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अब किराये के घरवालों को भी भरना पड़ेगा 18 फीसदी GST! जानें नया नियम

वो छोटे-बड़े व्यवसाय जोकि पार्लर,स्पा या जिम को किराएं का घर लेकर रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में चला रहे है और जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड है। उन्हें किराएं के साथ-साथ 18 फीसदी जीएसटी भी देना पड़ेगा।

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नई दिल्ली:सभी जरुरत के खाद्य पदार्थों पर केंद्र ने 5 फीसदी जीएसटी लगा दिया है। लेकिन क्या आपको पता है कि अगर आप किराएं के घर का इस्तेमाल करते है तो भी आपको 18 फीसदी जीएसटी(GST)देना पड़ेगा?

दरअसल,जीएसटी को लेकर 18 जुलाई से सरकार ने नए नियम लागू किए है,जिनके अंतर्गत किराएं के मकान में रहने वाले लोगों को किराए के साथ-साथ 18 फीसदी जीएसटी भी देना(18perc-GST-on-residential-rent-property-here-details)पड़ेगा।

जी हां, बढ़ती महंगाई में किराएं पर रहने वाले लोगों पर सरकार की ओर से जीएसटी(Goods and Service Tax)की एक और नई मार है। 

जीएसटी के नियमों के मुताबिक, रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी किराये पर लेकर रहने वाले किरायेदारों को रेंट के साथ 18 प्रतिशत जीएसटी भी देना(18perc-GST-on-residential-rent-property-here-details)होगा।

हालांकि, यह नियम बस उन किरायेदारों पर लागू होगा, जो किसी बिजनेस के लिए जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड हैं।

पहले जो नियम था, उसके मुताबिक कॉमर्शियल प्रॉपर्टी जैसे कि ऑफिस या रिटेल स्पेस जैसी जगहों को किराये पर लेने पर ही लीज पर जीएसटी लगता था।

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रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी को चाहे कोई कॉरपोरेट हाउस किराये पर ले कोई सामान्य किरायेदार, इस पर कोई जीएसटी नहीं लगता था.

नए नियम के मुताबिक, जीएसटी रजिस्टर्ड किरायेदार को reverse charge mechanism (RCM) के तहत टैक्स भरना होगा. वह इनपुट टैक्स क्रेडिट के तहत डिडक्शन दिखाकर जीएसटी क्लेम कर सकता है.

यह भी बता दें कि यह 18 प्रतिशत जीएसटी तभी लागू होगा जब किरायेदार जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड हो और जीएसटी रिटर्न भरने वाली कैटेगरी में आता(18perc-GST-on- residential-rent-property-for-business-registered-under-GST-here-details) है.

 

 

 

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जानें GST को लेकर नए नियम-18perc-GST-on-residential-rent-property-here-details 

-रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी को किराये पर लेकर वहां से अपना बिजनेस चलाने वाले किरायेदार को 18 प्रतिशत टैक्स देना होगा।

 

 

 

 

 

-जीएसटी कानून के तहत रजिस्टर्ड किरायेदार की श्रेणी में सामान्य और कॉरपोरेट संस्थाएं सब आएंगे।

 

 

 

 

 

 

-सालाना टर्नओवर निर्धारित सीमा से ऊपर पहुंच जाने पर बिजनेस मालिक को जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।

 

 

 

 

 

 

-निर्धारित सीमा क्या होती है, यह बिजनेस पर निर्भर करता है. सेवाएं दे रहे बिजनेस मालिकों के लिए सालाना लिमिट 20 लाख रुपये का टर्नओवर है।

 

 

 

 

 

 

 

-वहीं, सामान बेच रहे या सप्लाई कर रहे बिजनेस मालिकों के लिए यह लिमिट 40 लाख रुपये है।

 

 

 

 

 

 

 

-हालांकि, अगर यह किरायेदार उत्तरपूर्वी राज्यों या विशेष दर्जा प्राप्त वाले राज्य में रहता है तो उसके लिए टर्नओवर की निर्धारित सीमा सालाना 10 लाख रुपये है।

 

 

 

 

 

 

किराएं के घर पर जीएसटी का असर किन पर होगा? 

जीएसटी परिषद की 47वीं बैठक के बाद लागू इस नए बदलाव का असर ऐसी कंपनियों या व्यवसायियों पर होगा, जिन्होंने अपने बिजनेस के लिए रेजिडेंशिल प्रॉपर्टी को रेंट या लीज पर लिया है। 

वहीं, ऐसी कंपनियां भी इस लागत को वहन करेंगी जो रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी को किराये पर लेकर इसे गेस्ट हाउस की तरह इस्तेमाल करती हैं या फिर कर्मचारियों के लिए रहने की जगह उपलब्ध कराती है।

कर्मचारियों को मुफ्त में रहने की जगह देने वाली कंपनियों पर इससे एम्पलॉई कॉस्ट बढ़ जाएगा।

वो छोटे-बड़े व्यवसाय जोकि पार्लर,स्पा या जिम को किराएं का घर लेकर रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में चला रहे है और जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड है। उन्हें किराएं के साथ-साथ 18 फीसदी जीएसटी भी देना(18perc-GST-on-residential-rent-property-here-details)पड़ेगा।

 

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Varsa

वर्षा कोठारी एक उभरती लेखिका है। पत्रकारिता जगत में कई ब्रैंड्स के साथ बतौर फ्रीलांसर काम किया है। अपने लेखन में रूचि के चलते समयधारा के साथ जुड़ी हुई है। वर्षा मुख्य रूप से मनोरंजन, हेल्थ और जरा हटके से संबंधित लेख लिखती है लेकिन साथ-साथ लेखन में प्रयोगात्मक चुनौतियां का सामना करने के लिए भी तत्पर रहती है।

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