कोरोना का प्रभाव : भारत की GDP ग्रोथ तोड़ सकती है सारे रिकॉर्ड, -2.1 से 1.9 परसेंट तक रहने का अनुमान
भारत की भी आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक दौर से गुजर रही है, कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत के GDP ग्रोथ का अनुमान बहुत कम बताया
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नई दिल्ली : इस समय कोरोना का कहर पूरे विश्व में जारी है l जिससे भारत भी अछूता नहीं रहा है l
पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का जाल फैला है। अर्थव्यवस्था कई देशों की पटरी से उतर रही है। भारत के हालात अभी खराब है,
पर लॉकडाउन इसी तरह से जारी रहा तो हालात काफी ख़राब हो जायेंगे l
एजेंसी का कहना है कि वास्तविक संख्या कुछ इस बात पर निर्भर करती है कि लॉकडाउन का समय कैसे खत्म किया गया।
भारत की भी आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक दौर से गुजर रही है। कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत के GDP ग्रोथ का अनुमान बहुत कम बताया है।
रेटिंग एजेंसियों ने बेहद खराब स्थिति में ग्रोथ का अनुमान -2.1 फीसदी लगाया है और करेंट फिस्कल ईयर में इसमें 1.9 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान जताया है।
आर्थिक गतिविधियों को सामान्य होने में कितना समय लगता है। coronas-impact indias-gdp-growth-may-break-all-records
अगर मध्य मई 2020 तक आंशिक रूप से लॉकडाउन जारी रहता है तो Ind-Ra का मानना है कि आर्थिक ग्रोथ घटकर 1.9 फीसदी पर आ सकती है।
यह 1991-92 के बाद पिछले 29 सालों में सबसे कम वृद्धि होगी। बता दें कि साल 1991-92 बैलेंस ऑफ पेमेंट क्राइसेस के चलते जीडीपी 1.1 फीसदी पर रही थी।
ऐसी स्थिति में Ind-Ra के अनुमान है कि GDP 2019-20 की चौथी तिमाही में 2020-21 की तीसरी तिमाही तक वापस आ सकती है।
एजेंसी ने 2020-21 की दूसरी तिमाही के दौरान सामान्य आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरु करने का अनुमान जताया है।
पिछले महीने के आखिरी में Ind-Ra ने ग्रोथ रेट 3.6 फीसदी का अनुमान जताया था।
हालांकि, अगर लॉकडाउन मिड-मई 2020 से आगे बढ़ता है और धीरे-धीरे रिकवरी जून 2020 के आखिरी तक होती है
तो GDP में 2.1 फीसदी की गिरावट आ सकती है। जो कि पिछले 42 सालों में सबसे कम है और साल 1951-52 से कमजोर होने का छठा उदारहण रहेगा।
साल 1957-58 में GDPमें 0.4 फीसदी, साल 1965-66 में 2.6 फीसदी, 1966-67 में 0.1 फीसदी,
1972-73 में 0.6 फीसदी और 1979-80 में 5.2 फीसदी की गिरावट आई थी।
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Ind-Ra ने जारी किए अपने बयान में कहा है कि कोरोना वायरस के चलते फाइनेंशियल मार्केट में गिरावट जारी थी,
लेकिन RBI के मोर्चा संभालने पर वित्तीय बाजारों में सुधार हुआ है।
रेटिंग और रिसर्च एजेंसी ने कहा है कि सिस्टम में लिक्विडिटी की कोई कमी नहीं है।
RBI ने फरवरी 2020 से GDP के तकरीबन 3.2 फीसदी लिक्विडिटी सिस्टमेटिक तरीके से इंजेक्ट किया है।