Know why Krishna Janmashtami is celebrated every year
नई दिल्ली (समयधारा): जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाने वाला हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है।
इस दिन हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी उनके जन्म की तारीख को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
हिन्दू धर्म के लोग इस दिन विधि विधान से पूजा करते है और व्रत आदि रखते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि जो लोग जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण जी का व्रत रखकर उनकी सेवा और पूजा करते है,
उन्हें सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं। उनके जीवन से दुखों का नाश होता है और सुखों का आगमन होता हैं।
श्रीकृष्ण भक्त जन्माष्टमी के आने से कई दिन पहले उनके जन्म की तैयारियां शुरू कर देते हैं और दिनभर पूरे हर्षोल्लास से जन्माष्टमी मनाते हैं।
उत्तर भारत के मथुरा और वृंदावन में तो इस पर्व की एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है और इस दिन वहां बहुत धूम मचती हैं।
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Know why Krishna Janmashtami is celebrated every year
जन्माष्टमी का ये दिन इन जगहों पर एक पर्व से कम नहीं होता।
भारत के अन्य राज्यों के साथ-साथ ये त्यौहार विदेशों में भी कई जगहों पर बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
श्रीकृष्ण को कई नामों जैसे कन्हैया, गोविंद, गोपाल, नंदलाल, ब्रिजेश, मनमोहन,
बालगोपाल, मुरली मनोहर,माखन चोर आदि नामों से भी बुलाया जाता हैं।
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कृष्ण जन्माष्टमी 2021
कृष्ण जन्माष्टमी 2021 के हिसाब से इस बार जन्माष्टमी के मुहूर्त इस प्रकार है l
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 29 अगस्त 2021 रात 11:25 से
अष्टमी तिथि समाप्त: 31 अगस्त को सुबह 01:59 तक (Know why Krishna Janmashtami is celebrated every year)
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 30 अगस्त को सुबह 06 बजकर 39 मिनट
रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 31 अगस्त को सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर
अभिजीत मुहूर्त: 30 अगस्त सुबह 11:56 से लेकर रात 12:47 तक
श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, तो इस बार भी जन्माष्टमी पर कृष्ण जी के जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि विद्यमान रहेगी।
इसके अलावा वृष राशि में चंद्रमा रहेगा. ऐसा दुर्लभ संयोग होने से इस जन्माष्टमी का महत्व(Janmashtami-importance)कहीं ज्यादा बढ़ गया है।
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि इस समय में जो भी भक्त भगवान की सच्चे दिल से प्रेमपूर्वक पूजा अर्चना करेगा, उसकी मनोकामना कान्हा जरूर पूरी करेंगे।
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अगर हम हिन्दू मान्यता के हिसाब से देखें तो भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था l
यानी 30 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी होनी चाहिए और अगर अष्टमी तिथि के हिसाब से देखें तो 30 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी होनी चाहिए।
जो लोग अष्टमी तिथि को महत्वपूर्ण मानते है वो इस दिन जन्माष्टमी मानते है
और जो लोग का रोहिणी नक्षत्र तिथि को महत्वपूर्ण मानते है वो इस जन्माष्टमी दिन मानते हैं। दोनों ही दिन कृष्ण भगवान को समर्पित होते हैं।
Know why Krishna Janmashtami is celebrated every year
इस साल कुछ पंचांगों के हिसाब कृष्ण जन्माष्टमी कुछ राज्यों में 29 अगस्त को मनाई जाएगी लेकिन श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा में 30 अगस्त को मनाई जाएगी।
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कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
कृष्ण जन्माष्टमी का हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार होने कमी वजह से पूरे भारत वर्ष में विशेष महत्व है।
हिन्दू धर्म में भगवान श्री कृष्ण के जन्म को सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु ने आठवें अवतार के रूप में माना गया था।
कृष्ण जन्माष्टमी को उत्तर भारत के साथ सभी राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।
बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी इस त्यौहार को लेकर खुश होते हैं। इस दिन महिलायें घर में अच्छे – अच्छे पकवान बनाती हैं।
इस दिन कुछ लोग बहगवां श्री कृष्ण को 56 भोग का प्रसाद चढ़ाते हैं। इस दिन कुछ जगहों पर दही हांडी का खेल भी होता हैं।
कुछ मंदिरों में कृष्ण लीला और रास लीलाएं दिखाई जाती हैं। कुछ मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण की झाकियां निकाली जाती हैं।
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