Lohri 2025 Date:लोहड़ी कब है?लोहड़ी के दिन अग्नि क्यों जलाते है,जानें लोहड़ी की कथा,इतिहास
Lohri 2025 Date kab hai: इस साल कब मनाई जाएंगी लोहड़ी,क्या है दुल्ला भट्टी की कहानी?
नई दिल्ली:Lohri 2025 Date kab hai-Lohri ke din aag kyo jalate hai-प्रति वर्ष मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी(Lohri)का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है। भले ही लोहड़ी मूल रूप से सिख समुदाय का सर्वाधिक लोकप्रिय पर्व है लेकिन इसे खासतौर से पंजाब,हरियाणा,दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।
लोहड़ी के पर्व को मुख्य रूप से ऋतु परिवर्तन और फसल कटाई के अवागमन का परिचायक होता है। लोहड़ी के पर्व में अग्नि का विशेष महत्व होता है।
चूंकि इस दिन अलाव जलाकर लोग उसके इर्द-गिर्द ढोल-नगाड़ो की थाप पर नाचते-गाते है और अग्निदेव की परिक्रमा करते है,उनकी पूजा करते है।
अग्निदेव की पूजा करते हुए उसमे मूंगफली,फुल्ले या पॉपकॉर्न डालते है। पंजाबी लोग लोहड़ी के दिन पारंपरिक नृत्य जिसे गिद्धा और भांगड़ा कहते है,करते है और लोकगीत गाते है।
दरअसल,लोहड़ी का पर्व सूरज और चांद की स्थिति पर निर्भर करता है। इसे सिर्फ ऋतु परिवर्तन और फसल की बुवाई के लिए ही नहीं जाना जाता बल्कि कई अन्य समुदायों के बीच भी इसका खास महत्व है। लोहड़ी के दिन सूर्य देवता के साथ-साथ अग्नि देवता की भी पूजा की जाती है और उन्हें धन्यवाद दिया जाता है।
यूं तो लोहड़ी का पर्व हमेशा ही मकर संक्रांति(Makar Sankranti 2025)के एक दिन पूर्व मनाया जाता है,लेकिन इस वर्ष लोगों के बीच संशय है कि लोहड़ी कब(Lohri 2025 kab hai)है?
तो चलिए बताते है इस साल लोहड़ी कब है और आखिर लोहड़ी के दिन अग्नि क्यों जलाई जाती है। क्या है लोहड़ी का इतिहास और कथा(Lohri 2025 Date kab hai-Lohri ke din aag kyo jalate hai-Lohri story).
वर्ष 2025 में लोहड़ी कब है ? (Lohri 2025 Kab Hai ?)
हमारा देश एक त्यौहार संपन्न देश है। लेकिन जनवरी महीने में तीन विभिन्न समुदायों के त्यौहार है जो एकसाथ आते है,लेकिन तीनों की मूल भावना एक ही होती है। लोहड़ी,मकर संक्रांति और पोंगल।
लोहड़ी का त्यौहार अक्सर मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले अर्थात 13 जनवरी को ही मनाया जाता है और यही परंपरा इस वर्ष भी कायम है। जी हां, इस वर्ष लोहड़ी,सोमवार,13 जनवरी 2025(Lohri 2025 Date)को देशभर में धूमधाम से मनाई जाएंगी।
लोहड़ी का पर्व फसलों की कटाई और नई फसल के स्वागत का प्रतीक माना जाता है।
लोहड़ी की शाम को लोग लकड़ियों से आग जलाते हैं और उसके चारों ओर परिक्रमा करते हुए तिल, गुड़, रेवड़ी, और गजक अर्पित करते हैं।
यह सामग्री अग्नि देवता को अर्पित की जाती है और उनसे घर-परिवार में सुख-शांति व समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।
इस दिन पवित्र अग्नि में काले तिल अर्पित करने का विशेष महत्व होता है और तिल को घर की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
लोग इसके चारों तरफ सात बार परिक्रमा करते हैं और खुशी दिखाने के लिए पारंपरिक गीत गाते हैं।
यह त्योहार सर्दियों के अंत और गर्मी के आगमन का भी प्रतीक माना जाता है। लोहड़ी के इस खास मौके पर अपने परिवार और प्रियजनों के साथ त्यौहार की खुशियां मनाते हैं।
लोहड़ी के दिन आग क्यों जलाई जाती है?-(Lohri ke din aag kyo jalate hai)
लोहड़ी के पर्व का मुख्य आकर्षण अग्नि होता है। जिसमें सभी लोग एक साथ इकठ्ठा होते हैं और अलाव यानि बोनफायर का मजा उठाते हैं।
परिवार के सभी लोग अपने दोस्तों,रिश्तेदारों के साथ मिलकर उस आग की परिक्रमा करते हैं और घर की सुख-समृद्धि व सौभाग्य की कामना करते हैं।
अलाव की इस अग्नि में नई फसलों को अर्पित किया जाता है और ईश्वर से खुशहाली की कामना की जाती है। लोहड़ी पर आग जलाने की परंपरा मुख्य रूप से माता सती से जुड़ी हुई है।
इसकी कथा के अनुसार एक बार जब राजा दक्ष ने महायज्ञ का अनुष्ठान किया था, तब उन्होंने सभी देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन शिवजी और सती को आमंत्रित नहीं किया।
उसके बाद भी सती महायज्ञ में पहुंच गईं, लेकिन उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव की बहुत अवहेलना की और उनका अपमान भी किया।
इस बात से दुखी होकर सती अग्नि कुंड में कूद गईं और अपनी देह त्याग कर दी।
ऐसा कहा जाता है कि यह अग्नि माता सती के त्याग को समर्पित थी, इसी वजह से लोहड़ी के दिन परिवार के सभी लोग अग्नि की पूजा करके एक साथ परिक्रमा करते हैं और आभार के रूप में अग्नि में तिल, गुड़, मूंगफली आदि अर्पित करते हैं।
Lohri 2025 Date kab hai-Lohri ke din aag kyo jalate hai
क्यों मनाते हैं लोहड़ी का त्यौहार और दुल्ला भट्टी की कहानी क्या है?-Kyo Manate Hai Lohri-kya hai Dulla Bhatti ki Kahani
लोहड़ी के त्यौहार के साथ दुल्ला भट्टी की कहानी जुड़ी है, जिसने गरीब लड़कियों की शादी कराई और उनकी रक्षा की थी।
यही नहीं इसका इतिहास भगवान कृष्ण से भी जुड़ा हुआ है। लोहड़ी का इतिहास और इसके साथ जुड़ी परंपराएं न केवल भारतीय कृषि संस्कृति से संबंधित हैं बल्कि यह एक ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व भी रखती हैं।
लोहड़ी का एक प्रमुख ऐतिहासिक पक्ष दुल्ला भट्टी(Dulla bhatti) से जुड़ा है। दुल्ला भट्टी मुग़ल शासनकाल में अकबर के राज्य में पंजाब में रहता था। वह दूसरों की मदद करता था इसी वजह से उसे पंजाब का नायक भी कहा जाता था।
उसने कई बार गरीबों की मदद की और नायक की उपाधि ली। यही नहीं उस समय लड़कियों को बेचने का व्यापार भी होता था और वो अमीरों के घरों में काम करती थीं।
उस समय दुल्ला भट्टी ने सारी लड़कियों को मुक्त कराया। यही नहीं उस समय एक गांव में सुंदरदास नाम का किसान रहा करता था जिसकी दो बेटियां सुंदरी और मुंदरी थीं।
इन दोनों लड़कियों की जबरदस्ती शादी करवाई जा रही थी।
दुल्ला भट्टी ने मौके पर पहुंचकर इस शादी को रोका। इसके बाद दोनों लड़कियों की शादी उनके योग्य वर से हुई, तभी से दुल्ला भट्टी को याद करते हुए लोहड़ी का पर्व पूरे देश में विधि-विधान से मनाया जाता है।
Lohri 2025 Date kab hai-Lohri ke din aag kyo jalate hai
जानें लोहड़ी की पौराणिक कथा- Lohri Story
लोहड़ी से जुड़ी एक और पौराणिक कथा के अनुसार, लोहड़ी के दिन ही कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए एक राक्षसी को भेजा था जिसका नाम लोहिता था।
कंस लोहिता को गोकुल भेजकर श्री कृष्ण को मारना चाहता था, लेकिन कृष्ण जी ने लोहिता का ही वध कर दिया।
कृष्ण जी की इस विजय के कारण भगवान की महिमा और कंस के अत्याचार के खिलाफ उनके संघर्ष की कहानी प्रसिद्ध हुई।
लोहिता राक्षसी के मारे जाने के उपलक्ष्य में ही उसी समय से लोहड़ी का पर्व(Lohri Festival) मनाया जाता है।
इस दिन लोग आग जलाकर और उसी अग्नि की परिक्रमा करके खुशी और समृद्धि की कामना करते हैं और यह पर्व विशेष रूप से पंजाब और आसपास के क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
क्या है लोहड़ी का महत्व ? Lohri Importance
लोहड़ी मुख्य रूप से कृषि से जुड़ा हुआ पर्व है। यह मुख्य रूप से फसल की कटाई के समय मनाया जाता है।
इस दौरान तिल और मूंगफली जैसी फसलों की कटाई होती है और इसी वजह से अग्नि को ये चीजें समर्पित करके खुशहाली की कामना की जाती है।
लोहड़ी का पर्व उन लोगों के लिए सबसे ख़ास होता है जिनकी नई शादी हुई होती है या फिर जिनके घर में बच्चे का जन्म हुआ होता है।
ऐसे में यह पर्व और ज्यादा धूम-धाम से मनाया जाता है और इसमें सभी रिश्तेदार शामिल होते हैं। इस तरह यह पर्व समाज में मेलजोल और एकता को बढ़ाता है।
इस पर्व में लोग एक साथ अलाव के पास इकट्ठा होते हैं, गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। यह एक सामूहिक उत्सव होता है जिसमें सभी समुदायों को एक साथ लाने की शक्ति होती है। यह पर्व कृषि और प्रकृति की महत्ता का भी प्रतीक है।
यदि आप भी लोहड़ी के विषय में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो हमें उम्मीद है कि इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके सभी सवालों के जवाब देने में सक्षम हुए है। लेकिन फिर भी आपके इस त्यौहार से जुड़े कोई अन्य प्रशन है तो आप हमें कॉमेंट बॉक्स में पूछ सकते है।
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(नोट-उपरोक्त जानकारी सामान्य प्रचलित मान्यताओं के आधार पर लिखी गई है। हमारा उद्देश्य सिर्फ आपको जानकारी पहुंचाना है। समयधारा इसकी सटीकता की जिम्मेदारी नहीं लेता।)
(इनपुट एजेंसी से भी)