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Russia-Ukraine युद्ध थमेगा?Ukraine का अब NATO सदस्यता पर जोर नहीं,गठबंधन रूस से नहीं चाहता टकराव:यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की

अब यूक्रेन पर रूस के हमले के दौरान ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमिर जेलेंस्की (Ukraine President Volodymyr Zelensky) ने अपने रूख में नरमी के संकेत देते हुए कहा है कि यूक्रेन नाटो गठबंधन की सदस्यता पर जोर नहीं दे रहा।नाटो गठबंधन खुद रूस से टकराव को लेकर भयभीत है।

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कीव: रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध(Russia-Ukraine-war)को आज,14वां दिन हो गया है।रूसी सेनाएं लगातार यूक्रेन के एक के बाद एक शहर,निवासों और सरकारी इमारतों,अस्पतालों,रेलवे स्टेशनों को तबाह और बर्बाद किए जा रही है।

इसी दौरान दोनों पक्षों रूस और यूक्रेन के बीच वार्ताओं(Ukraine-Russia talks)का सिलसिला भी जारी है। आज,बुधवार को रूस और यूक्रेन के बीच चौथे दौर की बातचीत होनी है।

हालांकि इससे पहले हुई तीसरे दौर की वार्ता(Russia-Ukraine)के बाद कुछ पॉजिटिव साइन देखने को मिले है।

पहली बार यूक्रेन के राष्ट्रपति(Ukraine President Volodymyr Zelensky) ने रूस के रूख से सहमति जताने के संकेत दिए है और उन्होंने कहा है कि यूक्रेन अब नाटो सदस्यता पर जोर नहीं दे रहा

जेलेंस्की ने कहा है कि अब वह नाटो में शामिल होने पर कोई जोर नहीं दे(Ukraine-President-Zelensky-says-Ukraine-no-longer-insists-on-NATO membership)रहा।

ध्यान रहें यह एक महत्वपूर्ण बात है चूंकि रूस ने यूक्रेन पर हमले के लिए इसे ही सबसे बड़ी वजह बताया था।

रूस ने यूक्रेन पर हमला(Russia attacks Ukraine)यही कहकर शुरू किया था कि यूक्रेन नाटो में शामिल होने जा रहा है जो रूस को कतई बर्दाश्त नहीं है। 

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नाटो पश्चिमी देशों का एक सैन्य गठबंधन है,जिसमें शामिल कोई भी देश यदि किसी से युद्ध करता है तो बाकी सदस्य देश उसकी रक्षा और संप्रभुता के लिए अपनी सेना भेजते है। इसमें शामिल होने की शर्ते बहुत कड़ी है।

नाटो(NATO)गठबंधन की स्थापना शीत युद्ध की शुरुआत में यूरोप को सोवियत संघ से बचाने के लिए की गई थी।

यूक्रेन काफी समय से नाटो का सदस्य बनना चाहता था,लेकिन रूस नहीं चाहता था कि यूक्रेन नाटो में शामिल हो। चूंकि इससे रूस को लगता है कि उसके देश को खतरा हो सकता है।

नाटो के विस्तार को रूस अपने लिए खतरे के तौर पर देखता है।

अब यूक्रेन पर रूस के हमले के दौरान ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमिर जेलेंस्की (Ukraine President Volodymyr Zelensky) ने अपने रूख में नरमी के संकेत देते हुए कहा है कि यूक्रेन नाटो गठबंधन की सदस्यता पर जोर नहीं दे(Russia-Ukraine-war-Ukraine-President-Zelensky-says-Ukraine-no-longer-insists-on-NATO membership)रहा।

नाटो गठबंधन खुद रूस से टकराव को लेकर भयभीत(alliance-avoid-conflict-Russia)है।

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एक अन्य मसले पर मॉस्को के रुख से परोक्ष सहमति जताते हुए जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन से अलग दो रूसी समर्थक क्षेत्रों की स्थिति को लेकर भी समझौते को लेकर खुला रुख रखते हैं।

रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन(President Vladimir Putin) यूक्रेन पर 24 फरवरी को हमले के पहले इन्हें स्वतंत्र देश घोषित कर चुके हैं।

जेलेंस्की ने एबीसी न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा, मैं इस सवाल के बारे में बहुत पहले ही शांत हो गया था जब हम समझ गए थे कि नाटो यूक्रेन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं(NATO not accepted Ukraine) है।

जेलेंस्की ने कहा, नाटो गठबंधन(NATO) विवादित चीजों से भयभीत है और रूस से टकराव से भी।

नाटो सदस्यता पर जेलेंस्की ने कहा, वह किसी ऐसे देश का राष्ट्रपति नहीं रहना चाहते,जो घुटनों के बल बैठकर किसी चीज की भीख(Russia-Ukraine-war-Ukraine-President-Zelensky-says-Ukraine-no-longer-insists-on-NATO membership)मांगे। 

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रूस नाटो के विस्तार को अपने लिए खतरे के तौर पर देखता है। उसकी चिंता है कि नए पश्चिमी सदस्यों की वजह से नाटो की सेना उसके बॉर्डर के काफी करीब पहुंच जाएगी।

यही वजह है कि वह यूक्रेन के नाटो गठबंधन में शामिल होने का लगातार विरोध करता रहा है।

यूक्रेन पर हमले का आदेश देने से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थित अलगाववादी क्षेत्रों डोनेट्स्क और लुहान्स्क को “रिपब्लिक (स्वतंत्र क्षेत्र)” की मान्यता दी।

पुतिन अब चाहते हैं कि यूक्रेन भी इन क्षेत्रों को संप्रभु और स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दे।

जब जेलेंस्की से रूस की डिमांड के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह बातचीत करने के लिए तैयार हैं। जेलेंस्की ने कहा, “मैं सुरक्षा गारंटी के बारे में बात कर रहा हूं।”

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उन्होंने कहा कि इन दो क्षेत्रों को रूस, इन छद्म गणराज्यों के अलावा किसी भी ने भी मान्यता नहीं दी है। लेकिन हम चर्चा कर सकते हैं और समझौता कर सकते हैं कि ये क्षेत्र कैसे रहेंगे।”

जेलेंस्की ने कहा, “मेरे लिए यह जरूरी है कि इन क्षेत्रों के वे लोग कैसे रहेंगे जो यूक्रेन का हिस्सा बनना चाहते हैं।”

राष्ट्रपति ने कहा, “इसलिए यह सवाल उन्हें मान्यता देने से ज्यादा मुश्किल है।”

उन्होंने कहा, “यह एक और अल्टीमेटम है और हम अल्टीमेटम के लिए तैयार नहीं है। राष्ट्रपति पुतिन के लिए जरूरी है कि उन्हें बातचीत शुरू करनी चाहिए।”

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Sonal

सोनल कोठारी एक उभरती हुई जुझारू लेखिका है l विभिन्न विषयों पर अपनी कलम की लेखनी से पाठकों को सटीक जानकारी देना उनका उद्देश्य है l समयधारा के साथ सोनल कोठारी ने अपना लेखन सफ़र शुरू किया है l विभिन्न मीडिया हाउस के साथ सोनल कोठारी का वर्क एक्सपीरियंस 5 साल से ज्यादा का है l

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