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नई दिल्ली:सिर पर पिता का साया नहीं,मां-बहन बीमार और आर्थिक तंगी से बदहाल एक मां और उसकी दो बेटियों ने दिल्ली के वसंत विहार इलाके में शनिवार को आत्महत्या कर ली।
आत्महत्या के तरीके को देखकर पुलिस सहित हर कोई हैरान और परेशान है।
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दिल्ली(Delhi)के पॉश इलाके वसंत विहार में शनिवार देर शाम एक रोंगटे खड़े कर देने वाला दर्दनाक हादसा हुआ,जिसमें एक फ्लैट में मां सहित दो बेटियां मृत पाई(Delhi-Triple-Suicide-case-Mother-and-two-daughters-committed-suicide-in-vasant-vihar)गई।
पूरा घर जहरीली गैस चैंबर बन गया था,जिसका खुलासा खुद मृतकों ने अपने सुसाइड नोट में किया और लिखा-Too much deadly gas. दरवाजा खोलने के बाद माचिस या लाइटर न जलाएं, घर में काफी खतरनाक जहरीली गैस भरी हुई है।
वसंत विहार अपार्टमेंट के हाउस नंबर 207 में मृत पाएं गए तीनों लोगों की पहचान हो गई है।मृतिका मां का नाम- मंजू है जोकि 54 वर्ष की है और उसके साथ मिले दो शव उनकी बेटियों 27 वर्षीय अंशिका (Anshika)और 25 वर्षीय अंकु (Anku) के है।
पुलिस मामले की जांच कर रही है।लेकिन शुरुआती जांच से पता चला है कि इस घर का मुखिया यानि मां मंजू के पति की मौत वर्ष 2021 के अप्रैल में कोरोना के कारण हो गई थी।
जिसके बाद से पूरा परिवार बहुत ज्यादा डिप्रेशन में चल रहा था और आर्थिक तंगी से भी जूझ रहा था। मां मंजू अपनी बीमारी के कारण बिस्तर पर थी।
दिल्ली(Delhi)के ट्रिपल सुसाइड केस में खुदकुशी के लिए जो तरीका अपनाया गया है। उसे जानकर हर कोई चौंक गया है। चूंकि मां-बेटियां आत्महत्या के लिए तैयारी बीते तीन महीनों से कर रही थी।
घर को किस तरह से गैस चेंबर में बदलना है,इसकी जानकारी उन्होंने यूट्यूब से ली थी। घर को जहरीली गैस से भरने के लिए उन्होंने सारा सामान अमेजन से ऑनलाइन मंगवाया था।
पुलिस ने अपनी शुरुआती जांच में बहुत ही सनसनीखेज खुलासे किए है जोकि इस प्रकार है।
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पुलिस जांच में सामने आया है कि अंशिका (Anshika)ने अंगीठी, फॉयल पेपर, टेप और अन्य सामान अमेजन से मंगवाया था। इनकी डिलीवरी 19 मई को हुई थी।
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सामान आने के बाद अंशिका और उसकी बहन ने घर के हर दरवाजे और खिड़की को फॉयल पेपर और टेप की मदद से बंद कर दिया। जिससे ऑक्सीजन घर के अंदर न आ सके और घर में बनी जहरीली गैस बाहर न जा सके।
पुलिस के मुताबिक,घर में बनी मोनोऑक्साइड सहित अन्य जहरीली गैस से तीनों की मौत हुई है।
जांच में पता चला है कि कम से कम दो दिन तक घर को गैस चैंबर में बदलने के लिए तैयारी की गई थी। पुलिस ने तीनों शवों का पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजनों को सौंप दिया है।
माचिस न जलाएं,घर में जहरीली गैस भरी है…घर बनाया गैस चैंबर और लिखा 10 पेज का सुसाइड नोट
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घर के अंदर-अलग अलग दीवारों पर 10 पेज का सुसाइड़ नोट मिला है। पहला सुसाइड नोट चेतावनी के तौर पर गेट खोलते ही दिखाई दिया।
जिस पर लिखा था कि Too much deadly gas. दरवाजा खोलने के बाद माचिस या लाइटर न जलाएं, घर में काफी खतरनाक जहरीली गैस भरी हुई है।
दरअसल, ये नोट इसलिए लिखा गया था कि मौत के बाद जब पुलिस अंदर दाखिल हो तब कोई हादसा न हो. बेटियों की उम्र 21 से 25 साल के बीच थी. इन लोगों ने पॉलीथीन और टेप ऑनलाइन मंगाई थी.
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घर के अंदर के सारे रोशनदान को पॉलीथिन से पैक किया गया था। घर में अंगीठी जलाई गई। घर का गैस सिलेंडर खोल दिया गया। इसके बाद मां और बेटियों ने दम तोड़ दिया।
पुलिस जब घर के अंदर दाखिल हुई तो उन्हें जहरीली गैस है…चेतावनी देता सुसाइड नोट मिला। फिलहाल फोरेंसिक टीम घर का मुआयना कर रही है और मामले की तफ्तीश जारी है।
इसके अलावा घर के अंदर मिले दूसरे नोट में ज्यादातर पर अंकिता की बुआ के बारे में लिखा गया है। साथ ही आर्थिक तंगी, बीमारी, रिश्तेदारों से दूरी और समाज से कटने को आत्महत्या का कारण बताया गया है।
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घर के बगल वाला फ्लैट किराएंदारों से खाली कराया गया
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घर से मिले एक सुसाइड नोट में लिखा गया है कि तीन माह पहले ही घर की घरेलू सहायिका को हटा दिया गया था। साथ ही फ्लैट के बगल वाले उनके दूसरे फ्लैट को भी तीन माह पहले ही खाली करवा लिया गया था।
सुसाइड नोट के अनुसार यह फ्लैट इसलिए खाली करवाया गया था कि अगर उनके घर में आग लगती है तो दूसरे फ्लैट में रहने वाले किराएदारों की मौत न हो जाए।
19 मई को अंशिका ने आत्महत्या के लिए सामान मंगवाया था और 20 मई को ही दूध वाले को मना कर दिया था।
घर की नौकरानी को दे दिया जाए सामान
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पड़ोसियों ने बताया कि अंशिका ऑनलाइन कुछ काम करती थी, जिससे कुछ पैसे उसे मिल जाया करते थे। लेकिन इससे परिवार का गुजारा नहीं चल पा रहा था।
ऐसे में परिवार के यहां काम करने वाली घरेलू सहायिका भी उनकी मदद कर दिया करती थी। यही वजह है कि एक सुसाइड नोट में घरेलू सहायिका कमला का नाम भी लिखा है।
इसमें बताया गया है कि उनकी मौत के बाद घर में मौजूद जरूरत का सारा सामान कमला को दे दिया जाए। अगर वह सामान न ले तो यह सामान किसी भी गरीब व्यक्ति को जो इस्तेमाल कर सके उसे दे दिया जाए।
मां और एक बेटी थी बीमार
पिछले करीब डेढ़ साल ने मंजू बीमारी थी और वह बिस्तर से खड़ी तक नहीं हो पाती थी। मंजू बिस्तर पर ही दैनिक कार्य करती थी। इसके अलावा अंशु की भी तबीयत खराब चल रही थी। मां और अंशु की दवाइयों के लिए भी अंशिका के पास पैसे नहीं बचे थे।
उधार मिलना तक बंद हो गया था
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पुलिस की जांच में घर के अंदर खाने का कोई भी सामान नहीं मिला है। पूछताछ में सामने आया है कि परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी।
खाने-पीने के लिए सामान परिवार दुकान से उधार लेता था, लेकिन उधारी बढ़ जाने के चलते दुकानदार ने उन्हें उधार देना बंद कर दिया था।
पड़ोसियों ने बताया कि पिछले चार-पांच दिनों से किसी ने भी उन्हें घर से बाहर निकलते नहीं देखा था।
पूरा परिवार मैनपुरी का रहने वाला था परिवार
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पुलिस अधिकारी ने बताया कि मंजू के पति उमेश मूलत: मैनपुरी जिले के किसनी तहसील के गांव अर्जुनपुर के रहने वाले थे। वह 1979 में परिवार के साथ दिल्ली आ गए थे।
शुरू में कई जगह किराए पर रहने के बाद 1994 में मंजू की मां ने वसंत विहार का घर उन्हें दे दिया और पूरा परिवार वहां शिफ्ट हो गया था।
पहले वह गांव आते-जाते रहते थे लेकिन 2017 में उन्होंने 15 लाख रुपये में गांव का पुश्तैनी घर व खेत एक व्यक्ति को बेच दिया था। उसके बाद से उन्होंने गांव जाना भी बंद कर दिया था।
कोरोनाकाल में खराब हुई आर्थिक स्थिति
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पड़ोसियों ने बताया कि उमेश दिल्ली में लंबे समय से एक सीए के साथ काम कर रहे थे। वह अपनी दोनों बेटियों को भी सीए बनाना चाहते थे।
इसके लिए उन्हें कोचिंग भी करवाई थी। लेकिन 2021 में कोरोना से उमेश की मौत के बाद उनका पूरा परिवार अवसाद में आ गया था। पड़ोसियों ने बताया कि कोरोना के दौरान परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी।
पड़ोसियों ने चंदा जमा करके उमेश का अंतिम संस्कार कराया था और अंकिता ने उनके शव को मुखाग्नि दी थी।
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