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नोटों और सिक्कों के साथ क्या आप घर ले आएं कोरोनावायरस? जानें सच्चाई

अपनी जेब और पर्स में कहीं आपने नोटों के साथ वायरस को तो नहीं रख लिया? कैसे बचें

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नई दिल्ली: कोरोनावायरस (Coronavirus) का कहर देश औऱ विदेशों में भी बरप रहा है। ऐसे में भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय, ICMR और विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से वक्त-वक्त पर लोगों के लिए कोरोनावायरस से बचने के लिए गाइडलाइन जारी की जा रही है।

आजकल लोगों के बीच एक खबर जोरों पर है कि नोटों और सिक्कों के द्वारा कोरोनावायरस फैल सकता है। इस खबर में कितनी सच्चाई है और अगर यह सच है तो इससे बचने का क्या तरीका है।

यही आज समयधारा अपने पाठकों को बताने जा रही है।

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क्या आप रुपये-सिक्कों से हो सकते है कोरोना संक्रमित?

COVID-19 एक ऐसा नया वायरस है जो इंसान से इंसान में संक्रमण फैलाता है और सांस लेने में दिक्कत पैदा कर देता है।

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हालांकि जितनी भी अभी तक रिसर्च इस नए वायरस पर हुई है उसमें फिलहाल इस बात पर शोध नहीं हो हुआ कि रुपये-नोट व सिक्कों के द्वारा यह वायरस फैलता कैसे है।

हालांकि वैज्ञानिकों समझ इस बात को सुनिश्चित करती है कि ‘कोरोनावायरस ड्रॉपलेट यानी सूक्ष्म बूंदों के रूप में ही मनुष्य की नाक या मुँह के द्वारा शरीर में जा सकता है’ इसलिए मुंह पर मास्क लगाने की एडवाइजरी भी जारी हुई है।

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दूसरे शब्दों में कहें तो अगर कोई संक्रमित रुपया, बिल, नोट या सिक्का अपने हाथ में लेकर हाथों को नहीं धोता तो यह खतरनाक हो सकता है और कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

आरबीआई (RBI) ने भी अभी हाल ही में कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण को लेकर एक सुझाव दिया कि जनता फिलहाल जहां तक हो सकें कैश या नकदी के प्रयोग से बचें और जितना संभव हो डिजिटल लेन-देन करें।

लोग NEFT, IMPS, UPI और BBPS सरीखी फंड ट्रांसफर सेवाओं का लाभ उठाएं। ये सेवाएं 24 घंटे उपलब्ध है।

इतना ही नहीं, RBI के मुख्य महाप्रबंधक योगेश दयाल ने यह भी कहा कि “जनता कैश लेने या भेजने और बिल का भुगतान करने के लिए भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। चूंकि भीड़भाड़ वाली जगह में आपका दूसरे व्यक्ति से संपर्क हो सकता है और फिलहाल  सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत है।”

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कुछ समय पहले अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (CAIT) ने भी कैश के प्रयोग पर चिंता ज़ाहिर की थी। इस बाबत सीएआईटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भारतीय और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने पीएम मोदी को लैटर लिखकर मैसेज दिया था कि “कागज़ से बने करेंसी नोट भी महामारी बन चुके कोरोनावायरस को फैलाने में सहायक साबित हो सकते हैं।”

सीएआईटी ने 14 अप्रैल को लिखे ट्वीटी में भी जनता से कहा था कि पेमेंट्स को बोलें ‘हां’, वायरस को बोले ‘न’। डिजिटल पेमेंट के तरीके अपनाएं, सुरक्षित रहें, व्यापार बढ़ाएं!

#Covid19, #IndiaFightsCorona #PaySafeStaySafe.

सीएआईटी ने अपने एक अन्य ट्वीट में कहा है कि जब समय कठिन हो तब भुगतान का तरीका सरल होना चाहिए।

डिजिटल पेमेंट (Digital Payments) के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए कॉन्टैक्टलेस कार्ड, ऑनलाइन शॉपिंग और भारत क्यूआर कोड सरीखे डिजिटल स्टेप्स को फॉलो करें और देश व समुदाय को कोरोना के कहर से बचाएं। #PaySafeStaySafe #Covid19

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दरअसल, नोट मार्केट में कई तरह के लोगों के हाथों से गुजरता है। कोरोनावायरस छींक या खांसी के ड्रॉपलेट्स के कारण फैलता है।

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अगर ऐसे में कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति रुपये या नोटों और सिक्कों को हाथ में लेता है और वहीं नोट जब आप तक पहुंचता है तो संक्रमण घर बैठे आपके पास पहुंच जाता है।

इतना ही नहीं, लोग अक्सर खांसने या छींकने के बाद रुपयों या नोटों को छू लेते है और फिर इन्हीं को आगे सामान खरीदने या बेचने के बाद जनता तक पहुंचा देते है।

इस प्रकार कोरोना संक्रमण आपकी जेब और पर्स में पहुंचकर आपके घर तक आ जाता है। कोरोना संक्रमण नोटों के जरिए भी फैल सकता है।

इसलिए भारतीय व्यापारी संघ और आरबीआई ने भी डिजिटल पेमेंट के लेनदेन पर जोर दिया है।

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नोटों से फैलता है संक्रमण? क्या कहता है WHO?
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि ‘यदि आप संक्रमित कैश के कॉन्टैक्ट में आते भी हैं, तो उसे लेने या देने के बाद अपने हाथ धोकर आप इस समस्या को टाल सकते हैं।‘

WHO ने सख्ती के साथ कहा है कि ‘जिन देशों में कोरोनावायरस संक्रमण फैला है, वहाँ के करेंसी नोट या सिक्के हाथ में लेने के बाद, अपने चेहरे, मुँह, नाक, कान या आँख को बिल्कुल न छुएं।’

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कागज़ के रुपये या नोट व सिक्कें कैसे हो सकते है संक्रमित?
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जैसाकि सभी को मालूम है कि कोरोनावायरस चीन (China) के शहर वुहान से आया है। चीन और साउथ कोरिया में जब कागज़ के नोटों और सिक्कों की सफाई की गई तो यही सवाल उठा कि क्या कागज़ के नोटों और सिक्कों संक्रमित हो सकते है?

इसका जवाब बेशक हाल के शोधों में नहीं ढूंढा गया लेकिन इसका जवाब वर्ष 2003 में फैली SARS महामारी के समय हुए एक शोध के हवाला से दिया गया है।

KGMU की एक रिसर्च में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि कोरोना संक्रमण कागज़ के नोटों और सिक्कों से भी फैलने का अंदेशा है।

अमेरिका में भी एक स्टडी के हवाले से कहा गया था कि  ‘SARS कोरोना वायरस कागज़ को 72 घंटे तक और कपड़े को 96 घंटे तक संक्रमित रख सकता है।’

हाल की स्टडी में इस बात पर वैज्ञानिक निष्कर्ष निकालने में सफल रहे है कि ‘SARS कोरोनावायरस और कोविड-19 में बहुत सी संरचनात्मक समानताएं हैं।’

वैसे कोविड-19 से मरने वालों की संख्या अभी तक तो SARS Coronavirus की तुलना में कम ही बताई जा रही है।

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रुपये,नोट और सिक्कों के संक्रमण से खुद को कैसे बचाएं?

अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए हर किसी का सामान खरीदना लाजिमी है और उसके लिए नोटों या रुपयों और सिक्कों का लेनदेन भी स्वाभाविक है।

अब सवाल उठता है कि ऐसे में हम रुपये और नोटों के संक्रमण से बचें कैसे? इसके लिए हम कुछ सुझाव बता रहे है जोकि विभिन्न एक्सपर्ट्स के हवाले से दिए गए है:

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-डब्ल्यू एच ओ (WHO) ने जोर देकर कहा है कि आप हाथ धोकर ही करेंसी नोट या सिक्कों का प्रयोग करें। जब भी नोट लें या दें तो उसके बाद अपने हाथ जरूर धोएं और गलती से भी नोटों या सिक्कों के लेन-देन के बाद अपने हाथों से आंख,नाक, मुंह को बिल्कुल न छूएं।

-एक अन्य एक्सपर्ट की राय में आप नोट गिनने से पहले और बाद में अपने हाथों पर सैनिटाइजर लगा लें।

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-बैक्टीरिया या इन्फेक्शन नोटों पर आसानी से टिक जाता है। इसलिए नोटों पर वायरस जिंदा रह सकता है। नोटों से फैल सकता है।

-इसलिए सिक्कों को तो आप साबुन और पानी से धो सकते है और नोटों या रुपयों को आप सैनिटाइजर या लिक्विड डेटॉल और सैवलॉन से आप अपने नोटों या रुपयों को आप साफ कर सकते है।  

-इसके लिए अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर और डिसइंफेक्टिव सॉल्यूशन मसलन डेटॉल और सैवलॉन की बहुत कम मात्रा रुई या कपड़े पर लेकर अपने नोटों या सिक्कों की सफाई रुपये लेने या देने से पहले जरूर करें। ताकि संक्रमण से बचाव संभव हो सकें।

आरबीआई के अनुसार, इस समय जितना संभव हो डिजिटल भुगतान करें। ताकि आपको नोट या करेंसी हाथ में लेने का झंझट ही न पड़े।

एटीएम (ATM) से पैसा निकालने से पहले और निकालने के बाद भी हाथ साबुन से जरूर धोएं। इतना ही नहीं, अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड को भी साफ करें।

इसके लिए अल्कोहल युक्त सैनिटाइज़र या डेटॉल या सैवलॉन की हल्की मात्रा कपड़े या रुई पर लेकर सफाई जरूर करें। इसके बाद इस संक्रमित रूई या कपड़े को ढक्कनदार कूडेंदान में फेंक दें।

 

चीन के सरकारी मीडिया के अनुसार ‘फ़रवरी के दूसरे सप्ताह में ही, जब कोविड-19(COVID-19) की वजह से मरने वालों की संख्या 1500 से अधिक हुई ही थी, तभी चीन के सभी बैंकों को यह निर्देश दिया गया था कि वे संभावित रूप से कोरोना संक्रमित करेंसी नोट वापस ले लें और उन्हें जीवाणुरहित बनाने का काम जारी रखें।’

सीएआईटी (CAIT) ने भी पीएम मोदी (PM Modi) से अपील की है कि, “भारत सरकार वर्तमान स्थिति को देखते हुए सिंथेटिक पॉलिमर से बनने वाले करेंसी नोट लाने पर विचार करे जिनके द्वारा संक्रमण फ़ैलने का ख़तरा कागज़ के नोटों की तुलना में कम बताया जाता है।’

चीन के हूबे प्रांत में स्थित वुहान शहर से ही दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस के संक्रमण की शुरुआत हुई थी।

गौरतलब है कि ‘SARS कोरोनावायरस कागज़ को 72 घंटे तक और कपड़े को 96 घंटे तक संक्रमित रख सकता है।’

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Sonal

सोनल कोठारी एक उभरती हुई जुझारू लेखिका है l विभिन्न विषयों पर अपनी कलम की लेखनी से पाठकों को सटीक जानकारी देना उनका उद्देश्य है l समयधारा के साथ सोनल कोठारी ने अपना लेखन सफ़र शुरू किया है l विभिन्न मीडिया हाउस के साथ सोनल कोठारी का वर्क एक्सपीरियंस 5 साल से ज्यादा का है l

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