
Chaitra-Navratri-4th-day Maa-Kushmanda-Devi Puja-Vidhi
चैत्र नवरात्रि 2025 (Chaitra-Navratri-2025) का आज चौथा दिन है।
चौथे दिन की नवरात्रि (Navratri-4th-day) में दुर्गा मां (Maa Durga) के कूष्मांडा (Kushmanda) स्वरूप की पूजा-अर्चना विधिवत की जाती है।
25 मार्च 2025 नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा देवी का व्रत-पूजन करने से भक्तगण को विपदाओं से मुक्ति और यश,वैभव-सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती (Chaitra-Navratri-4th-day Maa-Kushmanda-Devi Puja-Vidhi) है।
नवरात्रि के चौथे दिन बुधवार का दिन पड़ने से इस नवरात्रि (Navratri) का और अधिक महत्व हो गया है।
मां कूष्मांडा आदिशक्ति का रूप है। देवी की मंद मुस्कान से ही सृष्टि ने सांस लेना शुरू किया अर्थात देवी कूष्मांडा की मंद मुस्कान से ही सृष्टि की शुरूआत हुई।
देवी कूष्मांडा का निवास स्थान सूर्यमंडल के बीच में माना जाता है। देवी का तेज ही इस संसार को तेज बल और प्रकाश प्रदान करता है। देवी कूष्मांडा मूल प्रकृति और आदिशक्ति हैं।
जब सृष्टि में चारों तरफ अंधकार फैला था। उस समय देवी ने जगत की उत्पत्ति की इच्छा से मंद मुस्कान किया इस सृष्टि में अंधकार का नाश और सृष्टि में प्रकाश फैल गया।
कहते हैं कि देवी के इस तेजोमय रूप की जो भक्त श्रद्धा भाव से भक्ति करते हैं और नवरात्रि के चौथे दिन इनका ध्यान करते हुए पूजन करते (Chaitra-Navratri-4th-day Maa-Kushmanda-Devi Puja-Vidhi) हैं, उनके लिए इस संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं रह जाता है।
माता अपने भक्त की हर चाहत को पूरी करती हैं और भोग एवं मोक्ष प्रदान करती हैं।

मां कूष्मांडा का स्वरूप और शक्ति
जो इस चक्र को जागृत करने में सहायक होता है। मां कूष्मांडा के स्वरूप के बारे में कहा जाता है कि यह अष्ट भुजाओं वाली देवी हैं।
इनकी भुजाओं में बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल शोभा पाते हैं। वहीं दूसरी भुजा में वह सिद्धियों और निधियों से युक्त माला धारण करती हैं। मां कूष्मांडा की सवारी सिंह है।
देवी कूष्मांडा का ध्यान मंत्र
-या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
जबकि देवी की पूजा में समस्त वस्तु, ओम देवी कूष्माण्डायै नमः॥ नाम से अर्पित करना चाहिए।
मां कूष्मांडा की पूजा विधि-Maa Kushmanda puja vidhi
Chaitra-Navratri-4th-day Maa-Kushmanda-Devi Puja-Vidhi
-इसके बाद दुर्गा के कूष्मांडा रूप की पूजा करें।
-पूजा में मां को लाल रंग के पुष्प, गुड़हल या गुलाब अर्पित करें।
-इसके साथ ही सिंदूर, धूप, दीप और नैवेद्य भी माता को चढ़ाएं।
-माता के इस स्वरूप का ध्यान स्थान अनाहत चक्र है इसलिए देवी की उपासना में अनाहत चक्र के मिलते रंग जो हल्का नील रंग है उसी रंग के वस्त्रों को धारण करे। इससे माता के स्वरूप में ध्यान लगाना आसान होगा।
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माता कूष्मांडा के लिए भोग और प्रसाद
देवी कूष्मांडा की पूजा के लाभ
साथ ही जो देवी कूष्मांडा की भक्ति करते हैं माता उसके लिए मोक्ष पाने का मार्ग सहज कर देती हैं। माता के भक्तों में तेज और बल का संचार होता है। इन्हें किसी प्रकार का भय नहीं रहता है।