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श्रीदेवी(Sridevi)(श्री अम्मा यंगर अय्यप्पन), जिन्हें दुनिया श्रीदेवी के नाम से जानती है, भारतीय सिनेमा में एक बहुमूल्य प्रतिभा की स्वामी और प्रतीकात्मक शख्सियत हैं।
Google Doodle आज 13 अगस्त, 2023 को श्रीदेवी के 60वें जन्मदिन(Google-Doodle-celebrating-Sridevis-60th-Birthday)पर, उनके शानदार करियर और फिल्म उद्योग में उनके अतुलनीय योगदान को याद कर रहा है।
गूगल ने श्रीदेवी के 60वेें जन्मदिन का जश्न मनाते हुए बेहतरीन डूडल बनाया(Google-Doodle-celebrating-Sridevis-60th-Birthday)है। जो उनके डांस मूव्स को दर्शा रहा है।

अभिनेत्री श्रीदेवी(Sridevi)भले ही आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी एक से बढ़कर एक सुपर-डुपर हिट फिल्मों के जरिए वह आज भी अपने फैंस और परिजनों के बीच जीवंत(Sridevis-60th-Birthday-Doodle)है।
विलक्षण प्रतिभा की स्वामी श्रीदेवी दक्षिण भारत के तमिलनाडु की रहने वाली थी और उन्होंने अपने सिनेमाई सफर की शुरूआत महज चार साल की उम्र में ही कर दी थी।
भारत के दक्षिणी हिस्सों से निकलकर, सटीक रूप से कहें तो तमिलनाडु में, 13 अगस्त 1963 में एक ऐसे सितारे का जन्म हुआ, जिसका भारतीय सिनेमा(Indian Cinema)के विविध परिदृश्यों पर राज करना तय(Google-Doodle-celebrating-Sridevis-60th-Birthday) था।
चार साल की उम्र में ही उनके पैर अभिनय की दुनिया में मजबूती से जम गए और उन्होंने तमिल फिल्म उद्योग में धूम मचा दी।
उनकी बहुमुखी प्रतिभा पांच भाषाओं में फैली, जिससे एक अखिल भारतीय फिल्म स्टार के रूप में उनकी जगह पक्की हो गई।
300 से अधिक फिल्में अपने नाम कर श्रीदेवी ने अभिनय प्रतिभा की मिसाल कायम की और अपनी जन्मजात क्षमता से लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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प्रारंभिक जीवन और करियर की शुरुआत
1963 में तमिलनाडु की सांस्कृतिक गहराई में जन्मी, सिनेमाई दुनिया में एक विलक्षण प्रतिभा देखी गई, जब श्रीदेवी ने महज चार साल की उम्र में ‘कंधन करुणाई’ से डेब्यू किया।
विशेष रूप से, उनकी भाषाई क्षमता कई दक्षिण भारतीय भाषाओं तक फैली, जिससे उनका सिनेमाई क्षितिज व्यापक हुआ।
उनके बचपन से ही यह स्पष्ट हो गया था कि श्रीदेवी सिर्फ एक बाल कलाकार से कहीं अधिक(Google-Doodle-celebrating-Sridevis-60th-Birthday)थीं।
कैमरे के सामने उनकी सहजता और स्वाभाविक अभिनय कौशल ने उन्हें कई लोगों का चहेता बना दिया, जिससे वह दक्षिण भारतीय सिनेमा में एक पसंदीदा हस्ती बन गईं।
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फिल्म उद्योगों में बहुमुखी प्रतिभा
श्रीदेवी(Sridevi)का सिनेमाई सफर किसी एक भाषा या शैली तक सीमित नहीं था। तमिल, तेलुगु और मलयालम फिल्मों में उल्लेखनीय भूमिकाओं के साथ, वह एक घरेलू नाम बन गईं।
उनके शानदार करियर ने 1976 में ‘मूंदरू मुदिचू’ से एक नया मोड़ लिया, जिसके बाद तमिल सिनेमा में स्टारडम ज्यादा दूर नहीं रहा।
उन्होंने जो बहुमुखी प्रतिभा प्रदर्शित की वह बेजोड़ थी। प्रत्येक भूमिका, प्रत्येक चरित्र को अपने अनूठे स्पर्श से जीवंत कर दिया, जिससे वह न केवल दक्षिण में बल्कि हिंदी फिल्म उद्योग में भी एक लोकप्रिय अभिनेत्री बन गईं।
बॉलीवुड शासन और प्रतिष्ठित भूमिकाएँ
वर्ष 1983 श्रीदेवी के करियर में एक महत्वपूर्ण क्षण था। ‘हिम्मतवाला‘ में अपनी मुख्य भूमिका के साथ, उन्होंने भारतीय सिनेमा के दिल – बॉलीवुड में कदम रखा।
‘सदमा’ और ‘चालबाज़’ जैसी फिल्मों ने उनकी जगह और पक्की कर दी, जिससे साबित हुआ कि वह किसी पुरुष समकक्ष के बिना भी स्क्रीन पर दबदबा बना सकती हैं।
पुरुष अभिनेताओं के वर्चस्व वाले युग में, श्रीदेवी की जबरदस्त प्रगति उनकी प्रतिभा और दृढ़ संकल्प का प्रमाण थी। उन्होंने जो भी भूमिका निभाई वह प्रतिष्ठित बन गई और दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ गई।
यही कारण है कि हिंदी सिनेमा में वह पहली अभिनेत्री बनी जो अपने अभिनय की मुंहमांगी कीमत लिया करती थी।
जबकि अभी तक पुरुष अभिनेताओं को भी फिल्म के लिए मुंहमांगी कीमत का भुगतान किया जाता था।
भारतीय सिनेमा में विशेषकर बॉलिवुड(Bollywood)में श्रीदेवी ने फीमेल लीड ओरिएंटेड फिल्मों के रास्ते अन्य अभिनेत्रियों के लिए भी खोल दिए और मुंहमांगी कीमत का भुगतान पाकर ही वह लेडी अमिताभ भी कही जाने लगी।
सिने जगत में श्रीदेवी के बहुमूल्य योगदान को ही नमन करते हुए आज गूगल ने शानदार डूडल के साथ उनके 60वें जन्मदिन का जश्न मनाया(Google-Doodle-celebrating-Sridevis-60th-Birthday)है।
करियर पुनरुत्थान और उपलब्धियाँ
हालाँकि उन्होंने 2000 के दशक की शुरुआत में अभिनय से विश्राम ले लिया था, लेकिन उनकी सिनेमाई भावना कम नहीं हुई थी।
‘इंग्लिश विंग्लिश’ के साथ उनकी विजयी वापसी ने एक परिपक्व, परिष्कृत अदाकारा का प्रदर्शन किया, जिसने आज तक भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया हुआ है।
इसके अलावा, ‘मॉम’ में श्रीदेवी का उत्कृष्ट प्रदर्शन और भारत सरकार से प्राप्त प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार उनके अद्वितीय करियर के लिए उपयुक्त श्रद्धांजलि थी।
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विरासत और योगदान
भारतीय सिनेमा पर श्रीदेवी का प्रभाव उनकी फिल्मों से कहीं अधिक है। उन्होंने भविष्य की पीढ़ियों के लिए मार्ग प्रशस्त करते हुए महिलाओं की भूमिकाओं को फिर से परिभाषित किया।
उनके अथक प्रयासों ने, उनकी असाधारण प्रतिभा के साथ मिलकर, अब तक के सबसे महान भारतीय अभिनेताओं में से एक के रूप में उनकी जगह पक्की कर दी है।
सिर्फ एक सिनेमाई आइकन ही नहीं, श्रीदेवी अपने आप में एक संस्था थीं। उनकी भूमिकाओं ने सामाजिक मानदंडों को चुनौती दी और उनके प्रदर्शन ने हर जगह अभिनेताओं के लिए मानक बढ़ा दिए।

निष्कर्ष
‘कंधन करुणाई’ की युवा लड़की से लेकर बॉलीवुड की अग्रणी आइकन तक, श्रीदेवी की यात्रा किसी पौराणिक कथा से कम नहीं है। उनके 60वें जन्मदिन पर गूगल डूडल उनकी स्थायी विरासत का एक वैश्विक प्रमाण है।
जैसे ही पर्दा गिरता है, हम श्रीदेवी को याद करते हैं और उनका जश्न मनाते हैं, न केवल उनकी फिल्मों के लिए, बल्कि उस जादू के लिए जो उन्होंने सिल्वर स्क्रीन पर लाया। एक सदाबहार आइकन को उनके विशेष दिन पर भावभीनी श्रद्धांजलि।
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