आज से जैन धर्म के सबसे बडें पर्व पर्युषण महापर्व का हो गया आगाज, जाने कब है सवंत्सरी
जैन धर्म का मूल है अहिंसा, खानपान आचार नियम का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है, जैनी अहिंसा वादी होते है, वह अहिंसा में विश्वास रखते है l जैनी विश्व के सबसे शांति प्रिय लोग होते है.
Jain Dharma Paryushan Mahaparva Jainism samvatsari 2024
नई दिल्ली (समयधारा) : दोस्तों धर्म की स्थापना का सबसे बड़ा कारण विश्व व मानव जाती का कल्याण करना है l
इस विश्व में हजारों धर्म है l हर धर्म की अपनी खासियत है l
इन्ही सब धर्मों में विश्व के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक जैन धर्म के बारें में हम आज आपको जानकारी देंगे l
जैन धर्म का मूल है अहिंसा l खानपान आचार नियम का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है l
जैनी अहिंसा वादी होते है l वह अहिंसा में विश्वास रखते है l जैनी विश्व के सबसे शांति प्रिय लोग होते है l
कहते है जो अहिंसक है वो शांत स्वभाव का होता है l मन में चाटुकारिता नहीं होती l इसलिए विश्व में जैन सबसे भरोसेमंद कोम मानी जाती है l
आज जैन धर्म के सबसे बड़े पर्व जिसे जैन धर्म में पर्युषण महापर्व कहा जाता है की शुरुआत हुई है l यह महापर्व 8 दिनों तक चलता है l
इस महापर्व में जैनी उपवास आदि रखते है l जैन मंदिरों में नित्य जाना भजन-कीर्तन व जैन साधुओं से व्याख्यान(उपदेश) सुनना इसी में मग्न रहते है जैनी l
Jain Dharma Paryushan Mahaparva Jainism samvatsari 2024
इस पर्व के समापन यानी 8 वें दिन जैनी एक जगह एकत्रित होकर सामूहिक पूजा जिसे जैन धर्म में संवत्सरी प्रतिकमण करते है l
हर जैन धर्म मानने वालों के लिए यह साल का सबसे बड़ा दिन होता है, संवत्सरी प्रतिकमण के बाद जैन लोग एक दूसरें से क्षमा मांगते है l
साल भर में-पिछले दिनों में जो भी जाने-अनजाने गलती होती है उसकी क्षमा याचना करते है l जिसे वह मिच्छामि दुक्कडम कहते है l
इसका मतलब होता है मैं आपसे अपने हर गलत कर्मों का चाहे वह जानबूझकर हुआ हो या अनजाने हुआ हो उसकी क्षमायाचना करता हूँ l
जैन धर्म में यह संवत्सरी महापर्व आज या कल शुरू होता है l इस साल (2023) यह पर्व 31 अगस्त के दिन शुरू हो रहा है l
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पर्युषण 2023 की तिथि
पर्युषण की शुरुआत हिंदू चंद्र कैलेंडर के भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से होती है. अंतिम दिन संवत्सरी प्रतिक्रमण है.
पर्युषण पर्व : 31 अगस्त 2024
संवत्सरी पर्व : 7 सितम्बर 2023
श्वेतांबर जैन समाज – (31 अगस्त 2024 से 7 सितम्बर 2024 तक) (08 दिन)
तेरापंथ जैन समाज – ( 31 अगस्त 2024 से 07 सितंबर 2024 तक) (08 दिन)
दिगंबर जैन समाज – (07 सितम्बर 2024 से 17 सितम्बर 2024 तक) (10 दिन)