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सामने आया भारत का सबसे बड़ा बैंक घोटाला! 28 बैंकों के साथ ABG Shipyard ने की 23,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी,जानें कैसे

यह भारतीय बैंकिंग इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा बैंक घोटाला है,जिसने नीरव मोदी(Nirav Modi) और विजय माल्या(Vijay Mallya)सरीखे भगोड़े कारोबारियों के स्कैम को भी पछाड़ दिया है।

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नई दिल्ली:भारत का सबसे बड़ा बैंक घोटाला(India’s-biggest-bank-scam)सामने आने के बाद देश में सनसनी है।यह घोटाला गुजरात की एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड(ABG Shipyard bank fraud)कंपनी ने किया है।

इसने पीएनबी घोटाले(PNB Bank Scam)को भी मात दे दी है,जिसे अभी तक सबसे बड़ा बैंकिग घोटाला(Bank scam)समझा जाता था।

आरोप है कि एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड (ABG Shipyard) और उसके डायरेक्टरों ऋषि अग्रवाल, संथानम मुथास्वामी और अश्विनी कुमार ने SBI सहित देश के 28 बैंकों के साथ 22,842 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी की(Indias-biggest-bank-scam-ABG-Shipyards-Rs-23000-cr-fraud-CBI-books-rishi-Kamlesh-Agarwal-here details)है।

यह भारतीय बैंकिंग इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा बैंक घोटाला है,जिसने नीरव मोदी(Nirav Modi) और विजय माल्या(Vijay Mallya)सरीखे भगोड़े कारोबारियों के स्कैम को भी पछाड़ दिया है।

सीबीआई (CBI) ने देश के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड में(Indias-biggest-bank-scam-ABG-Shipyards-Rs-23000-cr-fraud)एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज(CBI-books-rishi-Kamlesh-Agarwal-here details)किया है।

लेकिन CBI ने डेढ़ साल की ‘जांच’ के बाद FIR की है,जिसपर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहै है कि आखिर कंपनी और उसके अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लेने में इतनी देर क्यों हुई?और उन्हें गायब होने का मौका कैसे दे दिया गया?

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जानें ABG Shipyard क्या है और कैसे किया इसने फ्रॉड?

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सभी जानना चाहते है कि आखिर एबीजी शिपयार्ड ने इतना बड़ा घोटाला कैसे किया(ABG Shipyard ne 23000 crore ka ghotala kaise kiya)और सरकारी तंत्र की आंख इतनी देर में कैसे खुली।चलिए बताते है विस्तार से।

एबीजी समूह की प्रमुख कंपनी है-एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड(ABG Shipyard Limited)। यह कंपनी गुजरात(Gujarat) के दाहेज और सूरत में पानी के जहाजों के निर्माण और उनके मरम्मत का काम करती है।

1985 में स्थापित हुई एबीजी शिपयार्ड लिमिडेट अभी तक 165 से ज्यादा जहाज बना चुकी है। हालांकि एक समय में, भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट शिपयार्ड कंपनी अब कर्ज में डूबी डिफॉल्टर कंपनी हो गई है।

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स्टेट बैंक(state bank of India)की शिकायत के अनुसार, कंपनी ने बैंक से 2,925 करोड़ रुपये, आईसीआईसीआई बैंक(ICICI Bank) से 7,089 करोड़ रुपये,

आईडीबीआई बैंक(IDBI Bank)से 3,634 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा(Bank of Baroda)से 1,614 करोड़ रुपये, पंजाब नेशनल बैंक(Punjab National Bank) से 1,244 करोड़ रुपये,

इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) से 1,228 करोड़ रुपये का कर्ज लिया।

इन पैसों का इस्तेमाल उन खर्चों में नहीं हुआ, जिनके लिए बैंक ने इन्हें जारी किया था, बल्कि दूसरे खर्चों में इसे लगाया गया।

कंपनी को 28 बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लोन(Loan) सुविधाएं मंजूर की गई थीं, जिनमें एसबीआई का एक्सपोजर 2468.51 करोड़ था।

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CBI ने डेढ़ साल बाद दर्ज की FIR

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एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड(ABG Shipyard) के 22,842 करोड़ रुपये के कथित घोटाले की जांच डेढ़ साल तक चली और फिर सीबीआई ने FIR दर्ज की।

दरअसल,SBI ने पहली शिकायत 8 नवंबर 2019 को की। इसपर सीबीआई ने 12 मार्च 2020 को इस पर कुछ स्पष्टीकरण मांग।

अगस्त 2020 में बैंक ने नई शिकायत दर्ज कराई। डेढ़ साल से अधिक समय तक जांच-पड़ताल करने के बाद, सीबीआई ने 7 फरवरी, 2022 को मामले में प्राथमिकी दर्ज की।

 

देश के सबसे बड़े बैंक घोटाले का सिलसिला पांच साल चला

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अर्नेस्ट एंड यंग द्वारा 18 जनवरी 2019 को सौंपी गई फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट (अप्रैल 2012 से जुलाई 2017) से पता चला कि आरोपियों ने आपस में मिलीभगत की और गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दिया।

इसमें पूंजी का डायवर्जन, अनियमितता, आपराधिक विश्वासघात और जिस काम के लिए बैंकों से पैसे लिए गए वहां उनका इस्तेमाल न करके दूसरे उद्देश्य में लगाना शामिल है।

फॉरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि साल 2012 से 2017 के बीच आरोपियों ने कथित रूप से मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें धन का दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात शामिल है।

यह सीबीआई द्वारा दर्ज सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी का मामला है।

 

जानें खाता कब हुआ NPA

भारतीय स्टेट बैंक कह रहा है कि 2013 में ही पता चल गया था कि इस कंपनी का लोन NPA हो गया था। स्टेंट बैंक आफ इंडिया ने अपने बयान में लिखा है कि नवंबर 2013 में कंपनी का लोन NPA हो जाने के बाद इस कंपनी को उबारने के कई प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली।

पहले मार्च 2014 में इसके ऋण खाते को पुनर्गठित किया गया, लेकिन जहाजरानी सेक्टर में अब तक की सबसे भयंकर गिरावट आने के काऱण इसे उबारा नहीं जा सका।

उसके बाद जुलाई 2016 में इसके खाते को फ़िर से NPA घोषित कर दिया गया। दो साल बाद अप्रैल 2018 में अर्नस्ट एंड यंग नाम की एक एजेंसी नियुक्त की गई।

 

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(इनपुट एजेंसी से भी)

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