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संविधान, यह एक मात्र वकीलों का दस्‍तावेज नहीं। यह जीवन का एक माध्‍यम है।

डॉ.भीम राव अंबेडकर

 

 

 

 

 

किसी का भी स्‍वाद बदला जा सकता है लेकिन जहर को अमृत में परिवर्तित नही किया जा सकता।

डॉ.भीम राव अंबेडकर

 

 

 

 

 

न्‍याय हमेशा समानता के विचार को पैदा करता है।

  डॉ.भीम राव अंबेडकर

 

 

 

 

 

हमें जो स्वतंत्रता मिली है उसके लिए हम क्या कर रहे हैं? हमारे पास आजादी इसलिए है ताकि हम उन चीजों को सुधार सकें जो सामाजिक व्यवस्था, असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरी हैं, जो हमारे मौलिक अधिकारों की विरोधी हैं।
डॉ.भीम राव अंबेडकर
राजनीति में हिस्सा ना लेना का सबसे बड़ा दंड यह है कि अयोग्य व्यक्ति आप पर शासन करने लगता है। 
डॉ.भीम राव अंबेडकर
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प्रेरणादायक विचार
मैं समझता हूं कि कोई संविधान चाहे जितना अच्छा हो, वह बुरा साबित हो सकता है, यदि उसका अनुसरण करने वाले लोग बुरे हो। एक संविधान चाहे जितना बुरा हो, वह अच्छा साबित हो सकता है, यदि उसका पालन करने वाले लोग अच्छे हों।
डॉ.भीम राव अंबेडकर
महात्‍मा आए और चले गए परंतु अछुत, अछुत ही बने हुए हैं।
डॉ.भीम राव अंबेडकर
शिक्षा महिलाओं के लिए भी उतनी ही जरूरी है जितनी पुरुषों के लिए।
डॉ.भीम राव अंबेडकर
समाज में अनपढ़ लोग हैं ये हमारे समाज की समस्या नहीं है। लेकिन जब समाज के पढ़े लिखे लोग भी गलत बातों का समर्थन करने लगते हैं और गलत को सही दिखाने के लिए अपने बुद्धि का उपयोग करते हैं, यही हमारे समाज की समस्या है।
डॉ.भीम राव अंबेडकर

 

 

 

 

 

 

मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्‍छा हैमेरे बताए हुए रास्‍ते पर चलें।

– डॉ.भीम राव अंबेडकर

 

 

 

Tuesday thoughts: दूर से हमें आगे के सभी रास्ते बंद नजर आते हैं

 


 

 

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Dropadi Kanojiya

द्रोपदी कनौजिया पेशे से टीचर रही है लेकिन अपने लेखन में रुचि के चलते समयधारा के साथ शुरू से ही जुड़ी है। शांत,सौम्य स्वभाव की द्रोपदी कनौजिया की मुख्य रूचि दार्शनिक,धार्मिक लेखन की ओर ज्यादा है।

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