तालिबान चाहता था भारत अपना काबुल दूतावास खाली न करें,भेजा था संदेश:सूत्र
यह भी कहा कि अगर भारत(India) को इस बात की चिंता है कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, लश्करे झांगवी या हक्कानी ग्रुप से उसकी एम्बैसी को ख़तरा है, तो ऐसा नहीं है। भरोसा दिलाने की कोशिश की गई कि काबुल तालिबान के पास है, यहां कोई और (लश्कर, जैश, झांगवी) नहीं है।
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नई दिल्ली:अफगानिस्तान पर तालिबान(Taliban-captured-Afghanistan)के कब्जे के बाद काबुल में घटनाक्रम तेजी से बदल रहे है।
अफगानिस्तान(Afghanistan)में भारतीय दूतावास की तालिबान(Indian embassy)ने तलाशी ली है।
इस तलाशी में तालिबान(Taliban)दूतावास (Indian embassy in Kabul)के बाहर खड़े कुछ वाहन और दस्तावेज भी ले गया है।
इसी बीच सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि तालिबान नहीं चाहता था कि भारत काबुल में अपना दूतावास खाली करे। इसके लिए उसने भारत को संदेश भी भेजा था।
तालिबान चाहता था कि भारतीय राजनयिक(Indian-diplomats)काबुल दूतावास में बने (Taliban-wanted-India-sustain-its-Kabul-embassy)रहे।
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हालांकि इसके लिए उन्होंने भारतीय राजनयिकों से सीधे तौर पर अनुरोध नहीं किया था बल्कि संपर्क सूत्र के द्वारा भारतीय राजनियकों से संपर्क साधा था।
प्राप्त मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्ज़े के बाद जब भारत अपने राजनयिकों को निकालने की तैयारी में था,
तब स्टैनिकज़ई ने अपने संपर्क सूत्र के ज़रिये यह संदेश भेजा था कि भारतीय अथॉरिटी को बताया जाए कि काबुल में उन्हें कोई खतरा नहीं है।
यह भी कहा कि अगर भारत(India) को इस बात की चिंता है कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, लश्करे झांगवी या हक्कानी ग्रुप से उसकी एम्बैसी को ख़तरा है, तो ऐसा नहीं है।
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भरोसा दिलाने की कोशिश की गई कि काबुल तालिबान के पास है, यहां कोई और (लश्कर, जैश, झांगवी) नहीं है। लेकिन तालिबान के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उस पर भरोसा संभव नहीं था।
सूत्रों के मुताबिक, भारतीय दूतावास पर ख़तरे के कई इनपुट थे। यह भी इनपुट था कि लश्कर-ए-तैयबा और हक्कानी गुट के आतंकी भारतीय दूतावास को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं।
काबुल के लगातार बिगड़ते हालात और जान पर ख़तरे की आशंका को देखते हुए भारत ने अपने राजनयिकों और कर्मचारियों को विशेष विमान से वापस बुला लिया।
तालिबानी सत्ता को मान्यता देने के सवाल पर सूत्र का कहना है यह तो अभी बहुत दूर की बात है।
भारत अभी ‘इंतज़ार करो और देखो’ की नीति अपना रहा है। सूत्रों ने साफ किया है कि दुनिया के लोकतांत्रिक देश तालिबानी सरकार को लेकर जो रुख अपनाते हैं, भारत भी उसी अनुरूप अपना फैसला लेगा।
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