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नई दिल्ली (समयधारा) : पिछले कई दिनों से भारत और चाइना के बीच सीमा पर तनाव का माहौल है l
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि,
नरेंद्र मोदी की सरकार भारत-चीन सीमा और लद्दाख के वास्तविक सीमा रेखा (LAC) को लेकर बिल्कुल समझौता नहीं करेगी।
एक टेलीविज़न की खास बातचीत में शाह ने कहा, “हम LAC के मुद्दे को हल्के में नहीं ले सकते हैं।
सरकार इस मामले में रत्ती भर भी समझौता नहीं करेगी। हम इस सैन्य बातचीत और कूटनीतिक, दोनों तरीके से हल करने की कोशिश कर रहे हैं।”
हालांकि यह पूछे जाने पर कि क्या चीन की सेना भारतीय सीमा में घुस आई है, शाह ने कोई जवाब नहीं दिया।
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LAC पर चीन के साथ चल रही तनातनी पर केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि LAC पर तनातनी के स्वभाव को कोई सार्वभौम राष्ट्र हल्के में नहीं ले सकता।
हमारी डिप्लोमैटिक और सैनिक बातचीत जारी है लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार इस पर कोई समझौता नहीं करेगी और हम इसके लिये अडिग खड़े रहेंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या तमाम संबंध सुधारने की कोशिशों के बाद भी चीन की इस हरकत से आप नाराज हैं,
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि हमें इसकी जरूरत नहीं है। वही दूसरी और,
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चीन ने भारत को धमकी दी है कि वो अमेरिका और चीन के बीच बन रही शीत युद्ध की स्थिति से स्वयं को दूर रखे।
चीन ने कहा है कि यदि भारत अमेरिका और चीन के शीत युद्ध में सहभागी होता है तो उसे इसके गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे।
जब से कोरोना वायरस ने दुनिया को अपनी चपेट में लिया और अमेरिका को चीन के वुहान शहर से फैले हुए
इस वायरस की वजह से भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है,
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और बड़ी संख्या में अमेरिकी नागरिक इस वायरस के कारण काल के मुंह में समा गये हैं,
तब से अमेरिका चीन पर कोरोना वायरस को लेकर काफी गंभीर आरोप लगा रहा है।
अमेरिका ने चीन पर व्यापार से संबंधित कई पाबंदियां लगाई हैं। इसकी वजह से चीन और अमेरिका में तनाव बढ़ रहा है
और उनके बीच कोल्ड वार की स्थिति बनती जा रही है। अभी हाल ही में अमेरिका ने स्वयं को डब्ल्यूएचओ से भी अलग कर लिया है।
चीन सरकार के ग्लोबल टाइम्स में एक लेख आया है जिसके अनुसार भारत में राष्ट्रवादी भावना बढ़ रही है।
चीन और अमेरिका के बीच शुरु कोल्ड वार की परिस्थिति का लाभ उठाने के लिए इस भावना का उपयोग किया जा रहा है।
हालांकि चीन का कहना है कि भारत को इस कोल्ड वार में सहभागी होने के बारे में सावधान रहना चाहिए।
महाराष्ट्र टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक चीन ने कहा है कि भारत यदि अमेरिका के साथी के रूप में इस युद्ध में भाग लेता है,
तो उसका परिणाम बुरा होगा। यदि चीन पर हमला करने के लिए भारत अमेरिका का साथ देता है,
तो इन दोनों एशियाई देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों पर बुरा असर होगा।
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जिसकी वजह से भारत की इकोनॉमी को बड़ा नुकसान हो सकता है।
इस बीच भारत और चीन के सीमा विवाद पर मध्यस्थता करने का प्रस्ताव अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने दिया था,
जिसे भारत और चीन दोनों ने अस्वीकार कर दिया था।
चीन ने अमेरिका से स्पष्ट कहा था कि भारत और चीन सीमा विवाद सुलझाने में सक्षम हैं,
और इसमें किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है।
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(इनपुट एजेंसी से)