कोरोनावायरस के कारण घट रही है पुरुषों में पिता बनने की क्षमता ! ऐसे बचें
इस संक्रमण के कारण उत्पन्न हो रहा तनाव न केवल महिलाओं के मासिक धर्म को प्रभावित करके अनियमित कर रहा है बल्कि पुरुषो में भी बांझपन या इंफर्टिलिटी की संभावना को बढ़ा रहा है...
Coronavirus is increasing infertility in men
नई दिल्ली: पूरा विश्व कोरोनावायरस(Coronavirus)के संक्रमण की गिरफ्त में है। देश में भी हालात दिन प्रतिदन बदत्तर होते चले जा रहे है।
कोरोनावायरस के आम आदमी की जीवनचर्या को ही प्रभावित नहीं किया है बल्कि उसके स्वास्थ्य पर इसके दूरगामी प्रभाव भी पड़ते दिख रहे है।
हाल में कुछ रिसर्चस में इस बात का खुलासा हुआ है कि कोरोनावायरस के कारण लोगों की सिर्फ याददाश्त में ही नहीं असर पड़ रहा
बल्कि सर्वाधिक लंग्स इंफेक्शन हो रहा है और साथ में शरीर में बेहद कमजोरी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही है।
बीते एक साल से पूरा विश्व कोरोना से जूझ रहा है और तब से अब तक मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजर आम आदमी के जीवन का अहम अंग बन चुका है।
जो लोग कोरोनावायरस से ठीक हो चुके है, उनमें से कई लोगों के अंदर काफी समय बाद जाकर अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो रही है।
इस संक्रमण के कारण उत्पन्न हो रहा तनाव न केवल महिलाओं के मासिक धर्म को प्रभावित करके अनियमित कर रहा है बल्कि पुरुषो में भी बांझपन या इंफर्टिलिटी की संभावना को बढ़ा रहा है।
दरअसल, इजरायल के साइंटिस्टों ने हाल ही में एक स्टडी में बताया है कि COVID-19 के कारण स्पर्म बनाने वाली कोशिकाएं भी डैमेज होती है।
जिसके परिणामस्वरूप मेल इंफर्टिलिटी की संभावना बढ़ (Coronavirus is increasing infertility in men)जाती है।
कोरोनावायरस के संक्रमण में आने के कारण पुरुषों में जो कोशिकाएं शुक्राणुओं का निर्माण करती है, उनका निर्मित होना मुश्किल हो जाता है।
यह अध्ययन फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोध के अनुसार वैज्ञानिकों ने यह भी दावा किया कि संक्रमित अध्ययनरत पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में लगभग 50 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।
अध्ययन के अनुसार अभी इस बात का पता लगाया जाना बाकी है कि यह समस्या कितनी गंभीर है और इसका दूरगामी प्रभाव क्या होगा।
कोरोना संक्रमण में फेस मास्क और सोशल डिस्टेसिंग अनिवार्य
भले ही देश और विदेश में कोरोना वैक्सीन जल्द ही बन जाने की खबरें तेजी से आ रही है लेकिन जब तक वैक्सीन मार्केट में नहीं आ जाती और उसके सौ फीसदी रिजल्ट मरीजों पर दिखने नहीं लग जाते,तब तक कोरोना से बचने का एकमात्र इलाज सिर्फ मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग ही है।
मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर शोभा गुप्ता ने बताया कि ‘मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर यह वायरस शुक्राणु उत्पादन में अस्थायी कमी का कारण बनता है।
वैसे अभी इस बारे में शोध प्रारंभिक स्तर पर ही हैं, लेकिन सवाल यह है कि यह कब तक चलेगा और क्या यह ठीक हो सकता है। कई शोधों में हर बार इस वायरस के साथ एक बात सुनने को आती है।
अगर किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली या इम्यूनिटी(Immunity) कमजोर है तो उसका वायरस की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है।
अगर इसकी चपेट में आने वाले व्यक्ति के शुक्राणुओं की संख्या में कमी हो रही है तो निश्चित ही उसे पिता बनने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।’
जेपी अस्पताल और जीवा फर्टिलिटी सेंटर से सीनियर आईवीएफ कंसल्टेंट डॉक्टर श्वेता गोस्वामी ने बताया कि कोरोनावायरस या किसी भी अन्य वायरस से होने वाले तेज बुखार कि वजह से आपके शुक्राणुओं को नुकसान पहुंचता (Coronavirus is increasing infertility in men)है, अधिकतर मामलों में कुछ समय के लिए।
साथ ही कोरोनावायरस की वजह से ऐसा हो रहा है ऐसा कहना मेरे ख्याल से अभी जल्दबाजी ही होगी। ऐसे में सबसे अच्छा यही रहेगा कि लोग मास्क जरूर पहनें, जिससे वे इस वायरस की चपेट में आने से बच सकेंगे।
अपनी सुरक्षा अपने हाथ
शांता फर्टिलिटी सेंटर की आईवीएफ विशेषज्ञ डॉक्टर अनुभा सिंह ने बताया कि ये संभव हो सकता है कि जो पुरूष इस वायरस की चपेट में आए हैं वे इनफर्टिलिटी की समस्या का सामना करें।
इस पर कुछ पक्की तरह से कहने से पहले रिसर्च का पूरी तरह से अध्ययन करा जाता जरूरी है। फिर भी मैं सभी से यही कहना चाहती हूं कि फेस मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन करें।
मास्क पहनने से इस वायरस की चपेट में आने का खतरा कम हो जाता है जिससे आप वायरस की वजह से होने वाली समस्याओं से खुद को बचा सकते हैं।
एक स्वस्थ जीवन चुनें और सावधानी बरतें, क्योंकि यह वायरस बहुत नया है और किसी को नहीं पता कि इससे कैसे उबरें या संक्रमण को कैसे पकड़ें।
इसलिए जब तक वैक्सीन नहीं आती है, तब तक हमें खुद ही हमारा बचाव करना होगा। कृपया अपनी फर्टिलिटी की रक्षा के लिए नीचे दी गई सावधानियों का पालन करे
1-मास्क पहनें और उचित सैनेटाइजिंग करें।
2-अधिक वजन बढ़ने से पहले व्यायाम शुरू करें
3-धूम्रपान और शराब का सेवन न करें
4-टाइट अंडरवियर पहननें से बचें क्योंकि यह रक्त के संचलन को प्रभावित कर सकता है और अंडकोष का तापमान बढ़ा सकता है जो शुक्राणुओं की संख्या को कम करता है
5-मोबाइल फोन और लैपटॉप से पैदा होने वाले विकिरण से बचें क्योंकि इससे निकला तापमान शुक्राणुओं की संख्या को कम करता है
6-पौष्टिक भोजन खाएं और नियमित व्यायाम करें
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