बिना मास्क घरों में बातचीत करने से कोरोना फैलने का ज्यादा खतरा:US रिसर्च

इस रिसर्च के मुताबिक,घरों या फिर बंद कमरों में जब आप बातचीत करते है तो मुंह से विभिन्न प्रकार के श्वसन कण निकलते है....

Without masks conversation in homes is more at risk of spreading corona

वाशिंगटन: कोरोना महामारी में अगर आप सोचते कि आप घर में सुरक्षित है तो हो सकता है कि आपके विश्वास को यह खबर जानकर धक्का लगे।

चूंकि एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि बंद कमरों या घरों में बिना मास्क के बातचीत करने से कोरोनावायरस(Coronavirus)फैलने का खतरा ज्यादा बना रहता है। 

दरअसल,अमेरिका में एक अध्ययन(US Research) किया गया है,जिसमें यह तथ्य सामने आया है।

इस रिसर्च के मुताबिक,घरों या फिर बंद कमरों में जब आप बातचीत करते है तो मुंह से विभिन्न प्रकार के श्वसन कण निकलते है।

इन कणों में अलग-अलग मात्रा में कोरोनावायरस हो सकता(Without masks conversation in homes is more at risk of spreading corona)है।

रिसर्चरों के अनुसार, सबसे चिंताजनक वे बूंदें हैं जिनका साइज मीडियम है और जो कई मिनट तक हवा में रह सकती हैं।

अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पाया कि ये बूंदे हवा के प्रवाह से काफी ज्यादा दूरी तक पहुंच सकती हैं।

गौरतलब है कि अमेरिकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिसीसेज(National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases)  के शोधकर्ता एड्रियान बेक्स ने कह कि जब लोग बातचीत करते हैं तो हजारों बूंदे उड़ती हैं।
लेकिन इन हजारों बूंदों को खुली आंखों से नहीं देखा जा सकता है।
बेक्स के अनुसार,बोलते वक्त निकलने वाले इन वायरस युक्त बूंदों से जब पानी भाप बनकर निकलता है तो वे धुएं की तरह कई मिनटों तक हवा में तैर सकते हैं, जिससे अन्य के लिए खतरा पैदा होता है।
रिसर्चरों ने कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से वायरस प्रसार में एयरोसोल बूंदों के शारीरिक एवं चिकित्सीय पहलुओं पर अध्ययनों की समीक्षा की है.
वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि एयरोसोल न केवल कोविड-19 फैलाने का मुख्य मार्ग है बल्कि सीमित स्थानों में मास्क लगाए बिना बातचीत करना उस गतिविधि को दर्शाता है जो दूसरों के लिए सबसे अधिक खतरा पैदा करती है।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि खाना-पीना अक्सर घरों के भीतर होता है। आम तौर पर इस दौरान जोर-जोर से लोग बातें करते हैं।

इसलिए इस बात को लेकर चौंकना नहीं चाहिए कि बार एवं रेस्तरां कोरोनावायरस के सुपर स्प्रेडर बन गए थे। यह अध्ययन इंटरनल मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित हुआ।

Without masks conversation in homes is more at risk of spreading corona
(इनपुट एजेंसी से भी)
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