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शायरी : जाने कौन सी शौहरत पर आदमी को नाज़ है, जो खुद-आखरी सफर के लिए भी, औरों का मोहताज़ है.

बंजर नहीं हूं मैं.... मुझमें बहुत सी नमी है......! दर्द बयां नही करता.... बस इतनी सी कमी है.....!!!

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 जाने कौन सी शौहरत पर

आदमी को नाज़ है….

जो खुद, आखरी सफर के लिए भी

औरों का मोहताज़ है.

बंजर नहीं हूं मैं….

मुझमें बहुत सी नमी है……!

दर्द बयां नही करता….

बस इतनी सी कमी है…..!!!!

 अहमियत     
*उनकी ज्यादा होती है…

अहम   
*जिनमें कम होते हैं.!…

 जिंदगी मुझको “सा रे ग म”

सुना कर गुदगुदाती रही..

मैं कम्बख़्त उसको “सारे गम”

समझ कर कोसता रहा…!!

 रब ने न जाने कितनों की

तकदीर संवारी है,

काश आज वो मुस्कुरा के कह दे,

आज मेरी  बारी है..!

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( इनपुट सोशल मीडिया से )

 

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Dharmesh Jain

धर्मेश जैन www.samaydhara.com के को-फाउंडर और बिजनेस हेड है। लेखन के प्रति गहन जुनून के चलते उन्होंने समयधारा की नींव रखने में सहायक भूमिका अदा की है। एक और बिजनेसमैन और दूसरी ओर लेखक व कवि का अदम्य मिश्रण धर्मेश जैन के व्यक्तित्व की पहचान है।

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