राष्ट्रपति कोविंद की स्वीकृति के बाद अगले प्रधान न्यायाधीश बने जस्टिस NV Ramana

देश के अगले प्रधान न्यायाधीश जस्टिस नथालापति वेंकट रमना (NV Ramana) होंगे,नियुक्ति को राष्ट्रपति की स्वीकृति

Justice NV Ramana becomes the next Chief Justice After acceptance of President Ramnath Kovind

नई दिल्ली (समयधारा) : राष्ट्रपति कोविंद की स्वीकृति के बाद अगले प्रधान न्यायाधीश बने जस्टिस नथालापति वेंकट रमना (NV Ramana) l 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनकी नियुक्ति को स्वीकृति दे दी है।  

अब 24 अप्रैल को जस्टिस रमना देश के 48वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे।

जस्टिस रमना वर्तमान चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े के बाद सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं। 

बता दें कि मौजूदा मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर 24 मार्च को न्यायमूर्ति एनवी रमना के नाम की सिफारिश की थी।

सर्वोच्च न्यायालय में सीनियर जस्टिस एनवी रमना का पूरा नाम नथालपति वेंकट रमण हैं।

उनका जन्म 27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश  के कृष्ण जिले के पोन्नवरम गाँव में एक कृषि परिवार में हुआ था।

पहले, वह दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी थे।

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उन्होंने आंध्र प्रदेश न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है। वह 26 अगस्त 2022 को सेवानिवृत्त होंगे।

वर्तमान प्रधान न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे 23 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं और 24 अप्रैल को न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना अगले सीजेआई के तौर पर शपथ लेंगे।

न्यायमूर्ति एनवी रमना को साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था।

हालांकि जस्टिस रमन्ना 26 अगस्त 2022 को रिटायर होने वाले हैं इसलिए प्रधान न्यायाधीश के रूप में उनके कार्यकाल में दो साल से भी कम का वक्त बचा है।

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एनवी रमना 10 फरवरी 1983 को वकील बने थे।

जस्टिस एन वी रमना ने आंध्र प्रदेश, मध्य और आंध्र प्रदेश प्रशासनिक न्यायाधिकरणों और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सिविल,

आपराधिक, संवैधानिक, श्रम, सेवा और चुनाव मामलों में उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की है।

उन्हें संवैधानिक, आपराधिक, सेवा और अंतर-राज्यीय नदी कानूनों में विशेषज्ञता हासिल है।

पिछले कुछ सालों में जस्टिस रमना का सबसे चर्चित फैसला जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की बहाली के रहा है।

चीफ जस्टिस के कार्यालय को सूचना अधिकार कानून (RTI) के दायरे में लाने का फैसला देने वाली बेंच के भी जस्टिस रमना सदस्य रह चुके हैं।

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जस्टिस एन वी रमना 10 मार्च 2013 से 20 मई 2013 तक आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत रहे हैं। 

इसके अलावा वे दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में  साल 2013 को नियुक्त हुए थे।

जस्टिस एनवी रमना का जन्म 27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश में कृष्ण जिले के पोन्नवरम गांव में हुआ था।

वह पहली बार 10 फरवरी 1983 को वकील बने। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी जज के रूप में एनवी रमना को 27 जून 2000 को नियुक्त किया गया था। 

अपने कार्यकाल में एनवी रमना और उनकी सदस्यता वाली बेंच ने कई अहम फैसले दिए हैं।

एक नजर चीफ जस्टिस एनवी रमना और उनकी बेंच की तरफ से दिए गए बड़े फैसलों पर डालते हैं।

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जस्टिस रमना की बेंच ने दिए ये ऐतिहासिक फैसले:

साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की संविधान पीठ ने अहम फैसला देते हुए कहा कि

भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय भी सूचना के अधिकार के दायरे में आता है।

जस्टिस रमन्ना सुप्रीम कोर्ट की उस बेंच में शामिल थे, जिसने जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट के निलंबन पर तत्काल समीक्षा करने का फैसला सुनाया था।

इस साल जनवरी में जस्टिस एनवी रमना और सूर्यकांत की एक सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि घर में किसी महिला के काम का मूल्य उसके ऑफिस जाने वाले पति से कम नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने 1993 में लता वाधवा बनाम स्टेट ऑफ बिहार के केस में फैसला देते हुए कहा था कि हाउस वाइफ की सेवा का कोई एक पहलू नहीं है। वह पूरे परिवार की देखरेख करती है।

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जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की 5-जजों वाली संविधान पीठ ने वित्त अधिनियम, 2017 की धारा 184 की वैधता को बरकरार रखा।

बेंच ने कहा कि उक्त धारा विधायी कार्यों के अत्यधिक प्रतिनिधिमंडल से ग्रस्त नहीं है।

(इनपुट एजेंसी से भी )

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