why we celebrate April fools day true story behind april fool day
नई दिल्ली,(समयधारा): दोस्तों इस समय देश भर में कोरोना (Coronavirus) का कहर जारी हैl
इस समय हालात यह नहीं है कि हम अप्रैल फूल्स डे मनाएं l
पर इस महामारी के बीच अगर ख़ुशी के कई दो पल मिल जाए तो इससे हामरे दिमाग को थोड़ा आराम ही तो मिलेगा ना l
आप सभी घर में सुरक्षित रहें यही कामना है हमारी l आज अप्रैल फूल डे और हम में से कई लोग इस डे का बेसब्री से इन्तजार करते है l
मुझे आज भी याद है जब में छोटी थी बहुत बार मैंने यह दिन बनाया है l लोगों को बेवकूफ बनाने का मजा ही कुछ और था l
अप्रैल की पहली तारीख यानि 1 अप्रैल आते ही लोग दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच प्रैक्टिकल प्रैंक खेलने की योजना बनाने लगते है।
अप्रैल फूल डे : इन आसान फाडू आईडिया से घर बैठे मनाएं मुर्ख दिवस
why we celebrate April fools day true story behind april fool day
सभी का मकसद बस इतना भर होता है कि कैसे अपने फ्रेंड्स और रेलेटिव्स को मूर्ख बनाया जाएं और वहीं सभी का लक्ष्य ये भी होता है कि,
भई आज हम तो किसी भी तरह से Fool यानि मूर्ख बनने वाले है नहीं।
वैसे अप्रैल फूल के दिन किया जाना वाला मजाक अक्सर लोगों को अच्छा ही लगता है,
क्योंकि इसके पीछे मकसद केवल सामने वाले के साथ थोड़ी सी शरारत और मस्ती करके उसे हंसी दिलाना होता है।
तभी तो आज के दिन अप्रैल फूल से जुड़े एक से बढ़कर एक जोक्स और मैसेजेस सोशल मीडिया, व्हाट्सएप और फेसबुक पर वायरल होने लगते है l
April Fool’s Day के मजेदार Funny चुटकुले जो आपको हँसा-हँसा कर पागल कर दें
लेकिन क्या आप जानते है कि पूरी दुनिया आज यानि 1 अप्रैल को अप्रैल फूल मनाती क्यो है?
हमारे देश समेत कई अन्य देशों में अप्रैल की पहली तारीख को मूर्ख दिवस भी कहते है और ऐसा कहने के पीछे भी एक नहीं कई कारण है।
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वही बॉलीवुड की फिल्मों का एक गाना भी बहुत ही प्रसिद्द है l अप्रैल फूल बनाया… गुस्सा आया.. इसमें मेरा क्या कसूर…… जिसने यह दस्तूर बनाया…. l
जी हाँ दस्तूर तो दोस्तों यह दस्तूर यह रिवाज किसने बनाया..? why we celebrate April fools day true story behind april fool day
तो चलिए आज आपको बताते है कि आखिर अप्रैल फूल मनाया क्यों जाता है?
अप्रैल फूल मनाने से जुड़ी कई कहानियां और मान्यताएं है। जिनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय मान्यता है
ब्रिटेन के लेखक चॉसर की किताब कैंटरबरी टेल्स की एक कहानी पर बेस्ड है।
तो कहानी कुछ यूं है कि 13वीं सदी में इंग्लैंड के राजा रीचर्ड सेकेंड और रानी एनी जोकि बोहेमिया की रानी थी,
के बीच सगाई की तारीख 32 मार्च 1381 में आयोजित किए जाने का एलान हुआ।
जैसा कि आप सभी जानते है कि मार्च का महीना तो केवल 31 दिन का होता है और 32 मार्च तो कभी आता ही नहीं है।
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लेकिन कैंटरबरी की आम जनता ने इसे सही मान लिया और तभी से उन्हें मूर्ख समझा जाता है क्योंकि वे इस तिथि को सही मानकर मूर्ख बन गए।
उसी दिन से आज के दिन यानि 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस अर्थात अप्रैल फूल डे कहा जाने लगा और इसी रूप में मनाया जाने लगा।
यूं तो अप्रैल फूल डे वेस्टर्न संस्कृति की देन है लेकिन विश्वभर समेत भारत में भी बहुत धूमधाम और चाव से मनाया जाता है
क्योंकि हंसाने और मस्ती करने का दिन भला हम भारतीय भी अपने हाथ से क्यों जाने दें।
लेकिन देखा जाएं तो भारतीय कैलेंडर में भी अप्रैल फूल डे के लिए एक मान्यता है।
कहां से हुई अप्रैल फूल डे की शुरूआत
दरअसल, कहा जाता है कि शुरूआत में संपूर्ण विश्वभर में भारतीय कैलेंडर की ही मान्यता थी,
और इसके अनुसार भी नव वर्ष चैत्र मास में शुरू होता था जिसका प्रारंभ अप्रैल महीने में होता था।
कहा जाता है कि 1582 में पोप ग्रेगोरी ने एक नया कैलेंडर लागू किया और उसके अनुसार,
नया साल अप्रैल की जगह 1 जनवरी से मनाया जाने लगा और काफी लोगों ने ग्रेगोरी के इस नए कैलेंडर को मान भी लिया जोकि आज तक माना जाता है,
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लेकिन वहीं कुछ लोग तब भी पुराने कैलेंडर के हिसाब से ही नया साल मनाते रहे और उन्होंने नए कैलेंडर को मानने से इंकार कर दिया।
इसी कारण इन लोगों को मूर्ख कहा जाने लगा और 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे भारत समेत विश्वभर में अप्रैल फूल डे मनाया जाने लगा।
एक अन्य मान्यता ये भी
एक कहानी ये भी है कि वर्ष 1564 से पूर्व यूरोप के ज्यादातर देशों में एक समान कैलेंडर था
और उसके अनुसार अप्रैल से ही नया साल शुरू होता था लेकिन 1564 में राजा चार्ल्स9 ने एक नवीन कैलेंडर प्रयोग मे लाने का आदेश दिया,
जिसके अनुसार, 1 जनवरी से नया साल मनाया जाने लगा था।
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राजा के इस आदेश को कुछ लोगों ने नहीं माना और वे तब भी पुराने कैलेंडर के हिसाब से यानि 1 अप्रैल को ही नया साल मनाते रहे।
तभी से इन लोगों को मूर्ख समझकर नया कैलेंडर मानने वाले लोग 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे मनाने लगे।
तो दोस्तों ये थी अप्रैल फूड डे मनाने से जुड़ी कुछ रोचक कहानियां।