breaking_newsअन्य ताजा खबरेंकानून की कलम सेकानूनी सलाहदेशदेश की अन्य ताजा खबरें
Trending

स्वर्गीय पिता की संपत्ति पर कुंवारी या विधवा बेटी का हक लेकिन तलाकशुदा का नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

कोर्ट का कहना है कि तलाकशुदा बेटी का अपने दिवंगत पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता क्योंकि वह अपने भरण-पोषण के लिए अपने पिता पर निर्भर नहीं होती।

Unmarried-or-widowed-daughter-right-on-the-property-of-deceased-father-but-not-the-divorced-daughter

नई दिल्ली:स्वर्गीय पिता की संपत्ति पर एक कुंवारी या विधवा बेटी का अधिकार होता है,लेकिन तलाकशुदा बेटी का कोई अधिकार नहीं होता(Unmarried-or-widowed-daughter-right-on-the-property-of-deceased-father-but-not-the-divorced-daughter)यह फैसला दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाया है।

कोर्ट का कहना है कि तलाकशुदा बेटी(divorced-daughter)का अपने दिवंगत पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता क्योंकि वह अपने भरण-पोषण के लिए अपने पिता पर निर्भर नहीं होती।

दिल्ली उच्च न्यायालय(Delhi High Court)ने यह फैसला एक तलाकशुदा महिला की अपील को खारिज करते हुए सुनाया,जिसने फैमिली कोर्ट के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

दरअसल,फैमिली कोर्ट(Family Court)या पारिवारिक अदालत ने तलाकशुदा महिला की मां और भाई से भरण-पोषण का खर्च दिए जाने का अनुरोध करने वाली उसकी याचिका खारिज कर दी थी। इस फैसले के खिलाफ महिला ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी।

 

व्यस्क लड़का या लड़की को अपनी पसंद से शादी करने या साथ रहने का अधिकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट

 

 

 

 

 

‘दिवंगत पिता की संपत्ति पर तलाकशुदा बेटी का हक नहीं’

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि भरण-पोषण का दावा हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम (एचएएमए) की धारा 21 के तहत किया गया है, जो उन आश्रितों के लिए है जो भरण-पोषण का दावा कर सकते हैं।

अदालत ने कहा कि यह रिश्तेदारों की नौ श्रेणियों के लिए उपलब्ध कराया गया है जिसमें तलाकशुदा बेटी का जिक्र नहीं(Unmarried-or-widowed-daughter-right-on-the-property-of-deceased-father-but-not-the-divorced-daughter)है।

महिला के पिता की 1999 में मौत हो गयी थी और परिवार में उसकी पत्नी, बेटा और दो बेटियां हैं। महिला ने कहा था कि कानूनी वारिस होने के नाते उसे संपत्ति में उसका हिस्सा नहीं दिया गया है।

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने आर्य समाज के विवाह प्रमाणपत्र को कानूनी मान्यता देने से इंकार किया

 

 

 

 

‘पति ने छोड़ा, नहीं देता गुजारा भत्ता’

उसने कहा कि उसकी मां और भाई इस वादे पर उसे हर महीने 45,000 रुपये देने के लिए राजी हो गए थे कि वह संपत्ति(Property)में अपना हिस्सा नहीं मांगेगी.

उसने कहा कि उसे नवंबर 2014 तक ही नियमित आधार पर भरण-पोषण का खर्चा दिया गया.

महिला ने कहा कि उसके पति ने उसे छोड़ दिया है और उसे सितंबर 2001 में एकतरफा तलाक दिया गया.

उसने दावा किया कि पारिवारिक अदालत ने इस तथ्य पर गौर नहीं किया कि उसे अपने पति से कोई गुजारा भत्ता नहीं मिला.

 

 

हिंदू उत्तराधिकार कानून क्या महिलाओं से करता है भेदभाव? सुुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से तलब किया जवाब

 

 

 

 

 

तलाकशुदा बेटी आश्रित के रूप में परिभाषित नहीं-हाईकोर्ट

उसने कहा कि चूंकि उसके पति के बारे में कुछ पता नहीं चला, इसलिए वह कोई गुजारा भत्ता नहीं ले पायी।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,’हालांकि, परिस्थिति कितनी भी जटिल क्यों न हो लेकिन एचएएमए के तहत उसे ‘आश्रित’ परिभाषित नहीं किया गया है और वह अपनी मां तथा भाई से गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं(Unmarried-or-widowed-daughter-right-on-the-property-of-deceased-father-but-not-the-divorced-daughter)है।

‘उसने कहा कि पारिवारिक अदालत ने उचित कहा है कि महिला को पहले ही अपने पिता की संपत्ति(Father’s property)में से उसका हिस्सा मिल चुका है और वह फिर से अपनी मां और भाई से गुजारा भत्ता नहीं मांग सकती।

 

 

Samaydhara Exclusive: साउथ MCD में भ्रष्टाचार का बोलबाला,अवैध निर्माण की शिकायतकर्ता के खिलाफ ही नोटिस निकाला

 

 

 

 

 

 

Unmarried-or-widowed-daughter-right-on-the-property-of-deceased-father-but-not-the-divorced-daughter

(इनपुट एजेंसी से भी)

Show More

Sonal

सोनल कोठारी एक उभरती हुई जुझारू लेखिका है l विभिन्न विषयों पर अपनी कलम की लेखनी से पाठकों को सटीक जानकारी देना उनका उद्देश्य है l समयधारा के साथ सोनल कोठारी ने अपना लेखन सफ़र शुरू किया है l विभिन्न मीडिया हाउस के साथ सोनल कोठारी का वर्क एक्सपीरियंस 5 साल से ज्यादा का है l

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button