नवरात्रि 2022-जाने कैसे माँ दुर्गा आपके भविष्य को बना सकती है सुनहरा
Navratri 2022 : माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना, दुर्गा पूजा का महत्व, माँ की महिमा, कैसे बदले अपनी तक़दीर
Navratri 2022 Maa Durga 9 roles impact on your luck and life
नई दिल्ली (समयधारा): एक बार फिर नवरात्रि का त्यौहार आ रहा है l
नवरात्रि (Navratri 2022) या दुर्गा पूजा (Maa Durga) हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है।
नवरात्रि के दौरान देवी मानी जाने वाली माँ दुर्गा कि लगातार 9 दिन 9 रातों तक पूजा की जाती है
क्योंकि नवरात्रि का मतलब ही होता है- 9 रातें। देश ही नहीं विदेशों में भी नवरात्रि का त्यौहार का विशेष महत्व है l
इस त्यौहार को नेपाल में भी काफी धूम धाम से मनाया जाता है और वहां भी इस त्यौहार की बड़ी मान्यता है।
नवरात्रि व देवी के नौ रूपों को लेकर हर किसी कि अपनी मान्यताएं है,
नवरात्रे कब से शुरू हो रहे है..? जानिये ऐसे ही नवरात्रि से जुड़े सभी सवालों का जवाब
तो चलिए देखते हैं कि इन नौ दिनों के क्या महत्व है हमारे जीवन में।
नवरात्रि के इन 9 दिनो में माँ दुर्गा के 9 अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है l और हर दिन अपने आप में ही खास होता है l
आज हम आपको उन 9 रूपों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
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9 दिनों में माँ दुर्गा के 9 रूप
(1) माता शैलपुत्री :-
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री कि पूजा की जाती है जो कि माँ दुर्गा का ही रूप है।
माता शैलपुत्री ने अपने इस रूप में हिमालय के घर जन्म लिया था और अपने इस रूप में वह वृषभ पर विराजमान रहती हैं।
हमेशा उनके एक हाथ में फूल और एक हाथ में त्रिशूल रहता है।
इस दिन कि खास बात यह है कि इस दिन माता कि पूजा करने से अच्छी सेहत प्राप्त होती है।
(2) माता ब्रह्मचारिणी :-
नवरात्रि के दुसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी कि पूजा की जाती है,
कहा जाता है कि अपने इस रूप में भगवान शिव को पाने के लिए माता ने कठोर तप किया था।
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इस रूप में माता ने अपने एक हाथ में कमंडल तो दुसरे हाथ में जप कि माला ले रखी है।
इस दिन माता ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाने के बाद शक्कर ही दान किया जाता है।
आज के दिन माता का जाप करने से उम्र लंबी होती है।
(3) माता चंद्रघंटा :-
नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा कि पूजा की जाती है,
ऐसी मान्यता है कि माता चंद्रघंटा का रूप काफी उग्र है।Navratri 2022 Maa Durga 9 roles impact on your luck and life
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इसके बाद भी वह भक्तों के दुखों का निवारण करती हैं।
माँ के इस रूप में कुल 10 हाथ हैं और सब में माँ ने शस्त्र धारण किए हुए हैं।
माँ के इस रूप को देख कर लगता है कि माँ यूद्ध के लिए तैयार बैठी हैं।
(4) माता कुष्मांडा :-
नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा कि पूजा कि जाती है।
ऐसी मान्यता है कि माता के इस रूप के हंसी से ही ब्रह्मांड कि शुरूआत हुई थी।
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माँ के इस रूप में 8 हाथ हैं जिनमें उन्होने कमंडल, धनुष बांण, कमल, अमृत कलश,
चक्र तथा गदा ले रखा है। तो वहीं माता के आठवें हाथ में मन चाहा वर देने वाली माला है।
इस दिन माँ कि पूजा करने से मन चाहा वर प्राप्त होता है।
(5) माता स्कंदमाता:-
नवरात्रि के पांचवे दिन माता के स्कंदमाता रूप कि पूजा की जाती है।
ऐसा माना जाता है कि माता के इस रूप कि पूजा करने से सभी पांप धुल जाते हैं
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और मोक्ष कि प्राप्ति होती है। अगर इस दिन माता को अलसी नामक पौधा अर्पण किया जाए तो
मौसम में होने वाली बिमारियां दूर रहती हैं। अपने इस रूप में माता कमल पर विराजमान हैं
तो वहीं उन्होने अपने 4 हाथो में से 2 हाथो में कमल ले रखा है, 1 में माला है
तो वहीं एक हाथ से वह भक्तों को आशिर्वाद दे रही हैं।
(6) माता कात्यायनी :-
छठे दिन माता के इस अनोखे रूप कि पूजा की जाती है।
ऐसा माना जाता है कि ऋषि कात्यान ने अपने घोर तप से माता के इस रूप को प्राप्त किया था
और देवी ने अपने इसी रूप में महिशासुर का वध किया था।
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कहा जाता है कि गोपियों ने कृष्ण को अपने पती के रूप में प्राप्त करने के लिए माता के
इसी रूप कि पूजा की थी। अगर इस दिन कोई भी लड़की माता के इस रूप का पूजन करती है
तो उसे उसका मनचाहा वर मिलता है।
(7) माता कालरात्रि :-
नवरात्रि के सातवें दिन माता के कालरात्रि रूप की पूजा होती है।
कई बार ऐसा होता है कि लोग माता कालरात्रि के इस रूप को देवी कालिका समझ लेते हैं
लेकिन यह दोनो ही रूप अलग हैं। यह माता का सबसे भयानक रूप माना जाता है
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नवरात्रि 8वां दिन : चाहियें मन की शांति अष्टमी पर करें माँ महागौरी की आरती
जिसमें माँ ने अपने एक हाथ मे त्रिशूल ले रखा है तो दूसरे हाथ में खड़ग है।
माँ ने अपने गले में भी खड़ग कि माला पहनी है और ऐसा माना जाता है कि
अगर माँ के इस रूप कि पूजा की जाए तो सभी बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलता है।
(8) माता महागौरी :-
आठवे दिन माता के गौरी रूप की अराधना की जाती है।
यह माता का सबसे सुंदर, सभ्य और सरल रूप है, जहां माता ने अपने दो हाथो में त्रिशूल
और डमरू ले रखा है तो वही दुसरे हाथों से भक्तो को आशिर्वाद दे रही हैं।
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इस रूप में माता वृषभ पर विराजमान है, माना जाता है कि इस रूप में भगवान शिव ने
माता का गंगाजल से अभिषेक किया था तब जाकर माता को यह गौर वर्ण प्राप्त हुआ है।
(9) माता सिद्धीदात्री :-
नौवे यानी कि आखरी दिन माता के सिद्धीदात्री रूप कि पूजा की जाती है।
इन्ही कि पूजा से भक्तों का यह नौ दिन का तप पूरा होता है और उन्हे सिद्धी प्राप्त होती है।
वैसे तो इस रूप में माता कमल पर विराजमान हैं लेकिन कहा जाता है कि उनकि सवारी सिह है।
इस रूप में भी माता के 4 हाथ हैं जिनमें उन्होने शंख, चक्र, गदा और कमल लिया हुआ है।
यह थे माता के नौ दिन और उनके 9 रूप, कहा जाता है कि माँ कि पूजा बहुत ही सावधानी से करनी चाहिए
ताकि वह हमेशा खुश रहे और अपनी कृपा बरसाती रहें। तो चलिए सब मिल कर इन नौ दिनों के त्यौहार को धूम धाम से मनाते हैं।
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