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नवरात्री: बिना भूलें जरुर करें अष्टमी की पूजा, नौ दिनों की पूजा का फल मिलेगा आज
यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश नवरात्रि पर्यन्त प्रतिदिन पूजा करने में असमर्थ रहे तो उनको अष्टमी तिथि को विशेष रूप से अवश्य पूजा करनी चाहिए.
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नई दिल्ली, (समयधारा) नवरात्री स्पेशल : दोस्तों घर में ही रहें l सेफ रहें l
पूरे विश्वभर में कोरोना का कहर जारी है l लोग घरों में बंद है l सभी जगह इस महामारी ने अपना प्रचंड रूप दिखा रहा है l
भारत में भी कोरोना ने अपना भयानक रूप दिखाना शुरू कर दिया है lइस बीच नवरात्र का बड़ा त्यौहार भी शुरू है l
इस बीच अगर आप भूल गए है माँ के नवरूपों की पूजा करना, तो अष्टमी पर जरुर करें यह काम
माँ महागौरी की पूजा की जाती है नवरात्रि के 8वें दिन l
माँ की असीम कृपा के लिए आप निचे लिखे उपायों को करें आपका मंगल होगा l
विशेष-अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है एवं नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण)
अष्टमी तिथि और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण)
आठवे दिन करें माता महागौरी की आराधना l
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नवरात्रि के आठवे दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है।
आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी है मां महागौरी का रंग अत्यंत गौर है
इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है।
नवरात्रि का आठवां दिन हमारे शरीर का सोम चक्र जागृत करने का दिन है।
सोम चक्र उध्र्व ललाट में स्थित होता है। आठवें दिन साधना करते हुए अपना ध्यान इसी चक्र पर लगाना चाहिए।
श्री महागौरी की आराधना से सोम चक्र जागृत हो जाता है और इस चक्र से संबंधित सभी शक्तियां श्रद्धालु को प्राप्त हो जाती हैं
मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वत: ही प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है।
उपाय- अष्टमी तिथि के दिन माता दुर्गा को नारियल का भोग लगाएं तथा नारियल का दान भी करें। इससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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दुर्गाष्टमी
प्राचीन काल में दक्ष के यज्ञ का विध्वंश करने वाली महाभयानक भगवती भद्रकाली
करोङों योगिनियों सहित अष्टमी तिथि को ही प्रकट हुई थीं।
नारदपुराण पूर्वार्ध अध्याय 117
आश्विने शुक्लपक्षे तु प्रोक्ता विप्र महाष्टमी ।। ११७-७६ ।।
तत्र दुर्गाचनं प्रोक्तं सव्रैरप्युपचारकैः ।।
उपवासं चैकभक्तं महाष्टम्यां विधाय तु ।। ११७-७७ ।।
सर्वतो विभवं प्राप्य मोदते देववच्चिरम् ।।
आश्विन मास के शुक्लपक्ष में जो #अष्टमी आती है, उसे महाष्टमी कहा गया है। उसमें सभी उपचारों से दुर्गा के पूजन का विधान है।
जो महाष्टमी को उपवास अथवा एकभुक्त व्रत करता है, वह सब ओर से वैभव पाकर देवता की भाँति चिरकाल तक आनंदमग्न रहता है।
भविष्यपुराण, उत्तरपर्व, अध्याय – २६
देव, दानव, राक्षस, गन्धर्व, नाग, यक्ष, किन्नर, नर आदि सभी अष्टमी तथा नवमी को उनकी पूजा-अर्चना करते हैं |
कन्या के सूर्य में आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में अष्टमी को यदि #मूल नक्षत्र हो तो उसका नाम महानवमी है |
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यह महानवमी तिथि तीनों लोकों में अत्यंत दुर्लभ है | आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी और नवमी को
जगन्माता भगवती श्रीअम्बिका का पूजन करने से सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त हो जाती है |
यह तिथि पुण्य, पवित्रता, धर्म और सुख को देनेवाली है | इस दिन मुंडमालिनी चामुंडा का पूजन अवश्य करना चाहिये |
देवीभागवतपुराण पञ्चम स्कन्ध*
अष्टम्याञ्च चतुर्दश्यां नवम्याञ्च विशेषतः ।
कर्तव्यं पूजनं देव्या ब्राह्मणानाञ्च भोजनम् ॥
निर्धनो धनमाप्नोति रोगी रोगात्प्रमुच्यते ।*
अपुत्रो लभते पुत्राञ्छुभांश्च वशवर्तिनः ॥
राज्यभ्रष्टो नृपो राज्यं प्राप्नोति सार्वभौमिकम् ।
शत्रुभिः पीडितो हन्ति रिपुं मायाप्रसादतः ॥
विद्यार्थी पूजनं यस्तु करोति नियतेन्द्रियः ।
अनवद्यां शुभा विद्यां विन्दते नात्र संशयः ॥
अष्टमी, नवमी एवं चतुर्दशी को विशेष रूप से देवीपूजन करना चाहिए और इस अवसर पर ब्राह्मण भोजन भी कराना चाहिए।
ऐसा करने से निर्धन को धन की प्राप्ति होती है, रोगी रोगमुक्त हो जाता है, पुत्रहीन व्यक्ति सुंदर और आज्ञाकारी
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पुत्रों को प्राप्त करता है और राज्यच्युत राज को सार्वभौम राज्य प्राप्त करता है।
देवी महामाया की कृपा से शत्रुओं से पीड़ित मनुष्य अपने शत्रुओं का नाश कर देता है।
जो विद्यार्थी इंद्रियों को वश में करके इस पूजन को करता है, वह शीघ्र ही पुण्यमयी उत्तम विद्या प्राप्त कर लेता है इसमें संदेह नहीं है।
नवरात्रि अष्टमी को महागौरी की पूजा सर्वविदित है साथ ही
अग्निपुराण के अध्याय 268 में आश्विन् शुक्ल अष्टमी को भद्रकाली की पूजा का विधान वर्णित है।
स्कन्दपुराण माहेश्वरखण्ड कुमारिकाखण्ड में आश्विन् शुक्ल अष्टमी को वत्सेश्वरी देवी की पूजा का विधान बताया है।
गरुड़पुराण अष्टमी तिथिमें दुर्गा और नवमी तिथिमें मातृका तथा दिशाएँ पूजित होनेपर अर्थ प्रदान करती है ।
गरुड़पुराण अष्टमी तिथिमें दुर्गा और नवमी तिथिमें मातृका तथा दिशाएँ पूजित होनेपर अर्थ प्रदान करती है ।
विशेष ~ यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश नवरात्रि पर्यन्त प्रतिदिन पूजा करने में असमर्थ रहे
तो उनको अष्टमी तिथि को विशेष रूप से अवश्य पूजा करनी चाहिए।
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