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नई दिल्ली:आज बुधवार,18 अगस्त 2021 का दिन देश की महिलाओं के लिए बड़ी जीत के रुप में आया है।
अब भारत की महिलाओं को पहली बार देश की प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की प्रवेश परीक्षा में बैठने की अनुमति(Supreme-Court-orders-women-take-part-in-NDA-exam)होगी।
यह आदेश सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने केंद्र सरकार और सेना को दिया है।
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नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षा 5 सितंबर को होनी है
देश की शीर्ष अदालत ने लंबे समय से मांग कर रही महिलाओं के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाते हुए उन्हें नेशनल डिफेंस एकेडमी की प्रवेश परीक्षा में पहली बार बैठने की अनुमति प्रदान की(Supreme-Court-orders-women-take-part-in-NDA-exam) है
और सेना(Army) व सरकार द्वारा लंबे समय से इस परीक्षा से महिलओं को वंचित रखने को भेदभावपूर्ण व्यवहार बताते हुए सेना को लताड़ (reprimand the army)भी लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को आदेश दिया है कि अब से महिलाओं को नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षा (NDA) की प्रवेश परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए।
गौरतलब है कि एनडीए की प्रवेश परीक्षा 5 सितंबर को होनी है।
कोर्ट ने कहा है कि इस परीक्षा के बाद NDA में महिलाओं की फाइनल एंट्री कोर्ट में चल रहे मुकदमे के अंतिम फैसले के अधीन होगी।
दरअसल, महिलाओं को अभी तक भी नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं थी।
वकील कुश कालरा याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि महिलाओं को ग्रेजुएशन के बाद ही सेना में आने की अनुमति है।
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उनके लिए न्यूनतम आयु भी 21 साल रखी गई है। जबकि लड़कों को 12वीं के बाद ही NDA में शामिल होने दिया जाता है ।
इस तरह शुरुआत में ही महिलाओं को पुरुषों की तुलना में बेहतर पद पर पहुंचने की संभावना कम हो जाती है।
यह समानता के अधिकार का हनन है।
मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने की।
अब सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को बड़ी राहत और समानता का हक प्रदान करते हुए नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षा में भी बैठने की इजाजत दे दी है।
कोर्ट का यह आदेश इसी साल 5 सितंबर को होने वाली एनडीए की परीक्षा से लागू होगा।
एनडीए की परीक्षा में महिलाओं के बैठने पर केंद्र सरकार का रुख
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इससे पहले मंगलवार की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले पर अपना रुख साफ करने के लिए कहा था।
केस की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने मंगलवार को अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि महिलाओं को एनडीए परीक्षा में मौका न देना, उनके मूलभूत अधिकारों के हनन का मामला नहीं है।
यही नहीं केंद्र सरकार ने कहा था कि एनडीए(NDA) के जरिए आने वाले पुरुष कर्मचारियों को उनके मुकाबले करियर में कोई स्पेशल बढ़त नहीं मिलती।
महिलाओं के लिए सेना में एंट्री का एकमात्र रास्ता शॉर्ट सर्विस कमिशन ही रहा है।
नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षा में महिलाओं को लेकर सेना के रुख पर सुप्रीम लताड़
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इस मामले की सुनवाई के दौरान सेना ने कहा कि एनडीए परीक्षा में महिलाओं को शामिल न करना पॉलिसी डिसिजन है।
इस पर सुप्रीम अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा कि यदि यह पॉलिसी डिसिजन है तो यह भेदभाव से पूर्ण है।
हालांकि 5 सितंबर को परीक्षा में बैठने का आदेश सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन होगा।
गौरतलब है कि बीते दिनों ही सुप्रीम कोर्ट ने सेना से महिलाओं को भी परमानेंट कमीशन में लिए जाने को कहा था।
यही नहीं अदालत ने सेना के नियमों को गलत करार देते हुए कहा था कि ये बेतुके और मनमाने हैं।
दरअसल वकील कुश कालरा की ओर से महिलाओं को एनडीए और इंडियन नेवल अकादमी में शामिल किए जाने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की गई थी।
उस याचिका पर सुनवाई करते हुए ही सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया है। फिलहाल इन दोनों अकादमियों में महिलाओं की भर्ती नहीं की जाती।
सुप्रीम कोर्ट ने इस अर्जी पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। इस पर सरकार का कहना था कि यह अर्जी आम जनहित में नहीं है बल्कि एक पॉलिसी डिसिजन को लेकर ही है।
इसी पर बुधवार को एक बार फिर से सुनवाई शुरू हुई, जिसमें जस्टिस संजय किशन कौल और ऋषिकेश रॉय ने महिलाओं के पक्ष में यह फैसला दिया है।
बता दें कि अभी हाल ही में महिलाओं को परमानेंट सर्विस कमीशन में शामिल करने का फैसला देने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने अब महिलाओं को एक और बड़ी राहत दी है।
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