Guru Purnima 2022: कल है गुरु पूर्णिमा,बन रहा महासंयोग,जानें पूजा का शुभ मुूहूर्त-विधि
गुरु पूर्णिमा का दिन गुरूजन को समर्पित होता है।यही कारण है कि इस दिन लोग अपने गुरुओं की पूजा करते है।
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पौराणिक काल से गुरु पूर्णिमा(Guru-Purnima)के दिन गुरु की पूजा की जाती है।गुरूजन को समर्पित होने के कारण कारण है कि इस दिन लोग अपने गुरुओं की पूजा करते है।
गुरु पूर्णिमा(Guru Purnima)का पावन पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
प्रत्येक मनुष्य का सबसे पहला गुरु उसकी मां होती है,जो उसे परवरिश और संस्कारों से सींचती है।
फिर उसके बाद गुरु या अध्यापक उसके चरित्र का निर्माण करते है और आजीवन उसे रास्ता दिखाने वाला परब्रह्म ही उसका गुरु या ईष्ट होता है।
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इसलिए सनातन धर्म में गुरु का विशेष महत्व है। उन्हें देवता तुल्य माना गया है और गुरु को ब्रह्मा,विष्णु व महेश के समान ही पूज्यनीय माना गया है।
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा(Vyas Purnima) भी कहा जाता है,चूंकि महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही हुआ था।
उनके सम्मान में ही प्रति वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता (Guru-Purnima-2022-date)है।
ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन महर्षि व्यास जी ने अपने शिष्यों और मुनियों को श्री भागवतपुराण का ज्ञान दिया था,तभी से आज का यह शुभ दिन व्यास पूर्णिमा के नाम से भी पुकारा जाने लगा।
महार्षि व्यास को सबसे पहले गुरु की उपाधि दी गई। उन्होंने चारों वेदों का ज्ञान दिया।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु को सम्मान देकर उनका आशीर्वाद लें।
आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा दिवस(Guru-Purnima-2022)के रूप में जाना जाता है। परम्परागत रूप से यह दिन गुरु पूजन के लिए निर्धारित है।
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गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शिष्य अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं। गुरु, अथार्त वह महापुरुष, जो आध्यात्मिक ज्ञान एवं शिक्षा द्वारा अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करते हैं।
अब आप जानना चाहेंगे कि गुरु पूर्णिमा इस वर्ष कब है? तो चलिए बताते है।
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व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानी जाने वाली गुरु पूर्णिमा इस वर्ष 13 जुलाई 2022,बुधवार को(Guru-Purnima-2022-date-purnima-puja-shubh-muhurat-vidhi-importance)मनाई जाएगी।
गुरु पूर्णिमा पूजा विधि और शुभ मुहूर्त-Guru Purnima 2022 Puja vidhi shubh muhurat
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हिंदू पंचागानुसार, इस वर्ष गुरु पूर्णिमा,13 जुलाई 2022,बुधवार के दिन मनाई जाएगी।
गुरु पूर्णिमा तिथि का आरंभ बुधवार,13 जुलाई को सुबह 4 बजे हो जाएगा और 14 जुलाई को रात 12 बजकर 6 मिनट पर इसकी समाप्ति हो जाएगी।
आपको बता दें कि गुरु पूर्णिमा पर प्रात: काल से ही इंद्र योग बन रहा है जो कि दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
जबकि रात 11 बजकर 18 मिनट तक पूर्वाषाढा नक्षत्र रहेगा। ये दोनों ही योग मांगलिक कार्यों के लिए काफी शुभ हैं।
गुरु पूर्णिमा पूजन विधि-Guru Purnima 2022-Puja Vidhi
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-गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर मंदिर जाकर देवी-देवता का नमन करें।
-इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करें- ‘गुरु परंपरा सिद्धयर्थं व्यास पूजां करिष्ये’।इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा अर्चना करें।इसके लिए फल, फूल, रोली लगाएं। इसके साथ ही अपनी इच्छानुसार भोग लगाएं। फिर धूप, दीपक जलाकर आरती करें।
-इस दिन जल में हल्दी मिलाकर घर के मुख्य द्वार की सफाई करें।
-इस दिन किसी के लिए अपशब्द न कहें। किसी स्त्री या बुजुर्ग का अपमान भूलकर भी न करें।
-घी का दीप जलाकर भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। गुरु पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष की जड़ों में मीठा जल डालना चाहिए, ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
-गुरु पूर्णिमा की शाम को पति-पत्नी मिलकर यदि चंद्रमा का दर्शन करें और चंद्रमा को गाय के दूध का अर्घ्य दें तो दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।
-आषाढ़ पूर्णिमा की शाम तुलसी जी के सामने शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की विधि विधान से पूजा करें।
-आटे की पंजीरी का प्रसाद बनाकर भगवान श्री हरि विष्णु को भोग लगाएं। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का ध्यान कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं।
-इस दिन जरूरतमंदों को पीले अनाज, पीले वस्त्र और पीली मिठाई का दान दें। मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन श्रीहरि विष्णु जी स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं।
-पूर्णिमा तिथि पर स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन किसी मंदिर के भंडारे में अनाज और शुद्ध घी का दान करें। इससे भी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
गुरु पूर्णिमा का महत्व-Guru-Purnima-Importance
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आषाढ़ पूर्णिमा तिथि को महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था और व्यास जयंती को व्यास पूजा करने की परंपरा है। इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
बता दें कि वेद व्यास जी ने महाभारत समेत कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की थी।
भारतीय सभ्यता में गुरु का विशेष स्थान है और कहा जाता है कि माता-पिता के बाद गुरु ही हैं जो कि मुनष्य को सही राह दिखाते हैं।
ऐसे में गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए गुरु पूर्णिमा सबसे उत्तम दिन है। मानव जाति के प्रति महर्षि वेदव्यास का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और इन्होंने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। इसलिए उन्हें प्रथम गुरु की उपाधि दी गई है।
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