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गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे की बढ़ती ताकत के बीच सीएम उद्धव ठाकरे के पास बेहद सीमित विकल्प बचे थे।
12 के बाद शिवसेना ने अब 4 और विधायकों के खिलाफ अयोग्यता का मसौदा तैयार किया था।
डिप्टी स्पीकर के विधान भवन पहुंचने पर ये आवेदन दिया गया था।
जिन विधायकों के खिलाफ आवेदन का मसौदा तैयार किया गया है उनमें शामिल हैं- सदा सरवणकर, प्रकाश आबिटकर, संजय रयमुलकर और रमेश बोरनारे।
एक बार जब यह याचिका स्वीकार कर ली जाती है तो कुल विधायकों की संख्या 16 हो जाएगी, जिनके खिलाफ अयोग्यता दायर हुई(Maharashtra-Crisis-Deputy-Speaker-rejects-no-confidence-motion-notice-sent-to-rebel-16-MLAs)है।
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शिवसेना ने पहले 12 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए दी थी अर्जी
शिवसेना ने पहले 12 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की अर्जी दी गई थी। शिवसेना (Shiv Sena) में उद्धव ठाकरे गुट ने पार्टी के 12 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग करते हुए ये याचिका दी थी।
इसमें बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे और भरत गोगावाले का भी नाम है।
शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने कहा था कि गुरुवार दोपहर को हमने 12 विधायको की सदस्यता रद्द करने की मांग की है।
एनसीपी की बैठक थी इसलिए नरहरि झिरवाल (डिप्टी स्पीकर) आए नहीं थे।उन्होंने कहा कि यह 44 पन्नों की अर्जी है, इसलिए समय लगा।
कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। पार्टी की ओर से व्हिप जारी करने के बावजूद वो मीटिंग में नहीं आए, इसलिए इनकी सदस्यता रद्द की जाए। हमारी याचिका को स्वीकार कर लिया गया है।
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बागी गुट नहीं कर सकता बालासाहब और शिवसेना के नाम का इस्तेमाल-प्रस्ताव पास
शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शनिवार को कई अहम फैसले लिए गए, जिसके तहत सीएम उद्धव ठाकरे को बागी नेताओं पर कार्रवाई का अधिकार दिया गया है।
साथ ही छह प्रस्ताव पारित किए गए हैं। बागी नेताओं को शिवसेना के साथ बालासाहेब के नाम का इस्तेमाल न करने की हिदायत दी गई है।
शिवसेना की बैठक में जो छह प्रस्ताव पारित हुए हैं, उनमें सबसे प्रमुख है कि उद्धव ठाकरे को बागियों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार दिया गया है।
यह भी कहा गया है कि अगर बालासाहेब के नाम का इस्तेमाल बागी गुट करता है तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
शिवसेना(Shiv Sena)ने चुनाव आयोग(Election Commission)जाने का फैसला लिया है। जिसमें वो बालासाहब के नाम इस्तेमाल न करने की अपील करेंगे।
बता दें कि शिंदे गुट ने अपनी नई पार्टी की घोषणा करते हुए उसका नाम शिवसेना बालासाहब रखा है।
साथ ही उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के प्रति भरोसा जताया गया है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की इस बैठक में सभी पदाधिकारियों के हस्ताक्षर भी लिए गए ताकि पार्टी में वर्चस्व की जंग में अपनी ताकत साबित की जा सके।
यह सब ऐसे वक्त किया गया है, जब शिंदे ने पार्टी और चुनाव चिन्ह पर अपने नियंत्रण के लिए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है।
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