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उच्च शिक्षा या टेक्नोलॉजी नहीं आज भी बच्चों के भविष्य की बुनियाद है ‘माँ’

Mothers Day - आज के इस भाग-दौड़ वाली जिंदगी में माँ के स्वरुप बदल गए है, अब सिर्फ माँ जो आपको पैदा करती है वही माँ नहीं रही, आज आपकी दूसरी माँ आपका मोबाइल बन गया है,

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नयी दिल्ली (समयधारा) : दोस्तों पिछले दिनों यानी 14 मई को Mothers Day था,

और फिर एक बार माँ को ले कर सोशल मीडिया पर ममता का सैलाब उमड़ पड़ा l

लगभग सभी के प्रोफाइल फोटो में माँ की तस्वीर थी,

कोई उनके साथ बिताएं वक्त को तो कोई उन्हें याद करके अपनी-अपनी भावनाओं को सोशल मीडिया पर परोस रहा थाl 

चलियें यह जमाना यानी लोग भी तो अपने-अपने विचार को माँ के प्रति प्यार को सम्मान को व्यक्त तो करेगें ही l

पर इन सब से पहले आज हम बात करेगे माँ के वजूद की माँ के पहचान की l

आप और हम माँ के किस तस्वीर को सजोते है..? उन्हें अपनी जिंदगी में किस रूप में याद करते है ..? 

Thanks उनको जिसने ‘Mothers Day’ बनाया, ‘माँ के अस्तित्व के नमन’ को यादगार बनाया 

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कुछ नेता लोग माँ के पास कैमरे लेकर पहुँच जाते है यह दिखाने को देखों में इतना बड़ा हूँ फिर भी माँ को भुला नहीं..? 

तो क्या माँ को कैमरा चाहिए था या फिर बेटे को माँ के प्यार का दिखावा करने के लिए कैमरा चाहिए था..?

यह सब तो आप तय करेंगे या खुद अपनी अंतरात्मा तय करेगी की माँ का क्या वजूद है हमारी जिंदगी में l

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आज के इस भाग-दौड़ वाली जिंदगी में माँ के स्वरुप बदल गए है l

अब सिर्फ माँ जो आपको पैदा करती है वही माँ नहीं रही, आज आपकी दूसरी माँ आपका मोबाइल बन गया है l 

क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया..? नहीं ना..!

आज जाने-अनजाने आपने आपके बच्चों के भविष्य की बागडोर अपनी पत्नी या अपनी बेटी या बहन के हाथों में न देकर उसकी दूसरीं माँ यानी मोबाइल के हाथों में दे दी है l

अभी कुछ समय पहले की बात है मेरे दोस्त के घर पर एक दुखद घटना घटी उसके पापा का स्वर्गवास हो गया l 

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उसने घर पर अपनी यथाशक्ति अनुसार 5 पंडितों को भोजन ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया l

उसके बड़े भाई संयोग(बदला हुआ नाम) के 4 साल के पुत्र ने जो किया उससे मुझे यह आर्टिकल लिखने के लिए मजबूर कर दिया l  

हुआ यूँ कि दोस्त के पुत्र नाम विनय ने पांडितों की आवभगत में बढ़चढ़ कर भाग लिया l

विनय ने न सिर्फ पंडितो को पानी सहित खाना परोसने में मदद की पर अंत में उन्हें नवकार मंत्र (जैन धर्म) सहित हनुमान चालीसा भी पंडितो को सुनाईं l

उसकी इस काबिलियत को देख पंडित जन हैरान रह गए, 

उन्होंने मेरे दोस्त व उनकी धर्मपत्नी की बहुत तारीफ़ की पर इस बीच विनय ने एक ऐसा जवाब दिया जिसे सुनकर पंडित लोग सहित वहां बैठा में भी हैरान रह गया l

विनय ने बताया की उसने यह सब मोबाइल पर सुनकर और देखकर याद किया,

यानी उसके जो गुण थे जो हनुमान चालीसा-नवकार मन्त्र वह सूना रहा था उसकी जड़ है मोबाइल…?

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इसके बाद उसने पठान सहित कई गानों पर डांस करके भी दिखाया l

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पंडितों ने खाना ग्रहण करने के बाद कहा की आज कल के बच्चे मोबाइल से क्या-क्या नहीं सिखतें l

बच्चों की माँ बन गया है मोबाइल.! विनय को ही देख लो उसने मन्त्र भी सीखें और गाने भी वो भी इस छोटी सी उम्र में l

और एक हमारे ज़माने में माँ ही सबकुछ संस्कार देती थी l उन्होंने उसका एक अच्छा उदाहरण भी दिया l

उन्होंने बताया की उनकी बहन रिंकू जब स्कूल जाती थी तब स्कूल में टीचर ने उसे मटर छिलने को दिए रिंकू ने साफ़ मना कर दिया..

इस पर टीचर को गुस्सा आ गया और अगले दिन उसने उसकी माँ को स्कूल में लेकर आने के लिए कहा l

जब दूसरें ही दिन उसकी माँ यानी पंडित जी और रिंकू की माँ स्कूल पहुंची तो टीचर ने रिंकू की शिकायत की

और कहा कि वह उसका कहा नहीं मानती और मटर छिलने को उसने मना कर दिया l

इस पर रिंकू के माँ ने टीचर को खूब सुनाया और उन्हें कहा की मेरी बच्ची स्कूल में पढ़ने आती है न कि मटर छिलने,

और अगली बार आपने उसे मटर छिलने या पढ़ाई के अलावा कोई भी अन्य काम कहा तो वह उसकी शिकायत प्रिंसिपल को कर देगी l

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तो यह होती है माँ जो अपने बच्चों के वर्तमान भविष्य की रक्षा करती है बल्कि उसके लिए किसी से भी लड़ जाती हैl 

अब आज की मॉडर्न माँ की बात करते है यानी “मोबाइल माँ” की…

क्या मोबाइल रिंकू की माँ जैसी कभी बन सकती है..? क्या यह मॉडर्न माँ आपके भविष्य को सिर्फ और सिर्फ अच्छी बातें ही सिखा सकती है l

हर कोई बच्चा मोबाइल पर सिर्फ और सिर्फ मंत्र या अच्छी बातें सिख नहीं सकता l

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मोबाइल एक यंत्र है जिसपर हम और आप ने जो भी फिट किया है यानी जो डाला है चाहे वो अच्छा हो या बुरा हमारा बच्चा वही सीखेगाl

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आज की माँ को यह सुनिश्चित करना है कि वह इससे अपने बच्चों को क्या सिखाना चाहती है l क्या संस्कार देना चाहती है l

यानी माँ को ही अपने बच्चों के भविष्य को आज भी सही राह दिखानी है l

जिम्मेदारी बदल गयी है अब उसका आकार और बड़ा हो गया है l

पहले सिर्फ स्कूल की टीचर या मोहल्ले के बच्चे ही भविष्य की दिशा तय करते थे और माँ उसके पथप्रदर्शक यानी मार्गदर्शक यानी राह दिखाने वाली होती थी l

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पर अब माँ की चुनौतियाँ का दायरा बड़ा हो गया है l उसे मॉडर्न टीचर यानी मोबाइल सहित कई लोगों से लड़कर-बचाकार अपने बच्चों के भविष्य को सही दिशा देनी है l

हमारे भारतीय समाज में आज भी ऐसी मांओं की कोई कमी नहीं जो बेटों की मां होने के घमंड में अपने ही बेटों का भविष्य अंधकारमय कर देती है,

तो वहीं कुछ विरला मांए ऐसी भी है जो अपने बेटों की गलतियों को चुनौती देती है और जब वे भटकते है तो उन्हें सबक भी सिखाती है।

यह बात तय है कि मां की ममता ही बच्चों का भविष्य तय करती (Mother’s day Special-Mothers-love-decides-the-future-of-her-children) है।

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जिस प्रकार ज्यादा मीठा शरीर में डायबिटीज का कारण बनता है,

ठीक उसी प्रकार अंधी ममता और ‘बेटों की मां होने का घमंड’ खुद मां के जीवन में ऐसा डायबिटीज बन जाता है जो लाइलाज होता है।

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लेकिन वहीं,

अगर मां समय रहते खुद के और बच्चों के भविष्य के लिए नीम सी कड़वी भी हो जाएं,

तो न सिर्फ बच्चे का भविष्य स्वस्थ शरीर की तरह उज्जवल हो जाता है,बल्कि मां का जीवन भी मिसाल बन जाता है।

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Dharmesh Jain

धर्मेश जैन www.samaydhara.com के को-फाउंडर और बिजनेस हेड है। लेखन के प्रति गहन जुनून के चलते उन्होंने समयधारा की नींव रखने में सहायक भूमिका अदा की है। एक और बिजनेसमैन और दूसरी ओर लेखक व कवि का अदम्य मिश्रण धर्मेश जैन के व्यक्तित्व की पहचान है।

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