
Makar-Sankranti-2025-Date-Puja-Shubh-Muhurat-Vidhi-Upay-Snan-Daan-Time
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्यौहार हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है।
पंचागानुसार, मकर संक्रांति देशभर में इस साल 14 जनवरी 2025 (Makar-Sankranti-2025-date)मंगलवार को धूमधाम से मनाई जा रही है।
मकर संक्रांति को केवल ऋतु परिवर्तन के लिहाज से ही नहीं अपितु राशि परविर्तन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
दरअसल,मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव (SuryaDev) धनु राशि से निकलकर अपने पुत्र शनिदेव की राशि मकर में संचार करते है,
और इसी राशि परिवर्तन को वैदिक ज्योति शास्त्र में मकर संक्रांति पर्व के नाम से जाना जाता है।
इस साल सूर्यदेव 14 जनवरी को मकर राशि (Makar-Sankranti 2025) में प्रवेश कर रहे है और इस दिन मंगलवार है l
मकर संक्रांति का पावन पर्व देशभर में विभिन्न नामों से पुकारा जाता है।

दिल्ली सहित उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों(makar sankranti in hindi) में जहां इसे मकर संक्रांति,
पूर्वी उत्तर प्रदेश में खिचड़ी, गुजरात में इसे उत्तरायण कहा जाता है तो वहीं दक्षिण भारत में इस पावन पर्व को पोंगल के नाम से धूमधाम से मनाया जाता है।
मकर संक्रांति के बाद से ही सर्दी का प्रभाव थोड़ा कम होता जाता है और संपूर्ण भारत वर्ष में इसे विभिन्न नामों के साथ हर्षोउल्लास से मनाया जाता है।
मकर संक्रांति के दिन स्नान,दान का विशेष महत्व है। इस दिन पुण्यकाल में पूजा करने और स्नान,दान करने से काफी पुण्य मिलता है।
तो चलिए अब बतातै है कि मकर संक्रांति पूजा शुभ मुहूर्त,विधि और उपाय क्या है। किस समय स्नान,दान करना शुभ (Makar-Sankranti-2025-Date-Puja-Shubh-Muhurat-Vidhi-Upay-Snan-Daan-Time)रहेगा।

मकर संक्रांति कब है ?- Makar Sankranti 2025 kab hai
वैसे तो मकर संक्रांति का त्यौहार पारंपरिक रूप से 14 जनवरी को मनाया जाता रहा है।
लेकिन पंचागानुसार इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 को है चूंकि सूर्यदेव 15 जनवरी, मंगलवार सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश कर रहे है।
मकर राशि शनिदेव की राशि होती है और सूर्य देव अपने पुत्र शनि की राशि में पूरे एक माह तक रहेंगे
मकर संक्रांति 2025 पूजा शुभ मुहूर्त-Makar Sankranti 2025 Puja Shubh Muhurat
मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 7 मिनट से सुबह 8 बजकर 12 मिनट तक है।
इसके अलावा पुण्यकाल में मकर संक्रांति की पूजा-अर्चना करना बेहद फलदायी होता है।
इस दिन पुण्यकाल का समय सुबह 8 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक है।
मकर संक्रांति महा पुण्यकाल -सुबह 08 बजकर 40 मिनट से सुबह 09 बजकर 04 मिनट तक है।
मकर संक्रांति पर स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन बिना गंगा स्नान और दान के मकर संक्रांति का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
मकर संक्रांति पर सुबह-सुबह स्नान करने के विशेष महत्व होता है।
14 जनवरी को मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।
पवित्र नदी में मकर संक्रांति के दिन स्नान करने के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करने और तिल का दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति 2025 पूजा विधि- Makar-Sankranti-2025-Puja-Vidhi
इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर मकर में प्रवेश करते हैं। इस तरह पूजा विधि करने से आपको सूर्यदेव और शनिदेव(Shanidev)दोनों की कृपा प्राप्त हो जाती है।
-मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें।
-फिर इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर तांबे के लोटे में पानी भर लें और उसमें काला तिल, गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल लेकर सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें।
-ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देना बेहद शुभ होता है। इस दिन तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें काला तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत आदि डालें और फिर ‘ॐ सूर्याय नम:‘ मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें।
-इसके बाद सूर्य स्तुति का पाठ करें।
-घी का दीपक और धूप दिखाकर सूर्य देव की पूजा करें
-इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ ही शनिदेव को भी जल अर्पित करें। इसके बाद गरीबों को तिल और खिचड़ी का दान करें
-बता दें कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना करना बेहद शुभ होता है। इसलिए इस दिन सूर्य की उपासना अवश्य करें।
मकर संक्रांति उपाय- Makar Sankranti Upay
मकर संक्रांति के दिन पानी में काला तिल और गंगाजल मिला कर स्नान करें।
इससे सूर्य की कृपा होती है और कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं और शनिदेव की भी कृपा बनी रहती है।
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मकर संक्रांति का महत्व | Importance of Makar Sankranti 2025
-हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाते हैं।
यानी सूर्य देव जब बृहस्पति की राशि धनु से शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
-यही वजह है कि इस पर्व को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
-सूर्य के धनु राशि से मकर राशि पर जाने का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि इस वक्त सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है और उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है।
-मकर संक्रांति के दिन कई स्थानों पर खिचड़ी और दही-चूड़ा खाने की भी परंपरा है।
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