Women’s Day 2023 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में है Kidney की बीमारियाँ ज्यादा
इंटरनेशनल महिला दिवस (International Women's Day 2023) पर महिलाओं में किडनी की बीमारियों को लेकर जानकारीयां
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नई दिल्ली, (समयधारा ) : देश-विदेश में कोरोना को लेकर पहले ही हाहाकार मचा हुआ है l
इस वजह से किसी अन्य बीमारी की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं जा रहा है l
हम 8 मार्च को आने वाले International Women’s Day 2023 को ध्यान में रखते हुए आपके लिए लाये है
महिलाओं में होने वाले किडनी की बीमारियों से रिलेटेड कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ l
मानव सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है l
यह बात भारतीय इतिहास की भारतीय संस्कृति की एक पहचान है l मानव सेवा भी कई तरह से की जाती हैl
कही कोई दान करता है l तो कोई भूखे को खाना खाना खिलाता है l तो कोई लंगर डाल सेवा भाव करते हैl
पर मानव सेवा का सबसे बड़ा महत्व मानव की बीमारियों में उनकी सेवा करना l
हमारे देश में कई तरह की बीमारियाँ लोगों को है l कुछ लाइलाज है तो कुछ का इलाज़ तो है पर उसका पता किसी के पास नहीं है l
कई लोग तो बीमारियों के चपेट में सिर्फ लापरवाही के वजह से आ जाते है l
Womens day 2023 Women have Kidney’s illnesses more than men
इन्ही में से एक बीमारी है गुर्दे/किडनी से संबंधित l
दुनियाभर में गुर्दा संबंधी रोग से पीड़ित मरीजों में महिलाओं की तादाद पुरुषों से कहीं अधिक है, जिसका मुख्य कारण लापरवाही है।
यह बात विश्व गुर्दा दिवस (World Kidney Day) पर आयोजित एक कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कही।
विशेषज्ञों ने बताया कि देश के ग्रामीण इलाकों में गुर्दा संबंधी रोगों को लेकर महिलाओं में जागरूकता फैलाने की जरूरत है
जिससे वे अपनी हिफाजत कर पाएं और समय पर जांच व इलाज कराएं।
विश्व गुर्दा दिवस व अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर यह कार्यक्रम दिल्ली के धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में करवाया गया था।
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इस मौके पर अस्पताल के नेफ्रोलॉजी व गुर्दा प्रत्यारोपण विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सुमन लता नायक ने कहा कि,
महिलाओं को अपनी जीवन पद्धति को ठीक रखना चाहिए और गुर्दा संबंधी कोई तकलीफ होने पर तुरंत जांच करवानी चाहिए।
उन्होंने बताया कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप से गुर्दे की तकलीफें बढ़ती हैं, इसलिए खानपान व आदत में सुधार लाकर इनपर नियंत्रण रखना जरूरी है।
डॉ. नायक ने बताया कि दुनियाभर में साढ़े तीन अरब से अधिक गुर्दे के मरीज हैं जिनमें महिलाओं की तादाद 1.9 अरब है।
उन्होंने बताया ग्रामीण इलाकों में महिलाओं में जागरूकता नहीं होने के कारण गुर्दे की बीमारी का समय पर इलाज नहीं हो पाता है।
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डॉ. नायक के मुताबिक, महिलाओं में गुर्दे की तकलीफें 14 फीसदी होती हैं तो पुरुषों में 12 फीसदी।
इसलिए महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
मूत्रविज्ञान व गुर्दा प्रत्यारोपण विभाग के सीनियर कंसल्टेंट विकास जैन ने बताया कि गुर्दा खराब होने पर गुर्दे का प्रत्यारोपण ही सही विकल्प है,
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लेकिन जागरूकता का अभाव होने के कारण गुर्दे की उपलब्धता कम है।
उन्होंने कहा, “हमारे पास जो गुर्दा दान करने वाले लोग आ रहे हैं उनमें ज्यादातर अपने परिजनों की जान बचाने के लिए अपना गुर्दा देने वाले लोग हैं।
जब तक मृत शरीर से गुर्दे की आपूर्ति नहीं होगी तब तक गुर्दे की जितनी जरूरत है उतनी पूर्ति नहीं हो पाएगी।
इसलिए लोग अपने अंग दान करने का संकल्प लें ताकि उनके मरने के बाद उनके अंग किसी के काम आए।”
मूत्ररोग विशेषज्ञ अनिल गोयल ने कहा कि एक गुर्दा भी पूरी जिंदगी के लिए काफी है,
इसलिए लोगों को यह धारणा बदलनी होगी कि उनके एक गुर्दा दान करने से उन्हें आगे तकलीफ हो सकती है।
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