
Eid-ul-adha-bakra-eid-2025-celebrated in India 7June-know why called kurbani-parv-ईद उल-अजहा यानि बकरीद मुस्लिम संप्रदाय का प्रमुख पर्व है। इसे कुर्बानी पर्व के नाम से भी पुकारा जाता है।
बकरीद यानि ईद उल-अजहा(Bakra eid-Eid ul-adha)इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने जुल-हिज्जा में धूमधाम से मनाया जाता है।
बकरीद इस्लाम धर्म के मुख्य त्यौहारों में से एक है,जिसे हज यात्रा के खत्म होने पर मनाया जाता है।
विश्वभर में ईद का त्यौहार प्रेम-भाईचारे, त्याग और सोहार्द का संदेश देता है। इस्लाम पंथ के पांच स्तंभों में से एक है-हज यात्रा।
इसके समापन पर ही दुनियाभर में बकरीद यानि ईद अल अजहा को धूमधाम से मनाया जाता है।
भारत में इस साल बकरीद यानि ईद उल अजहा की तारीख को लेकर खासा कंफ्यूनज है। लेकिन हम आपका संदेह दूर कर देते है। इस वर्ष भारत में बकरीद यानि ईद उल अजहा 7 जून 2025, शनिवार को मनाई जा रही है।
प्रेम,त्याग और समर्पण का पर्व है बकरीद। चूंकि इस पावन दिन पर मुस्लिम संप्रदाय बकरे की कुर्बानी देकर उस ऐतिहासिक घटना को याद करते है जब पैगंबर इब्राहिम अल्लाह की आज्ञा पर अपने बेटे की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे।
बकरीद हमें यह संदेश देती है कि अल्लाह की राह में खुद को समर्पित कर देना ही सच्ची भक्ति है। इसलिए ही इसे कुर्बानी पर्व भी कहा जाता है।
ईद अल-अजह/बकरीद पर नमाज अदा की जाती है, खास पकवान बनाए जाते हैं और कुर्बानी के जरिए समाज में जरूरतमंदों की मदद की जाती है।
यह त्यौहार हर इंसान को यह याद दिलाता है कि सच्चा धर्म वही है, जिसमें दूसरों की भलाई और परोपकार शामिल हो। इसलिए बकरीद सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि एक सोच और जीवनशैली है जो इंसान को बेहतर बनाती है।
आपको बता दें कि बकरीद(Bakra Eid)का त्यौहार रमजान(Ramazan) समाप्त होने के 70 दिन बाद मनाया जाता है।
दरअसल, बकरा ईद के दिन जानवरों की कुर्बानी देने की परंपरा है। अब आप जानना चाहेंगे कि इस साल बकरीद या ईद-उल-अजहा कब(Eid-ul-adha-bakra-eid-2025 Kab hai)है।
भारत में कब है बकरीद या ईद-उल-अजहा 2025 – Kab hai Bakra Eid/Eid ul Adha in India?

भारत में इस साल बकरीद यानि ईद उल अजहा 7 जून 2025,शनिवार को मनाई(Eid-ul-adha-bakra-eid-2025-celebrated in India 7June)जा रही है।
ईद-उल-अजहा(Eid al-Adha 2025)को कुर्बानी पर्व भी कहा जाता है।
ईद उल अजहा इस्लामी कैलेंडर का 12वां और आखिरी महीना होता है।
आपको बता दें कि बकरीद का त्यौहार चांद दिखने के 10वें दिन मनाया जाता है और ईद उल ज़ुहा या अजहा या बकरीद, ईद उल फित्र के दो महीने, नौ दिन बाद मनाई जाती है।
चलिए अब आपको बताते है कि बकरीद(Bakra-eid) या ईद-उल-अजहा (Eid-ul-adha)कैसे मनाई जाती है,इसका क्या महत्व है।
इसे कुर्बानी पर्व या बकरीद क्यों कहा जाता(why-called-kurbani-parv)है।
ईद उल फितर(eid-ul-fitr)यानि मीठी ईद के 70 दिन के बाद बकरीद का त्यौहार मुस्लिम धर्म के लोग मनाते है।
ईद उल अज़हा भारत और दुनिया भर में पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया जाता है।
इस दिन मुसलमान ईदगाह या मस्जिद में जमा होते हैं और जमात के साथ 2 रकात नमाज अदा करते हैं।
यह नमाज अमूमन सुबह के समय आयोजित की जाती है।

जानें बकरीद को कुर्बानी का पर्व क्यों कहते है?-Know why bakrid called Kurbani Parv

बकरा ईद(Bakra eid)लोगों को सच्चाई की राह में अपना सबकुछ कुर्बान कर देने का संदेश देती है।
ईद-उल-अजहा(Eid ul-adha) को हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है।
हजरत इब्राहिम अल्लाह(Allah)के हुकम पर अपनी वफादारी दिखाने के लिए अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे।
जब हजरत इब्राहिम अपने बेटे को कुर्बान करने के लिए आगे बढ़े तो खुदा ने उनकी निष्ठा को देखते हुए इस्माइल की कुर्बानी को दुंबे की कुर्बानी में परिवर्तित कर दिया।
बस तभी से ईद-उल-अजहा को कुर्बानी पर्व(Kurbani Parv) के रुप में मनाया जाने लगा।
बकरा ईद पर सबसे पहले मस्जिदों में नमाज अदा की जाती है। इसके बाद बकरे या दुंबे-भेड़ की कुर्बानी दी जाती (Eid-ul-adha-bakra-eid-2025-celebrated in India 7June-know why called kurbani-parv)है।
कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। इसमें से एक हिस्सा गरीबों को जबकि दूसरा हिस्सा दोस्तों और सगे संबंधियों को दिया जाता है।
वहीं, तीसरे हिस्सा अपने परिवार के लिए रखा जाता है।
Eid Milad-un-Nabi 2021:जानें ईद मिलाद उन-नबी कब है,क्या है इसका महत्व
जानें मीठी ईद और बकरीद में अंतर-How-Celebrate-Bakrid
मीठी ईद(Mithi eid) की तरह बकरीद(Bakrid) भी खुशी के साथ मनाई जाती है, बस ईद-उल-फितर और बकरीद में फर्क इतना है कि ईद-उल-फितर खुशी के तौर पर देखा जाता है
रमजान(Ramzaan) के तोहफे के तौर पर मनाई जाती है और eid-ul-adha यानी की बकरीद गरीब और जरुरतमंदों के साथ मिलकर मनाई जाती है ।
कुर्बानी का जो कांसेप्ट है उसका भी यही मतलब है कि वह गोश्त गरीबों में तक्सीम करें ताकि गरीबों को एक वक्त का खाना मिल सके।
नमाज अदा करने के बाद वे भेड़ या बकरी की कुर्बानी (बलि) देते हैं और परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों और गरीबों के उसे साझा करते हैं।
Eid-ul-adha-bakra-eid-2025-celebrated in India 7June-know why called kurbani-parv