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Ekadashi: इस दिन है मोहिनी एकादशी,जानें व्रत,पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

ऐसी मान्यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत रखने मात्र से आमजन को न केवल भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है बल्कि सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है...

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नई दिल्ली:हिंदू धर्म में एकादशी(Ekadashi) का विशेष महत्व है।वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है।

पुराणों में मोहिनी एकादशी(Mohini Ekadashi) को सर्वाधिक पवित्र माना गया है।

ऐसी मान्यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत रखने मात्र से आमजन को न केवल भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है बल्कि सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है।

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मोहिनी एकादशी 2021

मोहिनी एकादशी को का व्रत बहुत फलदायक माना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि जो लोग भी एकादशी का व्रत(Ekadashi-vrat)रखते है उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोहिना एकादशी का व्रत धारण करने से घर में सुख,शांति और समृद्धि का वास होता है।

इस वर्ष मोहिनी एकादशी 22 मई 2021(Mohini Ekadashi 2021)की है।

 

मोहिनी एकादशी कब है और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

Ekadashi-vrat-Mohini Ekadashi 2021 kab hai-puja-shubh muhurat:

– मोहिनी एकादशी 22 मई शनिवार को है।

– पारण का समय या एकादशी व्रत तोड़ने का समय : दोपहर 1:40 बजे से शाम 4:25 बजे के बीच

– एकादशी तिथि की शुरुआत : 22 मई को सुबह 9:15 बजे शुरू

– एकादशी तिथि समाप्त : 23 मई को सुबह 6:42 बजे

– पारण का समय : 24 मई को सुबह 5:26 बजे से 8:11 बजे के बीच

 

 

मोहिनी एकादशी की पूजा विधि-Ekadashi-vrat-Mohini Ekadashi 2021 kab hai-puja-shubh muhurat:

-मोहिनी एकादशी की पूजा के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई कर लें।

– इसके बाद स्‍नान करने के बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें व्रत का संकल्‍प लें।

– अब घर के मंदिर में भगवान विष्‍णु की प्रतिमा, फोटो या कैलेंडर के सामने दीपक जलाएं।

– इसके बाद विष्‍णु की प्रतिमा को अक्षत, फूल, मौसमी फल, नारियल और मेवे चढ़ाएं।

– विष्‍णु की पूजा करते वक्‍त तुलसी के पत्ते अवश्‍य रखें।

– इसके बाद धूप दिखाकर श्री हरि विष्‍णु की आरती उतारें।

– अब सूर्यदेव को जल अर्पित करें।

– एकादशी की कथा सुनें या सुनाएं।

 

 

मोहिनी एकादशी व्रत के नियम-Ekadashi-vrat-Mohini Ekadashi 2021 kab hai-puja-shubh muhurat:
– एकादशी से एक दिन पूर्व ही व्रत के नियमों का पालन करें।

– व्रत के दिन निर्जला व्रत करें।

– शाम के समय तुलसी के पास गाय के घी का एक दीपक जलाएं ।

– रात के समय सोना नहीं चाहिए. भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए।

– अगले दिन पारण के समय किसी ब्राह्मण या गरीब को यथाशक्ति भोजन कराए और दक्षिणा देकर विदा करें।

– फिर इसके पश्चात अन्‍न और जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें।

 

 

एकादशी के दिन गलती से भी न करें ये काम-Ekadashi-vrat-avoid these things

-एकादशी व्रत में दशमी तिथि की रात्रि में मसूर की दाल नहीं खानी चाहिए।

-एकादशी के दिन न ही चने और न ही चने के आटे से बनी चीजें खानी चाहिए।

-शहद खाने से भी बचना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए।

-इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा में धूप, फल, फूल, दीप, पंचामृत आदि का प्रयोग करें।

-इस व्रत में द्वेष भावना या क्रोध को मन में न लाएं।

-परनिंदा से बचें।

-इस व्रत में अन्न वर्जित है।

जानें कब से शुरू करें एकादशी व्रत ?

एकादशी व्रत को साल में कभी भी शुरू नहीं किया जा सकता है।

शास्त्रों के अनुसार, इसे सिर्फ उत्पन्ना एकादशी से ही शुरू कर सकते हैं। इस साल उत्पन्ना एकादशी 30 नवंबर 2021 को है।

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Dropadi Kanojiya

द्रोपदी कनौजिया पेशे से टीचर रही है लेकिन अपने लेखन में रुचि के चलते समयधारा के साथ शुरू से ही जुड़ी है। शांत,सौम्य स्वभाव की द्रोपदी कनौजिया की मुख्य रूचि दार्शनिक,धार्मिक लेखन की ओर ज्यादा है।

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