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दिल्ली चुनाव: बिजली,पानी, स्वास्थ्य भूल जाओ,जनता को शाहीनबाग,पाकिस्तान की सैर कराओ

दिल्ली में सड़कों के गड्डे और कूड़े के ढ़ेरों का अंबार किसी शाहीनबाग या शरजील इमाम के नाम पर वोट देने से कम नहीं होने वाला है

Opinion on Delhi Assembly Election 2020: real issues Missing

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 (Delhi Assembly Election 2020) विकास के नाम पर लड़ा जाना था और लड़ा जाना भी चाहिए। दिल्ली विधानसभा चुनावों के माध्यम से दिल्ली की जनता अपने शहर के विकास और मूलभूत जरूरतों के लिए वोट डालेगी।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) जहां एक ओर अपने पांच साल के कामों  के बल पर जनता से वोट मांग रहे है तो केंद्र की मोदी नित भाजपा सरकार फिर से पाकिस्तान, हिंदू-मुसलमान,सीएए, गोली मारो, बलात्कार और शाहीनबाग के ऊपर जनता से वोट मांग रही है।

केंद्र की भाजपा सरकार जिन मुद्दों पर दिल्ली की जनता से वोट मांग रही है क्या सच में वो मुद्दे दिल्ली विधानसभा चुनावों (Delhi Assembly Election 2020) से सरोकार रखते है?

मूल रूप से खुद दिल्ली की नागरिक होने के नाते व्यक्तिगत तौर पर मैं खुद स्वीकार करती हूं कि दिल्ली चुनावों को जानबूझकर सांप्रदायिक रंग (communalism) दिया जा रहा है।

दिल्ली विधानसभा चुनावों (Delhi polls) को शाहीनबाग (Shaheen Bagh) या सीएए (CAA) से कुछ लेना-देना नहीं है।

दरअसल, सीएए (CAA) केंद्र सरकार लाई है जिसका कार्यकाल दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद भी जारी रहेगा चूंकि मोदी लोकसभा चुनाव 2019 (LokSabha Election 2019) जीतकर आएं और अगले चार-साढ़े चार प्रधानमंत्री वहीं रहेंगे।

दिल्ली में कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी भी गवर्नर की है जोकि सीधे केंद्र सरकार को रिपोर्ट करते है। शाहीनबाग (Shaheen Bagh) से अगर भाजपा (BJP) को सच में सांप्रदायिक साजिश की बू आ रही है

या फिर दिल्ली की जनता की परेशानी के लिए वो सच में इस मुद्दे को हल करना चाहते है तो उनके लिए कोई मुश्किल नहीं है इस कथित प्रायोजित प्रदर्शन को मिनटों में खत्म कर देना।

खासकर जब दिल्ली पुलिस (Delhi Police) गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के अंतर्गत ही आती है।

इसलिए बारीकी से समझा जाए तो दिल्ली की जनता (Delhiites) को पूरे सुनियोजित तरीके से लोकसभा चुनावों की तर्ज पर भ्रमित और सांप्रदायिक सोच देने का कार्य शुरू हो चुका है और असल मुद्दों का शोर धूमिल हो चुका है।

एक सशक्त विपक्ष होने के नाते दिल्ली में भाजपा को चाहिए कि वे केजरीवाल सरकार के अधूरे कामों या फिर उनके विकास के दावों पर जनता को जागरुक करें न कि दिल्ली विधानसभा चुनावों को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करें।

आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली की जनता के बीच अपने पांच सालों के कामों की रिपोर्ट कार्ड बांट रहे है और केंद्र की भाजपा सरकार दिल्ली की जनता के बीच शाहीनबाग (Shaheen Bagh) को भुना रही है? क्यों?

Opinion on Delhi Assembly Election 2020: real issues Missing

जब गृहमंत्री अमित शाह के सभी केंद्रीय मंत्री डोर-टू-डोर कैंपेन करके जनता को सीएए (CAA) के बारे में समझा रहे है तो सरकार का कोई नुमाइंदा जाकर शाहीनबाग की महिलाओं से बात करके स्थानीय नागिरकों की परेशानी खत्म क्यों नहीं कर रहा ?

कहीं इसलिए तो नहीं कि अगर शाहीनबाग का प्रदर्शन दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi assembly election) के मतदान से पहले खत्म हो गया तो भाजपा के पास कोई चुनावी मुद्दा ही नहीं (real issues Missing) रहेगा?

भाजपा के प्रवेश वर्मा दिल्ली की जनता को शाहीनबाग के धरने पर यह कहकर डरा रहे है कि ‘ये लोग घरों में घुसकर बलात्कार करेंगे…वे जनता को भड़का रहे है कि मोदी को वोट देना जरूरी है वर्ना दिल्ली की मां-बहनों की अस्मिता लूट जाएंगी

लेकिन किसी भी गोदी मीडिया के रिपोर्टर ने उनसे क्यों नहीं पूछा कि दिल्ली (Delhi) पर केंद्र सरकार और एलजी (LG) के रूप में मोदी जी (PM Modi) ही शासन करते है। चूंकि दिल्ली एक केंद्रशासित प्रदेश है।

यहां की कानून-व्यवस्था (Law and Order) सीधे-सीधे गृहमंत्रालय के अधीन आती है चूंकि दिल्ली पुलिस का विभाग उन्हीं के अधीन है न कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के।

अचानक से दिल्ली की राजनीति में शरजील इमाम (Sharjeel Imam) का पदार्पण हो गया है। जिनपर असम (Assam) को लेकर कथित भड़काऊ भाषण देने का आरोप  है और देशद्रोह का केस दर्ज किया गया है।

शरजील इमाम को 28 जनवरी को ही दिल्ली पुलिस ने बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया है। शरजील इमाम सरीखे शख्स को भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनावों में क्यों तवज्जों दे रही है?

ऐसा तो नहीं है कि शरजील इमाम ने केवल सीएए (CAA),एनआरसी (NRC) और असम (Assam) को लेकर भड़काऊ बयानबाजी की है बल्कि उसने गांधी जी, कांग्रेस और शाहीनबाग को लेकर भी निंदनीय बातें बोली है।

इतना ही नहीं, शरजील इमाम के वीडियो का केवल वहीं अंश क्यों वायरल किया गया है जिसमें उसने भाजपा, संघ,असम, सीएए और एनआरसी की आलोचना की है जबकि उसने इसी वीडियो में गांधी जी का अपमान किया है और कांग्रेस, लेफ्ट दलों को भी एंटी मुस्लिम कहा है, तो इन अंशों को क्यों नहीं वायरल नहीं किया गया?

क्या दिल्ली विधानसभा चुनावों में जनता के दिमाग से असल मुद्दे गुमाने के लिए शाहीनबाग और शरजील इमाम सरीखे गैरजरूरी मुद्दों पर जनसभाएं और गोदी मीडिया की बहसें रखी जा रही है?

Opinion on Delhi Assembly Election 2020: real issues Missing

शरजील इमाम की पूरी स्पीच में उन्होंने गांधी, कांग्रेस, कन्हैया, जामिया की प्रोस्टेस्ट कमिटी, शाहीनबाग के खिलाफ भी बोला है लेकिन एक सोची-समझी रणनीति के तहत मीडिया और सोशल मीडिया में केवल वहीं भाग दिखाये गए जिनमें वो सीएए-एनआरसी (CAA-NRC) के खिलाफ बोल रहा है ताकि दिल्ली और देश की जनता के दिमाग में बैठा दिया जाएं कि यह शख्स देश में केवल मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलता है और विपक्ष का नुमाइंदा है। 

अगर आप शरजील इमाम के चालीस मिनट के वीडियो को पूरा देखेंगे तो पायेंगे कि इसमें उसने मोदी, अमित शाह को नहीं बल्कि महात्मा गांधी को फांसीवादी बताया गया है।

उसने कांग्रेस, कन्हैया, असम, एनआरसी, सीएए और शाहीनबाग को लेकर भड़काऊ और निंदनीय बातें बोली है। 

शरजील इमाम कहीं न कहीं खुद कट्टरवादी सोच को परोस रहा है जोकि भारतीय संविधान की मूल भावना पर कुठाराघात है।

फिर भाजपा सरकार इसे केवल मुस्लिमों से जोड़कर दिल्ली विधानसभा चुनावों को सांप्रदायिक रंग क्यों दे रही है?

जेएनयू का यह छात्र अपना राजनीतिक करियर दिल्ली विधानसभा चुनावो में इस प्रकार के भडकाऊं भाषण देकर शुरू करना चाह रहा है और भाजपा इसे मुद्दा बनाकर कहीं न कहीं इसके राजनीतिक सफर की नींव रख रही है।

Opinion on Delhi Assembly Election 2020: real issues Missing

दिल्ली की जनता को समझना होगा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly election 2020) दिल्ली के विकास,कामों, मूलभूत जरूरतों और सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर होना चाहिए।

चूंकि हम दिल्लीवासी किसी एक सांप्रदायिक सोच के आधार पर नहीं बल्कि विकास कार्यो, बुनियादी जरूरतों के आधार पर वोट डालते आये है तभी तो वर्ष 2015 में दिल्लीवालों ने पंद्रह साल पुरानी शीला दीक्षित नीत कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंका था और एक नए दल आम आदमी पार्टी को सरकार बनाने का अवसर दिया था।

दिल्ली के चुनावों (Delhi election) में शहर की प्रगति, जनता के बिजली-पानी-सड़क और सुरक्षा-व्यवस्था असल मुद्दा होने चाहिए चूंकि हम वोट इन्हीं कामों के लिए डाल रहे है न कि पाकिस्तान… गोली मारो… बलात्कार… शरजील इमाम… शाहीनबाग और सांप्रदायिक सोच को लेकर।

दिल्ली की एमसीडी (Delhi MCD) में पंद्रह साल से खुद भाजपा (BJP) का राज है और केंद्र में मोदी सरकार  विराजमान है।

फिर भी दिल्ली में सड़कों के गड्डे और कूड़े के ढ़ेरों का अंबार किसी शाहीनबाग या शरजील इमाम के नाम पर वोट देने से कम नहीं होने वाला है।

भाजपा के केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा ने दिल्ली विधानसभा चुनावों मे भाषण देते हुए सांप्रदायिकता और विवादित बयानों का जहर उगला तो दिल्ली चुनाव आयोग(Delhi Election Commission) ने दोनों पर कार्रवाई करते हुए भाजपा से दोनों को स्टार प्रचारकों की लिस्ट से बाहर करने का निर्देश दे दिया।

जबकि वहीं पाकिस्तान (Pakistan) वाले बयान पर भाजपा के ही कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। लेकिन क्या इतना भर कर देने से कोई भी नेता देश की जनता को सांप्रदायिक चोला पहनाने से पीछे हटने वाला है? नहीं! यह काम खुद जनता को ही करना होगा।

जनता दिल्ली की हो या फिर देश की…हमें समझने की जरूरत यह है कि हम कब तक पाकिस्तान, हिंदू-मुस्लमान और कट्टरता फिर चाहे वो हिंदुत्व की हो या इस्लाम की….के ऊपर राजनेताओं के मोहरे बने रहेंगे।

चुनाव आएंगे सभी दलों के नेता हमें बस इन्हीं मुद्दों पर उलझाएंगे और हम लोग फिर से पांच साल अपनी छाती पीटकर रह जाएंगे।

विकास, रोजगार, आर्थिक मंदी, महिलाओं की सुरक्षा, शांति, लोकतंत्र -न्यायतंत्र का हाल और महंगाई सरीखे मुद्दों पर हम लोग कब वोट डालेंगे?

Opinion on Delhi Assembly Election 2020: real issues Missing

हम लोग किसी भी राजनीतिक दल को कब मजबूर करेंगे कि बस अब बहुत हो गया हमें भारत की प्रगति चाहिए, रोजगार-व्यापार,सुरक्षा और आर्थिक सुदृढ़ता चाहिए। हमें नहीं खेलना हिंदू-मुसलमान और पाकिस्तान। हमने विश्व में एक गुलाम देश की छवि से निकल स्वतंत्र, स्वाभिमानी और शांतिप्रिय देश की छवि ही इस आधार पर बनाई है चूंकि हम विभिन्न धर्मों के होते हुए भी मात्र एक धर्म को सर्वोपरि मानते है और वो है- भारतीयता।

विश्व के किसी भी देश में जाकर आप यह नहीं कहते कि आप हिंदू-मुसलमान हो या फिर सिख ईसाई हो।

बल्कि जब भी आप किसी दूसरे देश में जाते हो तो आपकी पहचान होती है सिर्फ एक भारतीय की।आपको इंडियन  (Indian) कहकर बुलाया जाता है।

दिल्ली विधानसभा चुनावों में हमारे वोट का आधार केवल दिल्ली का विकास होना चाहिए। हमारे शहर की बुनियादी जरूरतों पर कौन जोर दे रहा है और कौन झोल दे रहा है ….यही होना चाहिए न कि सांप्रदायिकता और पाकिस्तान।

चूंकि हम है केवल और केवल ‘आजाद, प्रगतिशील हिंदुस्तान’

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