कोर्ट या गोली? बलात्कारियों के लिए बस एक ही सजा “मौत” जनता बोली…
बेटियां वो खोते है, लाशों को वो ढ़ोते है और इसांफ के लिए ताउम्र भी वही रोते है...
Just one punishment for rapists “death”
हैदराबाद की डॉक्टर के साथ गैंगरेप (Hyderabad doc gang rape accuse encounter) के अपराधियों को जो सजा मिली वो भी शायद उनके लिए कम थी ऐसे लोगों को तो और अधिक तड़पा-तड़पा के मारना चाहिए।
हमारे देश में दिन-प्रतिदिन बढ़ती बलात्कार (rape) की घटनाओं ने हमें दुनियाभर में शर्मसार कर दिया है।
जो बलात्कारी (rapists) हैं वो किसी आतंकवादी से कम नहीं होते,उसके लिए जो सजा निर्धारित है वही सजा बलात्कारी के लिए होनी चाहिए।
उन्नाव गैंगरेप कांड (Unnao gang-rape case) हो या निर्भया गैंगरेप कांड (Nirbhaya gang-rape case) हर अपराधी के लिए बस एक ही सजा होनी चाहिए- ‘सजा-ए-मौत’ (Just one punishment for rapists “death”)।
हैदराबाद एनकाउंटर (Hyderabad encounter) पर देश में जहां एक ओर जश्न का माहौल है तो वहीं दूसरी ओर इसे कानून के साथ खिलवाड़ बताने वालों की भी कमी नहीं है।
लेकिन सवाल यह उठता है कि सिस्टम के साथ चलकर क्या सच में एक रेप पीड़िता को इंसाफ मिल जाता है?
इस सवाल का जवाब हम सभी को मालूम है-बिल्कुल नहीं।
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अगर ऐसा होता तो निर्भयाकांड के सात साल बाद भी अपराधियों को सरकारी मेहमान न बनाया गया होता और उन्हें कब का फांसी पर चढ़ाकर सजा-ए-मौत दी जा चुकी होती।
हमारी न्यायप्रक्रिया ही इतनी लचर और जटिल है कि एक युवती के शरीर को नोंचने और आदमखोर जानवर की तरह उसे जलाकर मारने में अपराधियों को महज कुछ मिनट या घंटे लगते है लेकिन उसी गैंगरेप या रेप पीड़िता को
इंसाफ मिलने में एक युग निकल जाता है और न्यायपालिका से न्याय मिलने की आस पर पीड़िता के परिजन अपनी ताउम्र कोर्ट (court) के दरवाजे के चक्कर काटते-काटते निकाल देते है।
ऐसे में कुछ मामले या तो ठंडे पड़ जाते है या फिर कुछ इंसाफ (Justice) की आस में लटककर रह जाते है। नतीजतन, अपराधियों के हौंसले बुलंद। जैसाकि कि निर्भया के परिजनों के साथ आज तक हो रहा है।
अंग्रेजी में एक कहावत है- “Justice delayed is justice denied” अर्थात “न्याय में देरी, न्याय न करने के बराबर है” ठीक इसी तरह एक बलात्कार पीड़िता और उसके परिजनों के साथ होता है जब उन्हें समय रहते इंसाफ नहीं मिलता।
न्याय की आस के सूरज को इतने लंबे समय के लिए ग्रहण लग जाता है कि तब तक कुछ बलात्कारी किसी न किसी तरह या तो बच निकलते हैं या फिर कुछ दिन कैद काटकर वापिस घर लौट आते है और एक और जघन्य अपराध को जन्म देते है।
जैसाकि उन्नाव गैंगरेप पीड़िता के साथ हुआ। इस केस में भी जिंदा जलाने वाला एक अपराधी थोड़े दिन पहले ही जमानत पर बाहर आया था। ऐसे में देशवासियों की भावनाएं तुरंत इंसाफ की गुहार न करेंगी तो क्या करेगी?
नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए। इससे तो अपराधी को शह मिलती है। इसलिए हैदराबाद में जो सजा बलात्कारियों को मिली वो काबिलेतारीफ है।
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उम्मीद है अब उन्नाव गैंगरेप के अपराधियों को भी यही सजा मिलेगी और देश की हर निर्भया को न्याय मिलेगा।
हो सकता है कई लोग मेरी भावनाओं से इत्तेफाक न रखते हो और उन्हें मेरा यह तर्क पसंद भी न आये लेकिन जब तक त्वरित न्याय का रास्ता नहीं खुलता तब तक ऑन द स्पॉट इंसाफ ही पीड़िताओं के लिए एकमात्र रास्ता बचता (Just one punishment for rapists “death”) है।
हम सभी जानते है कि कोर्ट के फैसले आते-आते वक्त लग जाता है। इसलिए बलात्कारियों के बच निकलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
ऐसे में जरूरी है कि विधानपालिका और न्यायपालिका साथ मिलकर कोई ऐसा कानून बनाये जिससे कम से कम समय में बलात्कारी को केवल एक ही सजा मिले और वो है- मौत की सजा या उसकी भी हत्या (Just one punishment for rapists “death”)।
जब एक बलात्कार (rape) पीड़िता की इज्जत को दागदार किया जाता है तो केवल उसके शरीर को आघात नहीं पहुंचा बल्कि उसके मस्तिष्क, उसके सम्मान और पूरे वजूद को बलात्कारी अपने पौरुष अंहकार के आगे कुचल डालता है
और इस पर भी जब उस अपराधी का मन नहीं भरता तो उस पीड़िता को जिंदा जला दिया जाता है या फिर उसकी तुरंत हत्या कर दी जाती है।
क्या कभी रेप पीड़िताओं के परिजनों से आपने जाकर पूछा है और समझा है उनका दर्द? बेटियां वो खोते है, लाशों को वो ढ़ोते है और इसांफ के लिए ताउम्र भी वही रोते है।
तो ऐसे कानून का क्या फायदा? जहां एक पीड़िता ही नहीं बल्कि उसका पूरा परिवार ही मर जाता है। उनकी दुनिया, उनका आत्मसम्मान, उनका सुकून मर जाता है।
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बलात्कारी केवल एक पीड़िता की नहीं बल्कि उसके पूरे परिवार की हत्या कर देता है और ऐसे अपराधी को कोर्ट की लचर प्रक्रिया के चलते बस जीवन दान मिलता चला जाता है।
इसलिए जरूरी है कि एक ऐसा कानून लाया जाए कि बलात्कारियों को देखते ही उनकी हत्या कर दी जाएं या उन्हें मौत की सजा सुना दी जाए (Just one punishment for rapists “death”)।
अगर ऐसा होता है तो बलात्कारियों को एक ऐसा सबक मिलेगा कि ऐसे कुकर्म को अंजाम देने से पहले उनकी रूह कांप उठेगी।
अगर बलात्कारियों के लिए तुरंत ‘मौत का कानून’ (Just one punishment for rapists “death”) पास हो जाता है, तो पक्का देश में इस प्रकार की घटनाओं में कमी आएगी।
अपराधियों का साथ देने वाला भी अपराधी होता है। इसलिए सबकी जिम्मेदारी बनती है कि इन अपराधों को अंजाम देने वालों का साथ देने की बजाय हर हाल में उनको पकड़वाकर सजा दिलाने में मदद करें।
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ऐसे अपराधियों की बस एक ही सजा है- ‘मौत’ वह भी बिना किसी आगे कानूनी कार्यवाही के। क्यूंकि यह कोई जमीन-जायदाद या हक का नहीं वरन् एक लड़की की आबरू का सवाल है। ऐसे अपराधियों का जुलूस निकालने के बाद ही मौत देनी चाहिए।
“किसी मासूम की इज्जत पर खंजर घोंपने वाले
दरिंदे अब से तुम्हारी बस इक ही सजा है मौत
अपनी रूह से खौफ न खाने वाले जरा संभल
तुमने माथे पर भी लिख वाली है सजा-ए-मौत।“
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डिसक्लेमर: उपरोक्त विचार लेखिका के व्यक्तिगत है।