नई दिल्ली, 9 मार्च : आज मैं सरकार के रोजगार के बारे में बात करना चाहता हूँ l
विपक्ष कह रहा है, युवा के पास रोजगार की कमी है l वही पक्ष/सरकार का दावा है कि देश भर में रोजगार ही रोजगार हैl
काफी दिनों से मैं रोजगार के बारे में, देशभर में, सरकार-विपक्ष आदि लोगों से तरह-तरह की बातें सुन रहा था l
दावा किसका सच है किसका झूठ इसपर चर्चा तो चलती रहेंगी l
पर सरकार के कुछ बड़े मंत्रियों के दावें सुनकर हंसी आ जाती है तो कभी अपनी किस्मत पर रोना भी आता हैl
सरकार के एक मंत्री का दावा है कि पकोड़े बेचना भी एक रोजगार है तो दूसरे मंत्री का कहना कि उबेर और ओला से देशभर में 10 लाख लोगों को रोजगार मिला l
कहा मैं और मेरे जैसे कई भाई-पिता-माता-बहन ‘सरकारी नौकरियां’ और नौकरियों की तलाश में कहाँ-कहाँ भटक रहे है l वही अपने भविष्य के लिए एक अच्छी नौकरी की तलाश में सरकार से आस लगाकर बैठे हुए है l और सरकार यह कह कर पल्ला झाड़ रही है कि हमने रोजगार पैदा किया है,पर लोगों को शायद हमारे द्वारा उत्पन्न रोजगार दिखाई नहीं दे रहे है, या तो जनता पागल है या हमारे यह मंत्री l लेकिन कुल मिलाकर मैंने कभी भी इस रोजगार के सपने नहीं देखे थे मैंने कभी भी सड़क पर पकोड़े बेचने या ओला उबेर में ड्राइविंग करके पैसा कमाने की नहीं सोची थी l
हमेशा दिमाग में एक बात थी और वह यह थी की पढ़ने-लिखने के बाद एक अच्छी नौकरी मिल जाएँ और क्या ..l पर आज जब सरकार के दावों को देखता हूँ तू सोच में पड़ जाता हूँ कि क्या मैंने पढ़ाई करके कुछ गलत तो नहीं कर दिया …? पकोड़े बेचने के लिए और ड्राइविंग के लिए मुझे किसी डिग्री की जरुरत नहीं थी l बस सिर्फ 18 साल का हो जाता और मेरी नौकरी पक्की …!! भाई पापा-मम्मी को भी चिंता नहीं होती पढाई पर खर्चा करने की l सब कुछ सेट था l
न पढ़ना न लिखना बस खाना पीना और सोना l 18 साल बाद ठेले या गाड़ी को ढ़ोना l
मोदी राज में आज देश विकास की नयी ऊचाईयों को छू रहा है l जहा मोदी हर राज्य. हर देश में जाकर विकास की बात कह रहे है वहीं दूसरी ओर उनके मंत्रीगण देश भर में रोजगार के यह उदाहारण पेश कर रहे है l क्या मोदी इन लोगों की बातों पर लगाम नहीं लगा सकते..? लगा सकते है तो क्यों नहीं लगा रहे..? या यह सब उनके इशारों पर ही हो रहा है… l
कुछ भी हो मैं यह नहीं जानता कि लोग क्या कह रहे है पर इस समय जो रोजगार पर सरकार का रुख है उस पर सवाल उठाना लाजिमी ही है l चलियें अब हम इस छोटी सी कविता के द्वारा हमारे पाठकों की आवाज को बताने की कोशिश कर रहे है l
रोजगार और सरकार
यह है बेचारी-विकासवाली सरकार
रोजगार पर विपक्ष करें सवालों का वार…..
सरकार कहें देश भर में है जॉब की बहार
‘ड्राइवरी-पकोड़े’ क्या यही है रोजगार की धार….
किस्मत देशवासियों की क्या लेगी आकार
सरकार के लिए ‘पकोड़े-ड्राईवर’ है रोजगार….
विकास की राह पर सरकार ने उड़ाई पतंग
बेरोजगारी की रोजगारी देखकर जनता रह गई दंग….
सोचा न था बेटा पकोड़े वाला बनेगा
रोजगारी के नाम पर ड्राईवरी करके गाड़ी को ढ़ेलेगा….
आपको समयधारा (samaydhara) की यह सोच कैसी लगी अपने जवाब कमेंट बॉक्स में जरुर दे या मेल करके हमें बताएं l धन्यवाद l