आखिरकार ठंड और कोराना से पसीजा सरकार का दिल,किसानों को आज बातचीत के लिए बुलाया
विभिन्न किसान संगठन दिल्ली की दो सीमाओं पर विरोध-प्रदर्शन करते हुए धरने पर बैठे है। किसानो को प्रदर्शन में केवल पंजाब ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों से भी अब किसान जुट रहे है....
farmers protest: Govt invited farmers to talk today
नई दिल्ली:दिल्ली में ठंड और कोरोना व प्रदूषण तीनों का प्रकोप बरकार है। ऐसे में किसान नए कृषि बिलों (new farm law 2020) के विरोध में प्रदर्शन कर रहे है। ताकि सरकार उनके मन की बात भी सुनें।
किसानों के विरोध-प्रदर्शन(Kisan rally) से तो नहीं लेकिन ठंड( winter) और कोरोना(Corona) से जरूर सरकार का दिल पसीज गया है
और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर (Narendra tomar) ने दिल्ली में कोरोना और ठंड का हवाला देते हुए किसान संगठनों को आज,मंगलवार 1दिसंबर दोपहर तीन बजे बातचीत के लिए बुलाया(farmers protest: Govt invited farmers to talk today) है।
विभिन्न किसान संगठन दिल्ली की दो सीमाओं पर विरोध-प्रदर्शन करते हुए धरने पर बैठे है। किसानों(Farmer) को प्रदर्शन में केवल पंजाब ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों से भी अब किसान जुट रहे है।
पंजाब,हरियाणा और यूपी से भी किसान दिल्ली कूच करने के लिए निकल पड़े है।
बीते दिन देश में गुरु नानक जयंती थी। इसलिए अमृतसर से कई किसान गुरु पर्व के लिए रुक गए थे लेकिन अब वे भी दिल्ली के लिए निकल पड़े है और आज मंगलवार को अन्य किसान भी दिल्ली में आ जाएंगे। यह कहना है किसान संगठनों का।
प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली में प्रवेश के पांचों रास्ते ब्लॉक करने की धमकी दी है।
इससे पूर्व सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कृषि मंत्री (Agriculture Minister) से मिले।
किसानों द्वारा सरकार की वार्ता की पेशकश ठुकरा दिए जाने के 24 घंटे के भीतर दोनों नेताओं की यह दूसरी मुलाकात थी।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा, ’13 नवंबर को हमने फैसला किया था कि हम 3 दिसंबर को मिलेंगे, लेकिन किसान प्रदर्शन के मूड में हैं।
सर्दी का मौसम है और कोरोना भी है। इसलिए हम किसान यूनियनों के प्रमुखों को 1 दिसंबर को 3 बजे विज्ञान भवन आमंत्रित करते(farmers protest: Govt invited farmers to talk today) हैं।
हम आपसे प्रदर्शन खत्म करने और चर्चा के जरिए कोई समाधान निकालने का अनुरोध करते हैं।गौरतलब है कि प्रदर्शनकारियों में से एक की बीती रात दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी।
बीते हफ्ते किसानों का दिल्ली मार्च शुरू(Dilli chalo) होने के बाद यह दूसरी मौत थी। पंजाब में लुधियाना जिले के खट्टरा गांव के निवासी किसान गज्जन सिंह की टिकरी बॉर्डर पर मृत्यु हो गई, जहां बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी इकट्ठा हैं।
दरअसल,बीते 71 वर्षों में इस बार का नवंबर सबसे ठंडा महीना है। यानि इस वर्ष के नवंबर की ठंड ने 71 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
farmers protest: Govt invited farmers to talk today
इससे पहले केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने सोमवार को कहा कि वे ‘‘निर्णायक” लड़ाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी आए हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया कि वे उनके ‘‘मन की बात” सुनें. प्रदर्शनकारी किसानों के एक प्रतिनिधि ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
भारतीय किसान यूनियन (दकौंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा, ‘‘हम अपनी मांगों से समझौता नहीं कर सकते।”
उन्होंने कहा कि यदि सत्तारूढ़ पार्टी उनकी चिंता पर विचार नहीं करती तो उसे ‘‘भारी कीमत” चुकानी होगी. किसानों के प्रतिनिधि ने कहा, ‘‘हम यहां निर्णायक लड़ाई के लिए आए हैं।”
उन्होंने कहा, ‘‘हम दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे और यहां से अपनी रणनीति बनाएंगे. हम प्रधानमंत्री से यह कहने के लिए दिल्ली आए हैं कि वह किसानों के ‘मन की बात’ सुनें, अन्यथा सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी को भारी कीमत चुकानी होगी…”
farmers protest: Govt invited farmers to talk today
वहीं, भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि आंदोलन को ‘‘दबाने” के लिए अब तक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ लगभग 31 मामले दर्ज किए गए हैं।
चढूनी ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जातीं, किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा। वहीं,आप के पूर्व नेता एवं अखिल भारतीय संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय कार्यकारी समूह के सदस्य योगेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि किसानों के आंदोलन के बारे में पांच झूठ फैलाए जा रहे हैं,
जिनमें यह झूठ भी शामिल है कि आंदोलन में केवल पंजाब के किसान शामिल हैं। स्वराज इंडिया के प्रमुख यादव ने कहा कि विभिन्न राज्यों के किसानों के इस ‘‘ऐतिहासिक आंदोलन” के ‘‘ऐतिहासिक परिणाम” निकलेंगे।
(इनपुट एजेंसी से…)